
पशुपालन
- गाय: गाय एक महत्वपूर्ण पालतू पशु है। यह दूध देती है, जिसका उपयोग हम दही, पनीर, घी और अन्य डेयरी उत्पादों को बनाने में करते हैं। इसके गोबर का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है और यह ईंधन के रूप में भी काम आता है। [1]
- भैंस: भैंस भी दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है और इसका दूध गाय के दूध से अधिक वसायुक्त होता है। भैंस का दूध भी डेयरी उत्पादों के लिए उपयोग किया जाता है।
- बैल: बैल का उपयोग कृषि कार्यों में, जैसे कि खेत जोतने और भार ढोने में किया जाता है।
- मुर्गी: मुर्गी अंडे और मांस का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है और इसे व्यावसायिक रूप से भी पाला जाता है। [2]
- बकरी: बकरी दूध और मांस दोनों के लिए पाली जाती है। यह कम लागत में पाली जा सकती है और गरीब किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है।
- भेड़: भेड़ ऊन और मांस के लिए पाली जाती है। ऊन का उपयोग वस्त्र बनाने में होता है और मांस का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है।
- घोड़ा: घोड़े का उपयोग सवारी करने और सामान ढोने के लिए किया जाता है।
- कुत्ता: कुत्ता एक वफादार पालतू जानवर है और इसका उपयोग घर की रखवाली, शिकार और अन्य कार्यों में किया जाता है।
- बिल्ली: बिल्ली चूहों और अन्य कीटों को नियंत्रित करने में मदद करती है और यह एक लोकप्रिय पालतू जानवर भी है।
"आंगनवाड़ी" शब्द हिंदी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "आँगन आश्रय"। यह भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक प्रकार का ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र है।
आंगनवाड़ी कार्यक्रम 1975 में एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम के एक भाग के रूप में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा में सुधार करना है। आंगनवाड़ी केंद्र आमतौर पर गांवों और शहरी झुग्गी बस्तियों में स्थित होते हैं। वे 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को सेवाएं प्रदान करते हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थानीय समुदायों से भर्ती किया जाता है और उन्हें स्वास्थ्य, पोषण और बाल विकास में प्रशिक्षित किया जाता है। वे बच्चों को पूरक पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और पूर्व-विद्यालय शिक्षा प्रदान करते हैं। वे गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा प्रदान करते हैं।
आंगनवाड़ी कार्यक्रम भारत में बच्चों के स्वास्थ्य और विकास में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
81 गायें कुल कितना दूध देती हैं, यह बता पाना संभव नहीं है क्योंकि यह गायों की नस्ल, उनकी उम्र, उनके स्वास्थ्य और उनके भोजन पर निर्भर करता है। अलग-अलग गायें अलग-अलग मात्रा में दूध देती हैं।
यदि किसान के नौ बेटे हैं और सभी को बराबर दूध मिलना चाहिए, तो प्रत्येक बेटे को 9 गायें मिलेंगी (81 गायें / 9 बेटे = 9 गायें/बेटा)।
किस नंबर की गाय किस बेटे के पास आएगी, यह निर्धारित करने के लिए, आप गायों को 1 से 81 तक नंबर दे सकते हैं और फिर उन्हें बेटों के बीच क्रमबद्ध तरीके से बाँट सकते हैं। उदाहरण के लिए:
- बेटा 1: गायें 1-9
- बेटा 2: गायें 10-18
- बेटा 3: गायें 19-27
- बेटा 4: गायें 28-36
- बेटा 5: गायें 37-45
- बेटा 6: गायें 46-54
- बेटा 7: गायें 55-63
- बेटा 8: गायें 64-72
- बेटा 9: गायें 73-81
यह केवल एक उदाहरण है। आप गायों को किसी भी क्रम में बाँट सकते हैं, जब तक कि प्रत्येक बेटे को 9 गायें मिलें।