
व्याकरण
उदाहरण के लिए:
- "मुझे यह पसंद नहीं है, क्या कोई अन्य विकल्प है?"
- "अन्य लोग भी ऐसा ही सोचते हैं।"
- "यह एक अन्य समस्या है जिसे हमें हल करने की आवश्यकता है।"
संक्षेप में, "अन्य" का अर्थ है "दूसरा", "कोई और" या "अलग"।
- कन्या का नाम क्या है?
- यह घटना कब हुई?
- इस घटना का महत्व क्या है?
वर्ण लेखन के कुछ उदाहरणों में रोमन लिपि (अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच), सिरिलिक लिपि (रूसी, बल्गेरियाई), और ग्रीक लिपि शामिल हैं। वर्ण लेखन का उपयोग दुनिया भर में कई भाषाओं द्वारा किया जाता है और यह संचार और प्रलेखन का एक महत्वपूर्ण साधन है।
यह हिन्दी व्याकरण का नियम है जिसके अनुसार एकवचन संज्ञा को बहुवचन में बदलने के लिए उसमें कुछ प्रत्यय जोड़े जाते हैं।
यदि एक विद्यार्थी है तो उसे छात्र कहते हैं, लेकिन यदि बहुत सारे विद्यार्थी हों तो उन्हें छात्रों कहा जाएगा।
उदाहरण:
- "कक्षा में एक छात्र बैठा है।"
- "कक्षा में कई छात्र बैठे हैं।"
ये 14 सूत्र निम्नलिखित हैं:
- अइउण्।
- ऋलृक्।
- एओङ्।
- ऐऔच्।
- हयवरट्।
- लण्।
- ञमङणनम्।
- झभञ्।
- घढधष्।
- जबगडदश्।
- खफछठथचटतव्।
- कपय्।
- शषसर्।
- हल्।
ये सूत्र प्रत्याहार बनाने में भी उपयोगी होते हैं, जो वर्णों के समूहों को संक्षेप में दर्शाते हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं:
हिंदी व्याकरण में समास एक महत्वपूर्ण विषय है। समास का अर्थ है 'संक्षेप'। यह दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में, शब्दों के बीच की विभक्ति चिह्न हटा दिए जाते हैं।
समास के मुख्य भेद:
- अव्ययीभाव समास: जिस समास में पहला पद अव्यय हो और वह प्रधान हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
- उदाहरण: यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार), प्रतिदिन (प्रत्येक दिन)
- तत्पुरुष समास: जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो और पहले पद में कारक विभक्ति का लोप हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
- उदाहरण: राजपुत्र (राजा का पुत्र), कर्मवीर (कर्म में वीर)
- कर्मधारय समास: जिस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य हो या उपमेय-उपमान संबंध हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
- उदाहरण: नीलकमल (नीला है जो कमल), चंद्रमुख (चंद्र के समान मुख)
- द्विगु समास: जिस समास में पहला पद संख्यावाचक हो और वह समूह का बोध कराए, उसे द्विगु समास कहते हैं।
- उदाहरण: त्रिकोण (तीन कोणों का समूह), पंचवटी (पांच वटों का समूह)
- द्वंद्व समास: जिस समास में दोनों पद प्रधान हों और 'और', 'या', 'अथवा' जैसे योजक शब्दों का लोप हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
- उदाहरण: माता-पिता (माता और पिता), राम-लक्ष्मण (राम और लक्ष्मण)
- बहुव्रीहि समास: जिस समास में कोई भी पद प्रधान न हो और वह किसी तीसरे पद की ओर संकेत करे, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
- उदाहरण: नीलकंठ (नीला है कंठ जिसका - शिव), लंबोदर (लंबा है उदर जिसका - गणेश)
समास की पहचान के लिए कुछ अतिरिक्त बातें:
- समास विग्रह करके देखें: समास को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसका विग्रह करें और देखें कि विग्रह करने पर क्या अर्थ निकलता है।
- पदों के बीच संबंध देखें: समास में पदों के बीच किस प्रकार का संबंध है, यह देखकर भी समास की पहचान की जा सकती है।
- पहला पद प्रधान है या दूसरा: किस पद का अर्थ अधिक महत्वपूर्ण है, इससे भी समास पहचानने में मदद मिलती है।