
वनस्पति विज्ञान
परियोजना: चने के बीज का अंकुरण
उद्देश्य: चने के बीज के अंकुरण की प्रक्रिया का अवलोकन करना और उसका सचित्र वर्णन करना।
सामग्री:
- मिट्टी से भरा हुआ गमला
- 3-4 भीगे हुए चने के बीज
- पानी
- कैमरा या ड्राइंग सामग्री
- चार्ट पेपर
विधि:
- गमले में मिट्टी भरें।
- 3-4 भीगे हुए चने के बीज मिट्टी में थोड़ा अंदर डालें।
- गमले को छत पर या बालकनी में रखें।
- प्रत्येक दिन थोड़ा-थोड़ा पानी दें।
- गमले में बोए हुए चने में प्रतिदिन होने वाले परिवर्तन का 10 दिनों तक अवलोकन करें।
- अपने परियोजना चार्ट पेपर में उन परिवर्तनों का सचित्र वर्णन करें।
अवलोकन:
दिन 1: चने के बीज मिट्टी में दबे हुए हैं। कोई स्पष्ट परिवर्तन नहीं दिखता।

दिन 2: बीज थोड़े फूल गए हैं क्योंकि उन्होंने पानी सोख लिया है।

दिन 3: कुछ बीजों में से छोटी सफेद जड़ें निकलनी शुरू हो गई हैं।

दिन 4: जड़ें लंबी हो गई हैं और मिट्टी में फैल रही हैं। कुछ बीजों में से छोटा अंकुर निकलना शुरू हो गया है।

दिन 5: अंकुर थोड़े बड़े हो गए हैं और ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं।

दिन 6: अंकुरों में छोटे-छोटे पत्ते निकलने शुरू हो गए हैं।

दिन 7: पौधे थोड़े बड़े हो गए हैं और उनमें और पत्ते निकल रहे हैं।

दिन 8: पौधे और भी बड़े हो गए हैं और उनमें कई पत्ते हैं।

दिन 9: पौधे तेजी से बढ़ रहे हैं और मजबूत हो रहे हैं।

दिन 10: पौधे अब छोटे चने के पौधे बन गए हैं।

निष्कर्ष:
इस परियोजना से हमने सीखा कि चने के बीज को अंकुरित होने के लिए पानी, हवा और धूप की आवश्यकता होती है। हमने यह भी सीखा कि पौधे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और उनमें कई परिवर्तन होते हैं।
यहाँ स्वपोषी, परपोषी, मृतजीवी और सहजीवी पादपों के उदाहरण उनके चित्रों के साथ दिए गए हैं:
स्वपोषी पादप वे होते हैं जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की प्रक्रिया द्वारा सूर्य के प्रकाश, पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके अपना भोजन (ग्लूकोज) बनाते हैं।
उदाहरण: आम का पेड़

परपोषी पादप वे होते हैं जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते और भोजन के लिए अन्य पौधों या जीवों पर निर्भर रहते हैं।
उदाहरण: अमरबेल (Dodder)

मृतजीवी पादप वे होते हैं जो मृत और सड़े हुए कार्बनिक पदार्थों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
उदाहरण: मशरूम (Mushroom)

सहजीवी पादप वे होते हैं जो अन्य जीवों के साथ सहजीवी संबंध में रहते हैं और एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हैं।
उदाहरण: लाइकेन (Lichen)

यदि फ्लोएम का कोई यांत्रिक कार्य नही है...!
फ्लोएम पौधों में पाया जाने वाला एक संवहन ऊतक है, दूसरा संवहन ऊतक जाइलम है। फ्लोएम एक जटिल स्थाई ऊतक है। यह संवहन वंडल के अन्दर पाया जाता है। इसका निर्माण चार प्रकार की कोशिकाओं से हुआ है।
१. चालनी नलिकाएँ
२. सह कोशिकाएँ
३. फ्लोएम मृदूतक
४. फ्लोएम तन्तु