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यहाँ गृहच्छेद के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
- किसी घर में खिड़की तोड़कर घुसना
- किसी दुकान में दीवार तोड़कर घुसना
- किसी बैंक में छत तोड़कर घुसना
गृहच्छेद को रोकने के लिए कुछ सुझाव:
- अपने घर के सभी दरवाजों और खिड़कियों को अच्छी तरह से बंद रखें।
- अपने घर में एक सुरक्षा प्रणाली स्थापित करें।
- अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर एक सामुदायिक निगरानी कार्यक्रम शुरू करें।
यदि आप गृहच्छेद का शिकार होते हैं, तो तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें।
हिंदी व्याकरण में समास एक महत्वपूर्ण विषय है। समास का अर्थ है 'संक्षेप'। यह दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में, शब्दों के बीच की विभक्ति चिह्न हटा दिए जाते हैं।
समास के मुख्य भेद:
- अव्ययीभाव समास: जिस समास में पहला पद अव्यय हो और वह प्रधान हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
- उदाहरण: यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार), प्रतिदिन (प्रत्येक दिन)
- तत्पुरुष समास: जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो और पहले पद में कारक विभक्ति का लोप हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
- उदाहरण: राजपुत्र (राजा का पुत्र), कर्मवीर (कर्म में वीर)
- कर्मधारय समास: जिस समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य हो या उपमेय-उपमान संबंध हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
- उदाहरण: नीलकमल (नीला है जो कमल), चंद्रमुख (चंद्र के समान मुख)
- द्विगु समास: जिस समास में पहला पद संख्यावाचक हो और वह समूह का बोध कराए, उसे द्विगु समास कहते हैं।
- उदाहरण: त्रिकोण (तीन कोणों का समूह), पंचवटी (पांच वटों का समूह)
- द्वंद्व समास: जिस समास में दोनों पद प्रधान हों और 'और', 'या', 'अथवा' जैसे योजक शब्दों का लोप हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
- उदाहरण: माता-पिता (माता और पिता), राम-लक्ष्मण (राम और लक्ष्मण)
- बहुव्रीहि समास: जिस समास में कोई भी पद प्रधान न हो और वह किसी तीसरे पद की ओर संकेत करे, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
- उदाहरण: नीलकंठ (नीला है कंठ जिसका - शिव), लंबोदर (लंबा है उदर जिसका - गणेश)
समास की पहचान के लिए कुछ अतिरिक्त बातें:
- समास विग्रह करके देखें: समास को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसका विग्रह करें और देखें कि विग्रह करने पर क्या अर्थ निकलता है।
- पदों के बीच संबंध देखें: समास में पदों के बीच किस प्रकार का संबंध है, यह देखकर भी समास की पहचान की जा सकती है।
- पहला पद प्रधान है या दूसरा: किस पद का अर्थ अधिक महत्वपूर्ण है, इससे भी समास पहचानने में मदद मिलती है।
- अग्नि: आग, अनल, पावक, ज्वाला, दहन, वह्नि, कृशानु।
- अमृत: सुधा, पीयूष, सोम, अमी, सुरभोग।
- आँख: नेत्र, नयन, लोचन, चक्षु, दृग, विलोचन, अक्ष।
- आकाश: गगन, नभ, आसमान, व्योम, अंबर, अंतरिक्ष, शून्य।
- इच्छा: कामना, अभिलाषा, चाह, आकांक्षा, ईप्सा, मनोरथ।
- कमल: पंकज, नीरज, सरोज, जलज, अंबुज, वारिज, राजीव।
- घर: गृह, सदन, भवन, आवास, आलय, निकेतन, गेह।
- चंद्रमा: चाँद, शशि, मयंक, राकेश, सुधांशु, इंदु, सोम।
- जल: पानी, नीर, सलिल, तोय, वारि, अंबु, जीवन।
- पहाड़: पर्वत, शैल, गिरि, अचल, नग, भूधर, महीधर।
- पृथ्वी: धरती, भूमि, जमीन, धरा, वसुधा, वसुंधरा, भू।
- बादल: मेघ, घन, जलद, वारिद, नीरद, अंबुद, पयोद।
- सूर्य: रवि, सूरज, दिनकर, दिवाकर, भास्कर, आदित्य, भानु।
- हाथी: गज, हस्ती, मतंग, कुंजर, करी, द्विप, वारण।
- अग्नि: आग, अनल, पावक, ज्वाला
- आँख: नेत्र, लोचन, चक्षु, नयन
- आकाश: गगन, नभ, आसमान, व्योम
- ईश्वर: भगवान, प्रभु, परमात्मा, परमेश्वर
- कमल: पंकज, नीरज, जलज, सरोज
- घर: गृह, सदन, भवन, आवास
- चंद्रमा: चाँद, शशि, मयंक, राकेश
- जल: पानी, नीर, वारि, तोय
- पहाड़: पर्वत, शैल, गिरि, अचल
- पृथ्वी: भूमि, धरती, वसुधा, जमीन
- फूल: पुष्प, सुमन, कुसुम, मंजरी
- बादल: मेघ, घन, जलधर, वारिद
- सूर्य: रवि, सूरज, भास्कर, दिनकर
- हाथी: गज, हस्ती, मतंग, करी
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वर्णमाला: वर्णमाला अक्षरों या वर्णों के एक व्यवस्थित समूह को कहते हैं। किसी भी भाषा की वर्णमाला उस भाषा के सभी मूल अक्षरों को एक निश्चित क्रम में प्रस्तुत करती है।
हिंदी वर्णमाला को दो मुख्य भागों में बांटा गया है:
- स्वर (Vowels): ये वे वर्ण होते हैं जिन्हें बोलने के लिए किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती। हिंदी में मुख्य रूप से 11 स्वर होते हैं: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
- व्यंजन (Consonants): ये वे वर्ण होते हैं जिन्हें बोलने के लिए स्वरों की सहायता की आवश्यकता होती है। हिंदी में 33 व्यंजन होते हैं, जिन्हें विभिन्न वर्गों में बांटा गया है, जैसे: क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग, अंतःस्थ व्यंजन, और ऊष्म व्यंजन।
इसके अतिरिक्त, कुछ संयुक्त व्यंजन और आगत ध्वनियाँ भी होती हैं, जिनका उपयोग हिंदी में किया जाता है।
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