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प्रतिवर्ती क्रिया में क्या होता है?
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प्रतिवर्ती क्रिया में क्या होता है?
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प्रतिवर्ती क्रिया
प्रतिवर्ती क्रिया :
किसी उद्दीपन के प्रति, मस्तिष्क के हस्तक्षेप के बिना, अचानक अनुक्रिया, प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है |
ये क्रियाएँ स्वत: होने वाली क्रियाएँ है जो जीव की इच्छा के बिना ही होती है |
उदाहरण:
(i) किसी गर्म वस्तु को छूने से जलने पर तुरंत हाथ हटा लेना |
(ii) खाना देखकर मुँह में पानी का आ जाना
(iii) सुई चुभाने पर हाथ का हट जाना आदि |
प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण: सभी प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जू के द्वारा नियंत्रित होती है |
ऐच्छिक क्रियाएँ: वे सभी क्रियाएँ जिस पर हमारा नियंत्रण होता है, ऐच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं |
जैसे- बोलना, चलना, लिखना आदि |
ऐच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण: ऐच्छिक क्रियाएँ हमारी इच्छा और सोंचने से होती है इसलिए इसका नियंत्रण हमारे सोचने वाला भाग अग्र-मस्तिष्क के द्वारा होता है |
अनैच्छिक क्रियाएँ :वे सभी क्रियाएँ जो स्वत: होती रहती है जिनपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है | अनैच्छिक क्रियाएँ कहलाती है |
जैसे: ह्रदय का धड़कना, साँस का लेना, भोजन का पचना आदि |
अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण:अनैच्छिक क्रियाएँ मध्य-मस्तिष्क व पश्च-मस्तिष्क के द्वारा नियंत्रित होती हैं |
प्रतिवर्ती चाप : प्रतिवर्ती क्रियाओं के आगम संकेतों पता लगाने और निर्गम क्रियाओं के करने के लिए संवेदी तंत्रिका कोशिका और प्रेरित तंत्रिका कोशिका मेरूरज्जु के साथ मिलकर एक पथ का निर्माण करती है जिसे प्रतिवर्ती चाप कहते है |
जन्तुओं में प्रतिवर्ती चाप एक दक्ष प्रणाली अथवा जंतुओं में प्रतिवर्ती चाप की उपयोगिता :
अधिकतर जंतुओं में प्रतिवर्ती चाप इसलिए विकसित हुआ है क्योंकि इनके मस्तिष्क के सोचने का प्रक्रम बहुत तेज नहीं है। वास्तव में अधिकांश जंतुओं में सोचने के लिए आवश्यक जटिल न्यूराॅन जाल या तो अल्प है या अनुपस्थित होता है। अतः यह स्पष्ट है कि वास्तविक विचार प्रक्रम की अनुपस्थिति में प्रतिवर्ती चाप का दक्ष कार्य प्रणाली के रूप में विकास हुआ है। यद्यपि जटिल न्यूराॅन जाल के अस्तित्व में आने के बाद भी प्रतिवर्ती चाप तुरंत अनुक्रिया के लिए एक अधिक दक्ष प्रणाली के रूप में कार्य करता है।

प्रतिवर्ती क्रिया :
किसी उद्दीपन के प्रति, मस्तिष्क के हस्तक्षेप के बिना, अचानक अनुक्रिया, प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है |
ये क्रियाएँ स्वत: होने वाली क्रियाएँ है जो जीव की इच्छा के बिना ही होती है |
उदाहरण:
(i) किसी गर्म वस्तु को छूने से जलने पर तुरंत हाथ हटा लेना |
(ii) खाना देखकर मुँह में पानी का आ जाना
(iii) सुई चुभाने पर हाथ का हट जाना आदि |
प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण: सभी प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जू के द्वारा नियंत्रित होती है |
ऐच्छिक क्रियाएँ: वे सभी क्रियाएँ जिस पर हमारा नियंत्रण होता है, ऐच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं |
जैसे- बोलना, चलना, लिखना आदि |
ऐच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण: ऐच्छिक क्रियाएँ हमारी इच्छा और सोंचने से होती है इसलिए इसका नियंत्रण हमारे सोचने वाला भाग अग्र-मस्तिष्क के द्वारा होता है |
अनैच्छिक क्रियाएँ :वे सभी क्रियाएँ जो स्वत: होती रहती है जिनपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है | अनैच्छिक क्रियाएँ कहलाती है |
जैसे: ह्रदय का धड़कना, साँस का लेना, भोजन का पचना आदि |
अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण:अनैच्छिक क्रियाएँ मध्य-मस्तिष्क व पश्च-मस्तिष्क के द्वारा नियंत्रित होती हैं |
प्रतिवर्ती चाप : प्रतिवर्ती क्रियाओं के आगम संकेतों पता लगाने और निर्गम क्रियाओं के करने के लिए संवेदी तंत्रिका कोशिका और प्रेरित तंत्रिका कोशिका मेरूरज्जु के साथ मिलकर एक पथ का निर्माण करती है जिसे प्रतिवर्ती चाप कहते है |
जन्तुओं में प्रतिवर्ती चाप एक दक्ष प्रणाली अथवा जंतुओं में प्रतिवर्ती चाप की उपयोगिता :
अधिकतर जंतुओं में प्रतिवर्ती चाप इसलिए विकसित हुआ है क्योंकि इनके मस्तिष्क के सोचने का प्रक्रम बहुत तेज नहीं है। वास्तव में अधिकांश जंतुओं में सोचने के लिए आवश्यक जटिल न्यूराॅन जाल या तो अल्प है या अनुपस्थित होता है। अतः यह स्पष्ट है कि वास्तविक विचार प्रक्रम की अनुपस्थिति में प्रतिवर्ती चाप का दक्ष कार्य प्रणाली के रूप में विकास हुआ है। यद्यपि जटिल न्यूराॅन जाल के अस्तित्व में आने के बाद भी प्रतिवर्ती चाप तुरंत अनुक्रिया के लिए एक अधिक दक्ष प्रणाली के रूप में कार्य करता है।

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प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action) एक अनैच्छिक और त्वरित प्रतिक्रिया है जो किसी उद्दीपन (stimulus) के जवाब में होती है। यह क्रिया मस्तिष्क की चेतना में शामिल हुए बिना, मेरुरज्जु (spinal cord) द्वारा नियंत्रित होती है।
प्रतिवर्ती क्रिया में निम्नलिखित घटनाएँ होती हैं:
- उद्दीपन (Stimulus): कोई भी बाहरी या आंतरिक कारक जो संवेदी तंत्रिकाओं को सक्रिय करता है, जैसे कि गर्मी, दर्द, या दबाव।
- संवेदी तंत्रिका (Sensory Neuron): यह उद्दीपन को संवेदी अंगों से मेरुरज्जु तक ले जाती है।
- मेरुरज्जु (Spinal Cord): यहाँ संवेदी तंत्रिका से प्राप्त संकेत प्रेरक तंत्रिका (motor neuron) को प्रेषित किया जाता है।
- प्रेरक तंत्रिका (Motor Neuron): यह मेरुरज्जु से प्रतिक्रिया को मांसपेशियों या ग्रंथियों तक ले जाती है।
- प्रतिक्रिया (Response): मांसपेशियां या ग्रंथियां प्रतिक्रिया उत्पन्न करती हैं, जैसे कि हाथ का झटकना या पसीने का आना।
उदाहरण:
- गर्म वस्तु को छूने पर हाथ का तुरंत पीछे हटना।
- आँख में धूल जाने पर पलक का झपकना।
- घुटने के नीचे हल्का सा प्रहार करने पर पैर का उठना।
प्रतिवर्ती क्रियाएँ शरीर को हानिकारक स्थितियों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।