
धर्म
दीया बाती के लिए कई मंत्र हैं, जो अलग-अलग परंपराओं और उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं। यहाँ कुछ सामान्य मंत्र दिए गए हैं:
1. शुभं करोति कल्याणं:
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।
अर्थ: जो शुभ, कल्याण, आरोग्य और धन-संपदा प्रदान करता है। शत्रु बुद्धि का नाश करने वाली दीप ज्योति को नमस्कार हो।
2. दीपज्योतिः परब्रह्म:
दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरति मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।
अर्थ: दीपज्योति परब्रह्म है, दीपज्योति जनार्दन (विष्णु) है। दीप मेरे पापों को हरता है, दीपज्योति को नमस्कार हो।
3. एक अन्य मंत्र:
घृतवर्तिसमायुक्तं तेजो यत्र स्वयं स्थितम्।
अकालमृत्युहरणं दीपं पश्यामि नोऽशुभम्।।
अर्थ: घी और बत्ती से युक्त, जहाँ तेज स्वयं स्थित है। अकाल मृत्यु को हरने वाले दीप को मैं देखता हूँ, कोई अशुभ नहीं होता।
इन मंत्रों का जाप करते समय, दीया को प्रज्ज्वलित करें और श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करें।
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान शनिदेव का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म सौराष्ट्र (गुजरात) में हुआ था।
शनिदेव के जन्मस्थान के बारे में विभिन्न मत हो सकते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि वे सूर्य देव के पुत्र हैं।
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भारतीय संस्कृति में, कुछ विशेष दिनों में बाल काटना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों में बाल कटवाने से दुर्भाग्य आ सकता है। यहां कुछ ऐसे दिन दिए गए हैं जब बाल कटवाने से बचना चाहिए:
- मंगलवार: मंगलवार को बाल कटवाना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे आयु कम होती है।
- गुरुवार: गुरुवार को बाल कटवाने से धन और ज्ञान की हानि होती है। भास्कर
- शनिवार: शनिवार को बाल कटवाने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे शारीरिक और मानसिक कष्ट हो सकते हैं।
- अमावस्या और पूर्णिमा: इन तिथियों पर भी बाल कटवाना शुभ नहीं माना जाता है।
- एकादशी: एकादशी के दिन भी बाल कटवाने से बचना चाहिए।
यह मान्यताएं धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित हैं और व्यक्तिगत आस्था पर निर्भर करती हैं।
- भगवान शिव: बेल का वृक्ष भगवान शिव को बहुत प्रिय है और माना जाता है कि इसमें उनका वास होता है।
- देवी लक्ष्मी: कुछ मान्यताओं के अनुसार, बेल के वृक्ष में देवी लक्ष्मी का भी वास होता है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं।
- देवी पार्वती: यह भी माना जाता है कि देवी पार्वती भी बेल के वृक्ष में निवास करती हैं।
इसलिए, बेल का वृक्ष एक पवित्र वृक्ष माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है।
- पक्षी: बरगद का पेड़ घनी पत्तियों और मजबूत शाखाओं वाला होता है, जो पक्षियों को घोंसला बनाने और रहने के लिए एक सुरक्षित जगह प्रदान करता है। कई प्रकार के पक्षी, जैसे कि कोयल, मैना, तोता और चील, बरगद के पेड़ पर अपना घर बनाते हैं।
- जानवर: गिलहरी, बंदर, और चमगादड़ जैसे जानवर भी बरगद के पेड़ पर रहते हैं और इसके फल और पत्तियों को खाते हैं।
- कीड़े: बरगद के पेड़ में कई प्रकार के कीड़े भी पाए जाते हैं, जो इसकी पत्तियों, जड़ों और तनों को खाते हैं।
- सूक्ष्मजीव: बरगद के पेड़ की जड़ों में कई प्रकार के सूक्ष्मजीव भी पाए जाते हैं, जो पेड़ को पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करते हैं।
"मोहन मधु हो जाए भक्ति" एक भक्तिमय अभिव्यक्ति है जो भगवान कृष्ण (मोहन) के प्रति प्रेम और समर्पण को दर्शाती है। इसका अर्थ कई स्तरों पर समझा जा सकता है:
- मोहन: यहां, मोहन भगवान कृष्ण को संदर्भित करता है, जो अपनी सुंदरता, आकर्षण और दिव्य गुणों के लिए जाने जाते हैं।
- मधु: मधु का अर्थ है शहद, जो मिठास और आनंद का प्रतीक है।
- हो जाए भक्ति: इसका अर्थ है भक्ति में डूब जाना या भक्ति का मधुमय हो जाना।
अर्थ:
इस पूरी अभिव्यक्ति का अर्थ है कि भक्त भगवान कृष्ण के प्रेम में इतना डूब जाता है कि उसकी भक्ति शहद की तरह मीठी और आनंदमय हो जाती है। यह भक्ति एक ऐसी अवस्था है जहां भक्त को भगवान के साथ एक गहरा और मधुर संबंध महसूस होता है। यह प्रेम और समर्पण इतना तीव्र होता है कि भक्त को हर चीज में भगवान की उपस्थिति का अनुभव होता है।
दूसरे शब्दों में, "मोहन मधु हो जाए भक्ति" का अर्थ है भगवान कृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रेम से उत्पन्न होने वाली आनंदमय भक्ति की अवस्था।
यह अभिव्यक्ति अक्सर भक्ति संगीत, भजनों और कविताओं में पाई जाती है, जो भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की गहराई को व्यक्त करती है।
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