
बीमा
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बैंक में जीवन बीमा कराने से मृत्यु होने पर पैसा मिलता है। जीवन बीमा एक ऐसा अनुबंध है जिसमें बीमा कंपनी बीमाधारक की मृत्यु होने पर नामांकित व्यक्ति को एक निश्चित राशि का भुगतान करने का वादा करती है। यह राशि बीमाधारक द्वारा चुने गए बीमा योजना और प्रीमियम पर निर्भर करती है।
- सावधि जीवन बीमा (Term Life Insurance): यह बीमा एक निश्चित अवधि के लिए होता है। यदि इस अवधि के दौरान बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है, तो नामांकित व्यक्ति को बीमा राशि मिलती है।
- संपूर्ण जीवन बीमा (Whole Life Insurance): यह बीमा पूरे जीवन के लिए होता है और इसमें एक नकद मूल्य भी शामिल होता है जो समय के साथ बढ़ता है।
- यूनिट लिंक्ड बीमा योजना (ULIP): यह बीमा और निवेश का मिश्रण है। इसमें बीमा राशि के साथ-साथ निवेश का भी लाभ मिलता है।
अधिक जानकारी के लिए, आप विभिन्न बैंकों और बीमा कंपनियों की वेबसाइटों पर जा सकते हैं:
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लाइफ इंश्योरेंस-टर्म प्लान
मानव जीवन में प्राकृतिक और दुर्घटनावश कारणों से मृत्यु होने का खतरा सामने रहता है। जब किसी व्यक्ति की मौत होती है या वो विकलांग हो जाता है तो परिवार के लिए आय खत्म हो जाती है। परिवार के लिए जीवन बिताना कठिन हो जाता है। अपने परिवार को इस तरह की परिस्थितियों से बचाने के लिए आप सीधे एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं।
आपका जीवन आपके परिवार वालों के लिए अमूल्य होता है। मुख्य कमाने वाला परिवार को आय मुहैया कराता है इसलिए परिवार के मुख्य आजीविका धारक की जिंदगी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर किसी दुर्घटनावश उसे कुछ हो जाता है तो परिवार को आय मिलनी बंद हो जाती है। अगर परिवार के मुख्य कमाने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है या वो शारीरिक रूप से असमर्थ हो जाता है लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उसके परिवार को एक निश्चित रकम आय के रूप में उपलब्ध कराती है। लाइफ इंश्योरेंस बहुत से रुप में आते हैं। पहला पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि इंश्योरेंस के क्षेत्र में बदलते समय के मुताबिक टर्म प्लान में बचत और निवेश को भी शामिल किया गया है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रकार यहां बताए गए हैं
1.टर्म इंश्योरेंस (शुद्द इंश्योरेंस)
2.एनडाओमेंट पॉलिसी (बचत आधारित)
3.मनी बैक पॉलिसी (बचत आधारित
4.यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) (बचत आधारित, बाजार से जुडी)
आइए टर्म प्लान के बारे में और विस्तार से जानें
टर्म प्लान इंश्योरेंस पॉलिसी का सबसे शुद्ध स्वरूप है। इसमें आपको बहुत ही कम प्रीमियम में काफी ऊंचा कीमत का कवर मिलता है। इस तरह की पॉलिसी पूरी तरह सुरक्षा के लिहाज से ली जाती हैं। टर्म प्लान में हर साल मामूली प्रीमियम देने के बाद आपको कुछ विशेष सालों के लिए कवर मिलता है। साधारणतया टर्म पॉलिसी 10,15,20,25 और 30 सालों के लिए ली जाती हैं।
डेथ बेनेफिट
अगर पॉलिसी की अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो कवर की पूरी राशि नॉमिनी को दे दी जाती है।
मैच्योरिटी बैनेफिट
अगर आप पॉलिसी की पूरी अवधि तक जी जाते हैं तो मैच्योरिटी के समय आपको कोई रकम नहीं मिलती है।
टैक्स बेनेफिट
टर्म प्लान के तहत चुकाए गए प्रीमियम आयकर की धारा 80सी के तहत कर मुक्त हैं।
नए फीचर्स
अब इंश्योरेंस कंपनियां पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति के जोखिम प्रोफाइल के आधार पर अलग अलग प्रीमियम चार्ज करती हैं। उदाहरण के लिए आपका जोखिम प्रोफाइल निम्न बातों के आधार पर तय किया जाता है।
1.मैडिकल हिस्ट्री
आपकी और आपके परिवार की मैडिकल हिस्ट्री प्रीमियम निर्धारण करने में काफी महत्वपूर्ण भाग रखती है। अगर पॉलिसी लेते वक्त आपको कोई मौजूदा बीमारी है (जो जीवन के लिए खतरा भी हो) तो इंश्योरेंस कंपनियां आपसे अतिरिक्त प्रीमियम वसूल सकती हैं जिसे लोडिंग के नाम से जाना जाता है। जिस व्यक्ति को प्री एक्जिजटिंग डिजीज नहीं है उनसे अतिरिक्त प्रीमियम नहीं लिया जाता है।
2.नॉन मैडिकल हिस्ट्री
मैडिकल हिस्ट्री के अलावा आपकी जीवन शैली जैसे धूम्रपान, मदिरापान और व्यव्साय आदि भी प्रीमियम निर्धारित करते समय ध्यान में रखे जाते हैं। अधिकांश तोर पर जो व्यक्ति धूम्रपान करते हैं उनका प्रीमियम धूम्रपान ना करने वाले व्यक्तियों से ज्यादा होता है।
कुछ टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी अतिरिक्त बेनेफिट के साथ आती हैं जिन्हें राइडर कहते हैं:
1.एक्सीडेंटल डेथ बेनेफिट राइडर
इस तरह के राइडर में सामान्य प्रीमियम के साथ कुछ अतिरिक्त प्रीमियम वसूला जाता है, और अगर पॉलिसी धारक की एक्सीडेंट में मौत हो जाती है तो उसके परिवार को बढ़े हुए सम एश्योर्ड के रूप में इसका फायदा मिलता है। हालांकि अगर व्यक्ति की मौत किसी और कारण से होती है तो एक्सीडेंटल बेनेफिट के तहत मिलने वाला अतिरिक्त सम एश्योर्ड नहीं मिलता है।
2. प्रीमियम का रिटर्न
इस तरह के राइडर में पॉलिसी का प्रीमियम साधारणतः ज्यादा होता है और अगर पॉलिसी धारक पॉलिसी टर्म पूरा होने तक जीवत रहता है तो चुकाए गए प्रीमियम वापस कर दिए जाते हैं।
3. प्रीमियम की समाप्ति
इस तरह के राइडर में अगर पॉलिसी होल्डर किसी वजह से पूरी तरह असमर्थ हो जाता है तो उसे आगे के प्रीमियम देने की जरूरत नहीं होती है। भविष्य के सभी प्रीमियम माफ कर दिए जाते हैं। इश्योरेंस कंपनियां इस राइडर के लिए मामूली फीस लेती हैं। ये राइडर शायद आपके इंश्योरेंस का खर्च थोड़ा बढ़ा दे लेकिन अगर किसी वजह से आप असमर्थ हो जाते हैं तो आप बिना पॉलिसी कवर के नहीं रहेंगे।
4. क्रिटिकल इलनेस
इस तरह के राइडर में अगर पॉलिसी धारक को कोई बड़ी बीमारी हो जाती है (जो इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर हो) तो सम एश्योर्ड के बराबर राशि ग्राहक को दी जाती है। इसमें याद रखने वाली बात ये है कि क्रिटिकल इलनेस होने की सूरत में आपको पूरा पैसा मिल जाता है बाद में कोई पैसा नहीं मिलेगा। इसे मेडिक्लेम पॉलिसी की तरह ना लें, जिसमें हॉस्पिटल का खर्च इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दिया जाता है।
ज्यादातर क्रिटिकल इलनेस राइडर में आपके पॉलिसी खरीदने के बाद 90-180 दिन का वेटिंग पीरियड शामिल होता है। इस वेटिंग पीरियड में क्रिटिकल इलनेस के लिए कोई क्लेम नहीं दिया जाता है। आगे चलकर क्रिटिकल इलनेस सामने आने पर भी पॉलिसी होल्डर को कम से कम 30 दिन जीवित रहना चाहिए।
याद रखें लाइफ इंश्योरेंस खरीदना सिर्फ पॉलिसी को चुनने और सालाना प्रीमियम अदा करने से कहीं बड़ी जिम्मेदारी है। साथ ही आपको अपने निवेश को इंश्योरेंस से अलग भी रखना चाहिए। म्यूचुअल फंड, बैंक, कॉर्पोरेट एफडी और अन्य साधनों में रखा पैसा आपकी वैल्थ बढाने का काम करेगा जबकि इंश्योरेंस आपके और आपके परिवार की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
मानव जीवन में प्राकृतिक और दुर्घटनावश कारणों से मृत्यु होने का खतरा सामने रहता है। जब किसी व्यक्ति की मौत होती है या वो विकलांग हो जाता है तो परिवार के लिए आय खत्म हो जाती है। परिवार के लिए जीवन बिताना कठिन हो जाता है। अपने परिवार को इस तरह की परिस्थितियों से बचाने के लिए आप सीधे एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं।
आपका जीवन आपके परिवार वालों के लिए अमूल्य होता है। मुख्य कमाने वाला परिवार को आय मुहैया कराता है इसलिए परिवार के मुख्य आजीविका धारक की जिंदगी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर किसी दुर्घटनावश उसे कुछ हो जाता है तो परिवार को आय मिलनी बंद हो जाती है। अगर परिवार के मुख्य कमाने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है या वो शारीरिक रूप से असमर्थ हो जाता है लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उसके परिवार को एक निश्चित रकम आय के रूप में उपलब्ध कराती है। लाइफ इंश्योरेंस बहुत से रुप में आते हैं। पहला पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि इंश्योरेंस के क्षेत्र में बदलते समय के मुताबिक टर्म प्लान में बचत और निवेश को भी शामिल किया गया है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रकार यहां बताए गए हैं
1.टर्म इंश्योरेंस (शुद्द इंश्योरेंस)
2.एनडाओमेंट पॉलिसी (बचत आधारित)
3.मनी बैक पॉलिसी (बचत आधारित
4.यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) (बचत आधारित, बाजार से जुडी)
आइए टर्म प्लान के बारे में और विस्तार से जानें
टर्म प्लान इंश्योरेंस पॉलिसी का सबसे शुद्ध स्वरूप है। इसमें आपको बहुत ही कम प्रीमियम में काफी ऊंचा कीमत का कवर मिलता है। इस तरह की पॉलिसी पूरी तरह सुरक्षा के लिहाज से ली जाती हैं। टर्म प्लान में हर साल मामूली प्रीमियम देने के बाद आपको कुछ विशेष सालों के लिए कवर मिलता है। साधारणतया टर्म पॉलिसी 10,15,20,25 और 30 सालों के लिए ली जाती हैं।
डेथ बेनेफिट
अगर पॉलिसी की अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो कवर की पूरी राशि नॉमिनी को दे दी जाती है।
मैच्योरिटी बैनेफिट
अगर आप पॉलिसी की पूरी अवधि तक जी जाते हैं तो मैच्योरिटी के समय आपको कोई रकम नहीं मिलती है।
टैक्स बेनेफिट
टर्म प्लान के तहत चुकाए गए प्रीमियम आयकर की धारा 80सी के तहत कर मुक्त हैं।
नए फीचर्स
अब इंश्योरेंस कंपनियां पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति के जोखिम प्रोफाइल के आधार पर अलग अलग प्रीमियम चार्ज करती हैं। उदाहरण के लिए आपका जोखिम प्रोफाइल निम्न बातों के आधार पर तय किया जाता है।
1.मैडिकल हिस्ट्री
आपकी और आपके परिवार की मैडिकल हिस्ट्री प्रीमियम निर्धारण करने में काफी महत्वपूर्ण भाग रखती है। अगर पॉलिसी लेते वक्त आपको कोई मौजूदा बीमारी है (जो जीवन के लिए खतरा भी हो) तो इंश्योरेंस कंपनियां आपसे अतिरिक्त प्रीमियम वसूल सकती हैं जिसे लोडिंग के नाम से जाना जाता है। जिस व्यक्ति को प्री एक्जिजटिंग डिजीज नहीं है उनसे अतिरिक्त प्रीमियम नहीं लिया जाता है।
2.नॉन मैडिकल हिस्ट्री
मैडिकल हिस्ट्री के अलावा आपकी जीवन शैली जैसे धूम्रपान, मदिरापान और व्यव्साय आदि भी प्रीमियम निर्धारित करते समय ध्यान में रखे जाते हैं। अधिकांश तोर पर जो व्यक्ति धूम्रपान करते हैं उनका प्रीमियम धूम्रपान ना करने वाले व्यक्तियों से ज्यादा होता है।
कुछ टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी अतिरिक्त बेनेफिट के साथ आती हैं जिन्हें राइडर कहते हैं:
1.एक्सीडेंटल डेथ बेनेफिट राइडर
इस तरह के राइडर में सामान्य प्रीमियम के साथ कुछ अतिरिक्त प्रीमियम वसूला जाता है, और अगर पॉलिसी धारक की एक्सीडेंट में मौत हो जाती है तो उसके परिवार को बढ़े हुए सम एश्योर्ड के रूप में इसका फायदा मिलता है। हालांकि अगर व्यक्ति की मौत किसी और कारण से होती है तो एक्सीडेंटल बेनेफिट के तहत मिलने वाला अतिरिक्त सम एश्योर्ड नहीं मिलता है।
2. प्रीमियम का रिटर्न
इस तरह के राइडर में पॉलिसी का प्रीमियम साधारणतः ज्यादा होता है और अगर पॉलिसी धारक पॉलिसी टर्म पूरा होने तक जीवत रहता है तो चुकाए गए प्रीमियम वापस कर दिए जाते हैं।
3. प्रीमियम की समाप्ति
इस तरह के राइडर में अगर पॉलिसी होल्डर किसी वजह से पूरी तरह असमर्थ हो जाता है तो उसे आगे के प्रीमियम देने की जरूरत नहीं होती है। भविष्य के सभी प्रीमियम माफ कर दिए जाते हैं। इश्योरेंस कंपनियां इस राइडर के लिए मामूली फीस लेती हैं। ये राइडर शायद आपके इंश्योरेंस का खर्च थोड़ा बढ़ा दे लेकिन अगर किसी वजह से आप असमर्थ हो जाते हैं तो आप बिना पॉलिसी कवर के नहीं रहेंगे।
4. क्रिटिकल इलनेस
इस तरह के राइडर में अगर पॉलिसी धारक को कोई बड़ी बीमारी हो जाती है (जो इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर हो) तो सम एश्योर्ड के बराबर राशि ग्राहक को दी जाती है। इसमें याद रखने वाली बात ये है कि क्रिटिकल इलनेस होने की सूरत में आपको पूरा पैसा मिल जाता है बाद में कोई पैसा नहीं मिलेगा। इसे मेडिक्लेम पॉलिसी की तरह ना लें, जिसमें हॉस्पिटल का खर्च इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दिया जाता है।
ज्यादातर क्रिटिकल इलनेस राइडर में आपके पॉलिसी खरीदने के बाद 90-180 दिन का वेटिंग पीरियड शामिल होता है। इस वेटिंग पीरियड में क्रिटिकल इलनेस के लिए कोई क्लेम नहीं दिया जाता है। आगे चलकर क्रिटिकल इलनेस सामने आने पर भी पॉलिसी होल्डर को कम से कम 30 दिन जीवित रहना चाहिए।
याद रखें लाइफ इंश्योरेंस खरीदना सिर्फ पॉलिसी को चुनने और सालाना प्रीमियम अदा करने से कहीं बड़ी जिम्मेदारी है। साथ ही आपको अपने निवेश को इंश्योरेंस से अलग भी रखना चाहिए। म्यूचुअल फंड, बैंक, कॉर्पोरेट एफडी और अन्य साधनों में रखा पैसा आपकी वैल्थ बढाने का काम करेगा जबकि इंश्योरेंस आपके और आपके परिवार की सुरक्षा के लिए जरूरी है।