
राज्य
छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 33 जिले हैं।
यहां जिलों की सूची दी गई है:
- बलरामपुर
- बलौदाबाजार
- बस्तर
- बेमेतरा
- बीजापुर
- बिलासपुर
- दंतेवाड़ा
- धमतरी
- गरियाबंद
- गौरेला-पेंड्रा-मरवाही
- जांजगीर-चांपा
- जशपुर
- कबीरधाम
- कांकेर
- कोंडागांव
- कोरबा
- कोरिया
- महासमुंद
- मुंगेली
- नारायणपुर
- रायगढ़
- रायपुर
- राजनांदगांव
- सुकमा
- सूरजपुर
- सरगुजा
- सक्ति
- सारंगढ़-बिलाईगढ़
- खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
- मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी
- मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर
- दुर्ग
- दुर्गकोंदल
अधिक जानकारी के लिए, आप छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक वेबसाइट देख सकते हैं: https://cg.gov.in/
उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने यूसीसी (समान नागरिक संहिता) लागू किया है। यह 27 जनवरी 2025 से लागू हुआ।
हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि गोवा में पहले से ही औपनिवेशिक काल से यूसीसी लागू था, और 1961 में भारत का हिस्सा बनने के बाद भी यह जारी रहा। इसलिए, कुछ स्रोतों के अनुसार, उत्तराखंड स्वतंत्र भारत में यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य है।
- उत्तराखंड (27 जनवरी 2025)
- गोवा (औपनिवेशिक काल से)
वर्तमान में, भारत में 28 राज्य हैं।
इनके अतिरिक्त, भारत में 8 केंद्र शासित प्रदेश भी हैं।
नवीनतम जानकारी के लिए, आप भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट देख सकते हैं: india.gov.in
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:
स्वायत्तता:
- राज्य: राज्यों के पास अपनी चुनी हुई सरकार होती है, जिसके पास अपने क्षेत्रों में कानून बनाने और शासन करने की अधिक स्वायत्तता होती है।
- केंद्र शासित प्रदेश: केंद्र शासित प्रदेश सीधे केंद्र सरकार द्वारा शासित होते हैं, हालांकि कुछ में निर्वाचित विधानसभाएं हो सकती हैं, लेकिन उनकी शक्तियां सीमित होती हैं।
शासन:
- राज्य: राज्य में राज्यपाल (Governor) राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते हैं, लेकिन वास्तविक कार्यकारी शक्ति मुख्यमंत्री (Chief Minister) के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद के पास होती है।
- केंद्र शासित प्रदेश: केंद्र शासित प्रदेशों में, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक (Administrator) या उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) शासन करते हैं, जो केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं।
प्रतिनिधित्व:
- राज्य: राज्य, संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में अपने प्रतिनिधि भेजते हैं।
- केंद्र शासित प्रदेश: केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व भी संसद में होता है, लेकिन यह राज्यों की तुलना में कम होता है।
आकार और जनसंख्या:
- राज्य: राज्य आमतौर पर बड़े होते हैं और इनकी जनसंख्या भी अधिक होती है।
- केंद्र शासित प्रदेश: केंद्र शासित प्रदेश आकार और जनसंख्या दोनों में छोटे होते हैं।
उद्देश्य:
- राज्य: राज्यों का गठन भाषाई, सांस्कृतिक या ऐतिहासिक कारणों से किया जाता है।
- केंद्र शासित प्रदेश: केंद्र शासित प्रदेशों को प्रशासनिक सुविधा, रणनीतिक महत्व या सांस्कृतिक विशिष्टता के कारण केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में रखा जाता है।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन स्रोतों को देख सकते हैं:
केंद्र और राज्य के बीच मुख्य अंतर उनकी शक्तियों और जिम्मेदारियों के वितरण में निहित है, जो भारतीय संविधान द्वारा परिभाषित है।
केंद्र सरकार:
- पूरे देश के लिए नीतियां बनाती है और कानून लागू करती है।
- रक्षा, विदेश मामले, मुद्रा और संचार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर इसका अधिकार होता है।
- केंद्र सरकार राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करती है और राष्ट्रीय एकता बनाए रखती है।
राज्य सरकार:
- अपने राज्य के भीतर कानून और व्यवस्था बनाए रखती है।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और स्थानीय विकास जैसे क्षेत्रों में नीतियां बनाती है।
- राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करती है, लेकिन अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र होती है।
संक्षेप में, केंद्र सरकार राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के स्थानीय मामलों का प्रबंधन करती हैं। दोनों सरकारें मिलकर देश के शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार हैं। अधिक जानकारी के लिए, आप भारत के संविधान का अध्ययन कर सकते हैं (https://legislative.gov.in/constitution-of-india)।
धर्म को राज्य की स्थिरता के लिए उपयोगी मानने वाले विचारकों में कुछ प्रमुख नाम शामिल हैं:
- निकोलो मैकियावेली: मैकियावेली ने अपनी रचना 'द प्रिंस' में धर्म को राज्य के लिए एक उपकरण के रूप में देखा। उनका मानना था कि शासक को धर्म का उपयोग प्रजा को नियंत्रित करने और राज्य में व्यवस्था बनाए रखने के लिए करना चाहिए।
- थॉमस हॉब्स: हॉब्स ने 'लेविथान' में सामाजिक व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता के लिए एक शक्तिशाली संप्रभु की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने धर्म को संप्रभु के अधिकार के अधीन रखने का समर्थन किया ताकि धार्मिक संघर्षों से बचा जा सके।
- जीन-जैक्स रूसो: रूसो ने 'द सोशल कॉन्ट्रैक्ट' में एक 'नागरिक धर्म' की वकालत की, जो देशभक्ति और सामाजिक एकता को बढ़ावा दे। उनका मानना था कि यह धर्म राज्य के नागरिकों को नैतिक रूप से बांधे रखेगा।
इन विचारकों ने अलग-अलग दृष्टिकोणों से धर्म को राज्य के लिए उपयोगी माना, लेकिन सभी का मानना था कि धर्म का उपयोग सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में किया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन स्रोतों को देख सकते हैं: