
पौराणिक कथा
पारस पत्थर का कोई ज्ञात भौतिक अस्तित्व नहीं है और न ही यह दुनिया में कहीं भी पाया जाता है। यह केवल कहानियों और किंवदंतियों में मौजूद है।
ऐसी कई जगहें हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां पारस पत्थर पाया जाता है, लेकिन इनमें से किसी भी दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कुछ लोकप्रिय स्थानों में शामिल हैं:
- हिमालय पर्वत
- गंगा नदी
- विंध्याचल पर्वत
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पारस पत्थर केवल एक मिथक है। इसका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है।
महर्षि दधीचि की हड्डियों से बने अस्त्र, जिसे वज्र कहा गया, से इंद्र ने वृत्रासुर का वध किया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृत्रासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवताओं को हराने के बाद, इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। विष्णु ने इंद्र को बताया कि वृत्रासुर को केवल दधीचि की हड्डियों से बने वज्र से ही मारा जा सकता है।
महर्षि दधीचि एक महान तपस्वी थे और उनकी हड्डियों में अद्भुत शक्ति थी। इंद्र ने उनसे उनकी हड्डियाँ दान में मांगी। दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपनी हड्डियाँ दान कर दीं।
इंद्र ने दधीचि की हड्डियों से वज्र बनाया और उससे वृत्रासुर का वध किया।
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हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान शनिदेव का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म सौराष्ट्र (गुजरात) में हुआ था।
शनिदेव के जन्मस्थान के बारे में विभिन्न मत हो सकते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि वे सूर्य देव के पुत्र हैं।
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सावित्री के पति का नाम सत्यवान था।
कथा: सावित्री और सत्यवान की कहानी भारतीय संस्कृति में पतिव्रता धर्म और प्रेम की पराकाष्ठा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से भी छीन लिया था।
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नचिकेता एक प्राचीन भारतीय कहानी का एक पात्र है, जो कठोपनिषद में वर्णित है। वह ऋषि वाजश्रवस (उद्दालक) का पुत्र था। नचिकेता को उसकी जिज्ञासा, साहस और सत्य के प्रति अटूट निष्ठा के लिए जाना जाता है।
कहानी इस प्रकार है: वाजश्रवस एक यज्ञ करते हैं और अपनी बूढ़ी और बेकार गायों को दान में देने लगते हैं। नचिकेता, जो अपने पिता की कंजूसी से परेशान है, उनसे पूछता है कि वे उसे किसे दान करेंगे। वह बार-बार यह प्रश्न पूछता है, जिससे क्रोधित होकर वाजश्रवस कहते हैं, "मैं तुम्हें मृत्यु को दान कर दूंगा।"
अपने पिता के वचनों का पालन करते हुए, नचिकेता यम (मृत्यु के देवता) के निवास पर जाता है। यम तीन दिनों के लिए बाहर गए हुए थे, इसलिए नचिकेता बिना भोजन या पानी के उनकी प्रतीक्षा करता है। जब यम लौटते हैं, तो वे नचिकेता के धैर्य और तपस्या से प्रसन्न होते हैं और उसे तीन वरदान देने की पेशकश करते हैं।
नचिकेता पहले वरदान के रूप में अपने पिता का क्रोध शांत करने और उनके द्वारा स्नेह प्राप्त करने की प्रार्थना करता है। दूसरे वरदान में, वह अग्नि विद्या (अग्नि अनुष्ठान का ज्ञान) के बारे में जानना चाहता है जो स्वर्ग की ओर ले जाती है। तीसरे वरदान में, वह मृत्यु के रहस्य और आत्मा की प्रकृति के बारे में जानना चाहता है।
यम पहले दो वरदान आसानी से दे देते हैं, लेकिन तीसरे वरदान के लिए नचिकेता को हतोत्साहित करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि यह एक गहरा और जटिल विषय है। यम उसे सांसारिक सुख, धन, शक्ति और दीर्घायु प्रदान करते हैं, लेकिन नचिकेता दृढ़ रहता है और मृत्यु के रहस्य को जानने पर अड़ा रहता है।
अंततः, यम नचिकेता की दृढ़ता और सत्य के प्रति उसकी प्यास से प्रभावित होते हैं और उसे आत्म-ज्ञान का उपदेश देते हैं। यम उसे बताते हैं कि आत्मा अविनाशी है और यह शरीर, मन और बुद्धि से अलग है। वे उसे बताते हैं कि जो लोग आत्मा को जान लेते हैं, वे मृत्यु के भय से मुक्त हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
नचिकेता की कहानी भारतीय दर्शन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह जिज्ञासा, साहस, सत्य के प्रति निष्ठा और आत्म-ज्ञान के महत्व को दर्शाती है।
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नचिकेता एक प्राचीन भारतीय बालक थे, जिनका उल्लेख कठोपनिषद में मिलता है।
कथा:
- नचिकेता वाजश्रवस (उद्दालक) ऋषि के पुत्र थे।
- वाजश्रवस ने एक यज्ञ किया जिसमें उन्होंने अपनी बूढ़ी और कमजोर गायों को दान कर दिया।
- नचिकेता ने अपने पिता से पूछा कि वे उसे किसे दान करेंगे।
- बार-बार पूछने पर, क्रोधित होकर वाजश्रवस ने कहा कि वे उसे मृत्यु के देवता यम को दान करेंगे।
- नचिकेता यमलोक चले गए, लेकिन यम तीन दिन के लिए बाहर गए हुए थे।
- जब यम लौटे, तो उन्होंने नचिकेता को तीन वरदान देने की पेशकश की।
- नचिकेता ने पहला वरदान यह मांगा कि उसके पिता का क्रोध शांत हो जाए।
- दूसरे वरदान में उसने अग्नि विद्या के बारे में पूछा।
- तीसरे वरदान में उसने आत्मा के रहस्य के बारे में जानना चाहा।
- यम ने आत्मा के रहस्य को बताने से इनकार कर दिया, लेकिन नचिकेता दृढ़ रहे।
- अंत में, यम ने नचिकेता को आत्मा का ज्ञान दिया।
नचिकेता को उनकी जिज्ञासा, साहस और सत्य के प्रति निष्ठा के लिए जाना जाता है। कठोपनिषद में नचिकेता और यम के बीच संवाद आत्मा, मृत्यु और ज्ञान के स्वरूप पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
संदर्भ:
वैम्पायर (Vampire), जिन्हें पिशाच या रक्तपिपासु भी कहा जाता है, लोककथाओं और साहित्य में पाए जाने वाले ऐसे प्राणी हैं जो जीवित मनुष्यों या जानवरों का रक्त पीकर जीवित रहते हैं।
वैम्पायर बनने की प्रक्रिया:
- वैम्पायर द्वारा काटना: सबसे आम धारणा यह है कि जब कोई वैम्पायर किसी इंसान को काटता है और उसे पूरी तरह से मारता नहीं है, तो वह इंसान भी वैम्पायर बन जाता है।
- बीमारी या अभिशाप: कुछ कहानियों में, वैम्पायर बनने को एक बीमारी या अभिशाप के रूप में दर्शाया गया है।
- काला जादू: कुछ मान्यताओं के अनुसार, काला जादू या तांत्रिक क्रियाओं के माध्यम से भी कोई व्यक्ति वैम्पायर बन सकता है।
वैम्पायर की उत्पत्ति:
वैम्पायर की कहानियों की उत्पत्ति प्राचीन संस्कृतियों में हुई है। प्राचीन मेसोपोटामिया, मिस्र, ग्रीस और भारत में रक्त पीने वाले राक्षसों की कहानियाँ मिलती हैं। आधुनिक वैम्पायर की छवि 18वीं और 19वीं सदी के यूरोप में विकसित हुई, खासकर बाल्कन और पूर्वी यूरोप में।
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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वैम्पायर केवल लोककथाओं और साहित्य में मौजूद हैं।