
पौराणिक कथा
भगवान कृष्ण का विवाह कई रानियों से हुआ था, जिनमें से आठ प्रमुख थीं जिन्हें अष्टभार्या के नाम से जाना जाता है। इन आठ रानियों के नाम इस प्रकार हैं:
- रुक्मिणी: विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री और कृष्ण की पटरानी। उन्होंने कृष्ण से प्रेम किया और कृष्ण ने उन्हें शिशुपाल से बचाने के लिए उनका हरण कर विवाह किया।
- सत्यभामा: सत्राजित की पुत्री, जिन्होंने कृष्ण को स्यमंतक मणि प्राप्त करने में मदद की।
- जाम्बवती: जाम्बवान की पुत्री, जिनसे कृष्ण ने स्यमंतक मणि के विवाद के बाद विवाह किया।
- कालिंदी: यमुना नदी की देवी, जिन्होंने कृष्ण से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की थी।
- मित्रविंदा: अवंती की राजकुमारी, जिन्होंने स्वयंवर में कृष्ण को चुना था।
- नाग्नजिती (सत्या): कौशल के राजा नाग्नजित की पुत्री, जिन्होंने एक शर्त जीतने के बाद कृष्ण से विवाह किया।
- भद्रा: केकय की राजकुमारी और कृष्ण की पत्नी।
- लक्ष्मणा: राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण की पत्नियों में से एक थीं।
इनके अलावा, कृष्ण ने 16,100 राजकुमारियों को नरकासुर से मुक्त कराने के बाद उनसे भी विवाह किया था, ताकि उन्हें सामाजिक सम्मान मिल सके।
अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न लिंक देख सकते हैं:
- अशोक सुंदरी: इनका उल्लेख लिंग पुराण में मिलता है। मान्यता है कि इनका विवाह भगवान विष्णु के अवतार नहुष से हुआ था।स्रोत
- ज्योति: इनका उल्लेख शिव पुराण में मिलता है।स्रोत
- मनसा: ये कश्यप ऋषि की पुत्री थीं और इन्हें नागों की देवी के रूप में पूजा जाता है।स्रोत
- वासुकी: ये नागों के राजा वासुकी की बहन थीं।
- अनुसूया: ये अत्रि ऋषि की पत्नी थीं और अपने पतिव्रत धर्म के लिए जानी जाती हैं।
कई प्राचीन ग्रंथों और लोककथाओं में इसका उल्लेख मिलता है, लेकिन इसके भौतिक अस्तित्व का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि यह एक आध्यात्मिक प्रतीक है, न कि कोई वास्तविक वस्तु।
इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि पारस पत्थर वास्तव में कहां पाया जाता है।
पारस पत्थर का कोई ज्ञात भौतिक अस्तित्व नहीं है और न ही यह दुनिया में कहीं भी पाया जाता है। यह केवल कहानियों और किंवदंतियों में मौजूद है।
ऐसी कई जगहें हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां पारस पत्थर पाया जाता है, लेकिन इनमें से किसी भी दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कुछ लोकप्रिय स्थानों में शामिल हैं:
- हिमालय पर्वत
- गंगा नदी
- विंध्याचल पर्वत
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पारस पत्थर केवल एक मिथक है। इसका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है।
महर्षि दधीचि की हड्डियों से बने अस्त्र, जिसे वज्र कहा गया, से इंद्र ने वृत्रासुर का वध किया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृत्रासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवताओं को हराने के बाद, इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। विष्णु ने इंद्र को बताया कि वृत्रासुर को केवल दधीचि की हड्डियों से बने वज्र से ही मारा जा सकता है।
महर्षि दधीचि एक महान तपस्वी थे और उनकी हड्डियों में अद्भुत शक्ति थी। इंद्र ने उनसे उनकी हड्डियाँ दान में मांगी। दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपनी हड्डियाँ दान कर दीं।
इंद्र ने दधीचि की हड्डियों से वज्र बनाया और उससे वृत्रासुर का वध किया।
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हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान शनिदेव का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म सौराष्ट्र (गुजरात) में हुआ था।
शनिदेव के जन्मस्थान के बारे में विभिन्न मत हो सकते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि वे सूर्य देव के पुत्र हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित लिंक देख सकते हैं:
सावित्री के पति का नाम सत्यवान था।
कथा: सावित्री और सत्यवान की कहानी भारतीय संस्कृति में पतिव्रता धर्म और प्रेम की पराकाष्ठा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से भी छीन लिया था।
आप इस बारे में और जानकारी निम्न स्रोत पर पढ़ सकते हैं: