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धर्म

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मां लक्ष्मी का कोई विशेष वार नहीं है। उनकी पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन शुक्रवार का दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इसके अतिरिक्त, दिवाली और अन्य शुभ अवसरों पर भी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न वेबसाइट देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 7/8/2025
कर्म · 680
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महावीर स्वामी, जिन्हें वर्धमान महावीर के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनका जीवन त्याग, तपस्या और अहिंसा के आदर्शों का प्रतीक है।

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

  • महावीर स्वामी का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व (विवादित) में बिहार के कुंडलपुर नामक स्थान पर हुआ था।
  • उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था, जो लिच्छवी वंश की राजकुमारी थीं।
  • बचपन में उनका नाम वर्धमान था, जिसका अर्थ है "बढ़ने वाला"।

त्याग और तपस्या:

  • 30 वर्ष की आयु में, महावीर ने सांसारिक जीवन त्याग दिया और सत्य की खोज में निकल पड़े।
  • उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके दौरान उन्होंने अत्यधिक कष्ट सहे और अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त की।

ज्ञान प्राप्ति और उपदेश:

  • 42 वर्ष की आयु में, महावीर को जृम्भिकाग्राम के पास एक साल वृक्ष के नीचे कैवल्य ज्ञान (सर्वोच्च ज्ञान) प्राप्त हुआ।
  • ज्ञान प्राप्ति के बाद, वे 'महावीर' कहलाए, जिसका अर्थ है 'महान वीर'।
  • उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया, जिसमें अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (संयम) और अपरिग्रह (गैर-आसक्ति) शामिल हैं।

निर्वाण:

  • 72 वर्ष की आयु में, महावीर स्वामी ने बिहार के पावापुरी नामक स्थान पर निर्वाण प्राप्त किया।

महावीर स्वामी के उपदेशों का महत्व:

  • महावीर स्वामी के उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को शांति, अहिंसा और सद्भाव का मार्ग दिखाते हैं।
  • जैन धर्म भारत की समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अधिक जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं:

उत्तर लिखा · 2/8/2025
कर्म · 680
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भगवान कृष्ण का विवाह कई रानियों से हुआ था, जिनमें से आठ प्रमुख थीं जिन्हें अष्टभार्या के नाम से जाना जाता है। इन आठ रानियों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. रुक्मिणी: विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री और कृष्ण की पटरानी। उन्होंने कृष्ण से प्रेम किया और कृष्ण ने उन्हें शिशुपाल से बचाने के लिए उनका हरण कर विवाह किया।
  2. सत्यभामा: सत्राजित की पुत्री, जिन्होंने कृष्ण को स्यमंतक मणि प्राप्त करने में मदद की।
  3. जाम्बवती: जाम्बवान की पुत्री, जिनसे कृष्ण ने स्यमंतक मणि के विवाद के बाद विवाह किया।
  4. कालिंदी: यमुना नदी की देवी, जिन्होंने कृष्ण से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की थी।
  5. मित्रविंदा: अवंती की राजकुमारी, जिन्होंने स्वयंवर में कृष्ण को चुना था।
  6. नाग्नजिती (सत्या): कौशल के राजा नाग्नजित की पुत्री, जिन्होंने एक शर्त जीतने के बाद कृष्ण से विवाह किया।
  7. भद्रा: केकय की राजकुमारी और कृष्ण की पत्नी।
  8. लक्ष्मणा: राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण की पत्नियों में से एक थीं।

इनके अलावा, कृष्ण ने 16,100 राजकुमारियों को नरकासुर से मुक्त कराने के बाद उनसे भी विवाह किया था, ताकि उन्हें सामाजिक सम्मान मिल सके।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न लिंक देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 23/7/2025
कर्म · 680
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शिवलिंग को इंग्लिश में "लिंगम" (Lingam) या "लिंग" (Linga) कहते हैं। यह भगवान शिव का प्रतीक है और हिंदू धर्म में इसकी पूजा की जाती है।

यहाँ कुछ और जानकारी है:

  • Lingam: यह सबसे आम शब्द है और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
  • Linga: यह भी एक सामान्य शब्द है और इसका उपयोग लिंगम के पर्याय के रूप में किया जाता है।
उत्तर लिखा · 12/7/2025
कर्म · 680
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भगवान शिव का कोई एक निश्चित स्थान नहीं है। हिंदू धर्म में, उन्हें ब्रह्मांड का हिस्सा माना जाता है और वे हर जगह व्याप्त हैं।

हालांकि, भगवान शिव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण स्थान हैं:

इनके अलावा, भारत और दुनिया भर में भगवान शिव के कई अन्य मंदिर और तीर्थ स्थान हैं।

उत्तर लिखा · 6/7/2025
कर्म · 680
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शिव जी की पाँच पुत्रियों के नाम इस प्रकार हैं:
  • अशोक सुंदरी: इनका उल्लेख लिंग पुराण में मिलता है। मान्यता है कि इनका विवाह भगवान विष्णु के अवतार नहुष से हुआ था।स्रोत
  • ज्योति: इनका उल्लेख शिव पुराण में मिलता है।स्रोत
  • मनसा: ये कश्यप ऋषि की पुत्री थीं और इन्हें नागों की देवी के रूप में पूजा जाता है।स्रोत
  • वासुकी: ये नागों के राजा वासुकी की बहन थीं।
  • अनुसूया: ये अत्रि ऋषि की पत्नी थीं और अपने पतिव्रत धर्म के लिए जानी जाती हैं।
उत्तर लिखा · 30/6/2025
कर्म · 680
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डर को दूर करने के लिए कई मंत्र हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं:
  • गायत्री मंत्र: यह मंत्र भय और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक माना जाता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र: यह मंत्र मृत्यु के भय और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए उपयोगी है।
  • हनुमान चालीसा: हनुमान चालीसा का पाठ करने से डर और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मंत्रों का जाप करते समय श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए।

उत्तर लिखा · 26/6/2025
कर्म · 680