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विजयनगर कला

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विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) कला और वास्तुकला के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। यह साम्राज्य, जो दक्षिण भारत में फला-फूला, ने विभिन्न शैलियों को आत्मसात किया और एक अनूठी शैली विकसित की जो इसकी भव्यता और जटिलता के लिए प्रसिद्ध है।

वास्तुकला: विजयनगर वास्तुकला की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • विशाल संरचनाएं: विजयनगर के शासकों ने बड़े पैमाने पर मंदिरों, महलों और सार्वजनिक भवनों का निर्माण कराया। इन संरचनाओं में ग्रेनाइट जैसे मजबूत पत्थरों का उपयोग किया गया था।
  • गोपुरम: मंदिरों के प्रवेश द्वार पर ऊंचे गोपुरम बनाए गए थे, जिन पर जटिल नक्काशी की गई थी।
  • मंडप: मंदिरों में खुले मंडप बनाए गए, जिनका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और सभाओं के लिए किया जाता था।
  • स्तंभ: स्तंभों पर जटिल नक्काशी की जाती थी, जिनमें अक्सर घोड़े, शेर और अन्य पौराणिक जीव शामिल होते थे।
  • जलाशय: जल प्रबंधन के लिए जलाशयों और नहरों का निर्माण किया गया था।

मूर्तिकला: विजयनगर मूर्तिकला में धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष दोनों विषयों को दर्शाया गया है। मूर्तियों में देवताओं, योद्धाओं, नर्तकियों और जानवरों को दर्शाया गया है। मूर्तियों को बनाने के लिए पत्थर, धातु और लकड़ी का उपयोग किया जाता था।

चित्रकला: विजयनगर चित्रकला में भित्ति चित्र और लघु चित्र शामिल हैं। भित्ति चित्रों में रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों के दृश्यों को दर्शाया गया है। लघु चित्रों में शाही दरबार के दृश्यों और पोर्ट्रेट को दर्शाया गया है।

विजयनगर कला का प्रभाव दक्षिण भारत की कला पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यह कला आज भी अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए सराही जाती है। हम्पी में स्थित विट्ठल मंदिर और विरुपाक्ष मंदिर विजयनगर कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं:

उत्तर लिखा · 20/6/2025
कर्म · 520