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नगद साख और बैंक ओवरड्राफ्ट के बीच अंतर के विभिन्न बिंदुओं को संकलित करें?
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नकद साख (Cash Credit) और बैंक ओवरड्राफ्ट (Bank Overdraft) दोनों ही व्यवसायों के लिए अल्पकालिक वित्तपोषण के विकल्प हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:
- उद्देश्य:
- नकद साख: यह कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दी जाती है, जैसे कि इन्वेंट्री खरीदना या देनदारों का भुगतान करना।
- बैंक ओवरड्राफ्ट: यह अप्रत्याशित खर्चों या अल्पकालिक नकदी की कमी को पूरा करने के लिए दी जाती है।
- सुरक्षा:
- नकद साख: इसे आमतौर पर स्टॉक, देनदार, या अन्य संपत्तियों द्वारा सुरक्षित किया जाता है।
- बैंक ओवरड्राफ्ट: यह सुरक्षित या असुरक्षित हो सकता है। सुरक्षित ओवरड्राफ्ट में, संपत्ति को सुरक्षा के रूप में रखा जाता है।
- ब्याज दर:
- नकद साख: ब्याज दर ओवरड्राफ्ट की तुलना में कम हो सकती है, क्योंकि यह आमतौर पर सुरक्षित होती है।
- बैंक ओवरड्राफ्ट: ब्याज दर नकद साख से अधिक हो सकती है, खासकर यदि यह असुरक्षित है।
- उपलब्धता:
- नकद साख: यह एक स्वीकृत सीमा तक उपलब्ध होती है, और उधारकर्ता आवश्यकतानुसार धन निकाल सकता है और जमा कर सकता है।
- बैंक ओवरड्राफ्ट: यह खाते में उपलब्ध शेष राशि से अधिक धन निकालने की अनुमति देता है, आमतौर पर एक पूर्व-निर्धारित सीमा तक।
- अवधि:
- नकद साख: यह आमतौर पर एक वर्ष के लिए दी जाती है, जिसे नवीनीकृत किया जा सकता है।
- बैंक ओवरड्राफ्ट: यह आमतौर पर अल्पकालिक होती है, और इसे दैनिक या मासिक आधार पर नवीनीकृत किया जा सकता है।
- शुल्क:
- नकद साख: इसमें प्रसंस्करण शुल्क और नवीनीकरण शुल्क शामिल हो सकते हैं।
- बैंक ओवरड्राफ्ट: इसमें ओवरड्राफ्ट शुल्क और अन्य सेवा शुल्क शामिल हो सकते हैं।
संक्षेप में, नकद साख कार्यशील पूंजी प्रबंधन के लिए एक अधिक संरचित और दीर्घकालिक समाधान है, जबकि बैंक ओवरड्राफ्ट अल्पकालिक नकदी की कमी को पूरा करने के लिए एक लचीला विकल्प है।