
अंतरिक्ष
चाँद पर जाने वाली प्रथम महिला अभी तक कोई नहीं है। अब तक, केवल पुरुष ही चाँद पर गए हैं। 1969 से 1972 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका के अपोलो कार्यक्रम के तहत 12 पुरुष चाँद पर चले थे।
हालांकि, नासा (NASA) आर्टेमिस कार्यक्रम (Artemis program) के माध्यम से 2025 तक एक महिला को चाँद पर भेजने की योजना बना रहा है। नासा आर्टेमिस कार्यक्रम (NASA Artemis program) का लक्ष्य चाँद पर पहली महिला और पहले अश्वेत व्यक्ति को उतारना है, जिससे भविष्य के लिए मंगल ग्रह पर मानव अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त हो सके।
नासा के अनुसार, आर्मस्ट्रांग के बाद एडविन "बज़" एल्ड्रिन भी चाँद पर उतरे थे।
अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला सोवियत संघ की वैलेंटिना तेरेशकोवा थीं। उन्होंने 16 जून, 1963 को वोस्तोक 6 में उड़ान भरी थी। उन्होंने लगभग तीन दिनों तक कक्षा में बिताए और पृथ्वी की 48 बार परिक्रमा की।
स्रोत:
साठ और सत्तर के दशक में मनुष्य कई बार चांद पर गया, लेकिन उसके बाद नहीं जाने के कई कारण हैं:
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राजनीतिक और आर्थिक कारण:
चांद पर जाने की शुरुआत शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण हुई थी। दोनों देश विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित करना चाहते थे। जब यह प्रतिस्पर्धा कम हो गई, तो चांद पर जाने के लिए राजनीतिक और आर्थिक प्रोत्साहन भी कम हो गया।
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उच्च लागत:
चांद पर जाने में बहुत अधिक खर्च आता है। अपोलो कार्यक्रम (Apollo program) में अरबों डॉलर लगे थे। इतनी बड़ी राशि को उचित ठहराना मुश्किल हो गया, खासकर जब अन्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और सामाजिक मुद्दे भी थे जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता थी।
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जोखिम:
अंतरिक्ष यात्रा बहुत जोखिम भरी होती है। अपोलो 13 (Apollo 13) मिशन में आई समस्याएँ दर्शाती हैं कि चांद पर जाना कितना खतरनाक हो सकता है।
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अन्य प्राथमिकताएँ:
अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में, वैज्ञानिकों ने अन्य ग्रहों, जैसे मंगल (Mars), और अन्य वैज्ञानिक अनुसंधानों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। इन क्षेत्रों में अनुसंधान से नई खोजों और तकनीकों का विकास हो सकता है।
हालांकि, अब फिर से चांद पर जाने की योजनाएँ बन रही हैं। नासा (NASA) का आर्टेमिस कार्यक्रम (Artemis program) मनुष्यों को 2025 तक फिर से चांद पर भेजने का लक्ष्य रखता है। इसका उद्देश्य चांद पर एक स्थायी बेस स्थापित करना है, जिससे भविष्य में मंगल और अन्य ग्रहों पर मानव मिशनों के लिए तैयारी की जा सके।