वनट का नियम?
वनट का नियम (Van't Hoff's Law) ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) और रासायनिक गतिकी (Chemical Kinetics) में एक महत्वपूर्ण नियम है। इसके दो मुख्य पहलू हैं:
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वनट का समदाबी नियम (Van't Hoff's Isochore):
यह नियम बताता है कि रासायनिक साम्य (Chemical Equilibrium) पर तापमान परिवर्तन का प्रभाव क्या होता है। विशेष रूप से, यह साम्य स्थिरांक (Equilibrium Constant) K के तापमान के साथ परिवर्तन को बताता है। इसका गणितीय रूप इस प्रकार है:
d(ln K)/dT = ΔH°/RT²
जहाँ:
- K साम्य स्थिरांक है।
- T परम तापमान (Kelvin में) है।
- ΔH° मानक एन्थैल्पी परिवर्तन (Standard Enthalpy Change) है।
- R गैस स्थिरांक (Gas Constant) है।
इस समीकरण से पता चलता है कि यदि अभिक्रिया ऊष्माशोषी (Endothermic, ΔH° > 0) है, तो तापमान बढ़ने पर K बढ़ता है, और यदि अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी (Exothermic, ΔH° < 0) है, तो तापमान बढ़ने पर K घटता है।
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वनट का तनु विलयन नियम (Van't Hoff's Law of Dilute Solutions):
यह नियम तनु विलयनों के परासरणी दाब (Osmotic Pressure) की व्याख्या करता है। इसके अनुसार, तनु विलयनों का परासरणी दाब विलयन में घुले हुए विलेय (Solute) के मोलर सांद्रण (Molar Concentration) के समानुपाती होता है, और यह आदर्श गैस नियम (Ideal Gas Law) के समान व्यवहार करता है। इसका गणितीय रूप इस प्रकार है:
Π = iCRT
जहाँ:
- Π परासरणी दाब है।
- i वान्ट हॉफ फैक्टर (Van't Hoff Factor) है, जो विलयन में विलेय के वियोजन (Dissociation) या संयोजन (Association) को दर्शाता है।
- C विलेय की मोलर सांद्रता है।
- R गैस स्थिरांक है।
- T परम तापमान है।
यह नियम बताता है कि तनु विलयनों का परासरणी दाब तापमान और सांद्रता के साथ कैसे बदलता है।
संक्षेप में, वनट का नियम रासायनिक साम्य और तनु विलयनों के गुणों को समझने में महत्वपूर्ण है।