
गणित
"ट्रिकी रीजनिंग" ऐसी तर्कशक्ति (रीजनिंग) को कहते हैं जिसमें सवाल सीधे-सादे नहीं होते, बल्कि घुमा-फिराकर या उलझाकर पूछे जाते हैं। इनमें आपकी सोचने की क्षमता और हाजिरजवाबी का इम्तिहान होता है। ये सवाल दिमागी कसरत की तरह होते हैं और कई बार मज़ेदार भी लगते हैं।
ट्रिकी रीजनिंग के सवालों में अक्सर:
- शब्दों का खेल होता है।
- गणित के आसान लगने वाले सवाल होते हैं, जिनमें कोई चाल छिपी होती है।
- तस्वीरों या आकृतियों में छिपे पैटर्न को पहचानने को कहा जाता है।
- सामान्य ज्ञान (जनरल नॉलेज) के ऐसे सवाल होते हैं, जिनके जवाब सीधे नहीं मिलते।
इन सवालों को हल करने के लिए आपको लीक से हटकर सोचना होता है और जल्दबाजी में जवाब देने से बचना होता है।
ट्रिकी रीजनिंग के कुछ उदाहरण:
- एक कमरे में तीन बल्ब हैं। कमरे के बाहर तीन स्विच हैं, जो इन बल्बों को कंट्रोल करते हैं। आपको सिर्फ एक बार कमरे में जाना है और यह बताना है कि कौन सा स्विच किस बल्ब के लिए है।
- एक आदमी एक नदी के किनारे खड़ा है। उसके पास एक भेड़िया, एक बकरी और कुछ घास है। वह एक नाव में सिर्फ एक चीज को एक बार में ले जा सकता है। उसे इन सबको नदी पार करानी है, लेकिन वह भेड़िये को बकरी के साथ और बकरी को घास के साथ अकेला नहीं छोड़ सकता। वह यह कैसे करेगा?
- एक मुर्गी और एक बत्तख में क्या समानता है?
ट्रिकी रीजनिंग के सवाल कई तरह की परीक्षाओं और इंटरव्यू में भी पूछे जाते हैं ताकि आपकी समस्या-समाधान (प्रॉब्लम-सॉल्विंग) करने की क्षमता को परखा जा सके।
- "मैं खाता हूँ, इसलिए मैं हूँ।"
यह कथन एक प्रसिद्ध दार्शनिक तर्क है जो रेने डेकार्टेस द्वारा दिया गया था। यह तर्क बताता है कि हमारी चेतना का अस्तित्व हमारे सोचने की क्षमता पर निर्भर करता है।
यहाँ कुछ अन्य एपिमसृ के उदाहरण दिए गए हैं:
- "मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ।"
- "मैं अनुभव करता हूँ, इसलिए मैं हूँ।"
- "मैं महसूस करता हूँ, इसलिए मैं हूँ।"
ये सभी कथन बताते हैं कि हमारी चेतना का अस्तित्व हमारी मानसिक क्षमताओं पर निर्भर करता है।
अंक 376 में 'बिग' आएगा।
यह जानकारी इस बात पर आधारित है कि 'बिग' और 'स्मॉल' आमतौर पर लॉटरी या सट्टा जैसे खेलों में इस्तेमाल होते हैं, जहां कुछ अंकों को 'बिग' और कुछ को 'स्मॉल' माना जाता है। आमतौर पर, एक निश्चित संख्या से ऊपर के अंकों को 'बिग' और उससे नीचे के अंकों को 'स्मॉल' माना जाता है। चूंकि 376 एक बड़ी संख्या है, इसलिए इसे 'बिग' माना जाएगा।
1 इंच में 8 सूत होते हैं।
सूत, लंबाई मापने की एक पारंपरिक भारतीय इकाई है। इसका उपयोग विशेष रूप से कपड़ा, लकड़ी और धातु के काम में छोटी लंबाई को मापने के लिए किया जाता है।
यदि 50 रुपये में 1 पाव (250 ग्राम) मिलता है, तो 1 किलो (1000 ग्राम) का मूल्य जानने के लिए, हम इस प्रकार गणना कर सकते हैं:
1 किलो = 1000 ग्राम
1 पाव = 250 ग्राम
इसलिए, 1 किलो में 4 पाव होते हैं (1000 ग्राम / 250 ग्राम = 4)
यदि 1 पाव का मूल्य 50 रुपये है, तो 4 पाव का मूल्य होगा:
4 पाव x 50 रुपये = 200 रुपये
इसलिए, 50 रुपये पाव के हिसाब से 1 किलो का मूल्य 200 रुपये होगा।