
पुस्तक समीक्षा
मैंने प्रेमचंद की कहानी "पूस की रात" पढ़ी। यह कहानी हल्कू नाम के एक गरीब किसान के बारे में है, जो सर्दियों की रात में अपने खेत की रखवाली करता है। उसे ठंड लग रही है, लेकिन उसके पास ओढ़ने के लिए पर्याप्त कपड़े नहीं हैं। वह अपने दोस्त जबरा नाम के कुत्ते के साथ है।
हल्कू और जबरा दोनों ही ठंड से कांप रहे हैं। हल्कू अपने खेत को बचाने की कोशिश करता है, लेकिन ठंड इतनी ज्यादा है कि वह अंत में हार मान लेता है और अपनी पत्नी से लाए कंबल में जाकर सो जाता है। जब वह उठता है, तो उसे पता चलता है कि जानवर उसके पूरे खेत को चर गए हैं।
कहानी गरीबी और लाचारी के बारे में है। यह दिखाती है कि गरीब लोग किस तरह से मुश्किल परिस्थितियों में जीवन यापन करते हैं। प्रेमचंद ने हल्कू के किरदार को बहुत ही सहानुभूतिपूर्ण तरीके से चित्रित किया है।
मुझे यह कहानी बहुत पसंद आई। यह एक मार्मिक और विचारोत्तेजक कहानी है। यह हमें गरीबी और लाचारी के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। प्रेमचंद की लेखन शैली सरल और स्पष्ट है, जो कहानी को और भी प्रभावशाली बनाती है। यह कहानी भारतीय साहित्य की एक क्लासिक रचना है।