
लिखाण
रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखी गयी है। यह 16वीं सदी में रची गयी थी और इसकी शैली प्रबंध काव्य है। तुलसीदास जी ने इसे दोहा, चौपाई, सोरठा और छंद के रूप में लिखा है।
वाणिज्यिक विपत्र (Commercial Paper) मुख्य रूप से निम्नलिखित परिस्थितियों में लिखा जाता है:
- अल्पावधि वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए:
कंपनियाँ अपनी अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों, जैसे कि कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वाणिज्यिक विपत्र जारी करती हैं। यह एक अल्पकालिक ऋण साधन है, जिसकी अवधि आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर 270 दिनों तक होती है।
- उधार लागत को कम करने के लिए:
वाणिज्यिक विपत्र जारी करके, कंपनियाँ बैंकों से ऋण लेने की तुलना में कम ब्याज दर पर धन जुटा सकती हैं। यदि बाजार की स्थितियाँ अनुकूल हैं, तो वाणिज्यिक विपत्र बैंकों से ऋण लेने की तुलना में सस्ता विकल्प हो सकता है।
- अतिरिक्त निधियों का अस्थायी निवेश:
कंपनियाँ जिनके पास अस्थायी रूप से अतिरिक्त धन उपलब्ध है, वे वाणिज्यिक विपत्र में निवेश कर सकती हैं। यह उन्हें अपने अधिशेष धन पर कुछ आय अर्जित करने का अवसर प्रदान करता है।
- साख का प्रदर्शन:
वाणिज्यिक विपत्र जारी करना कंपनी की वित्तीय साख और बाजार में उसकी प्रतिष्ठा को दर्शाता है। केवल अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियाँ ही वाणिज्यिक विपत्र जारी करने में सक्षम होती हैं।
- अन्य ऋणों का पुनर्वित्तपोषण:
कभी-कभी, कंपनियाँ अपने मौजूदा ऋणों को पुनर्वित्तपोषित करने के लिए वाणिज्यिक विपत्र का उपयोग करती हैं, खासकर जब ब्याज दरें कम हों।
संक्षेप में, वाणिज्यिक विपत्र कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय उपकरण है जो उन्हें अल्पकालिक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने, उधार लागत को कम करने और अपनी साख को प्रदर्शित करने में मदद करता है।
मौखिक - जब हम अपने मन के विचारों या भावों को अपनी वाणी द्वारा बोलकर व्यक्त करते है, तो उसे हम मौखिक कहते है।
परीक्षा काल में पेपर में सिर्फ उत्तर लिखने में लक्ष्य दीजिए। अगर हस्ताक्षर अच्छा लिखने की कोशिश की तो आपका लिखने की गति धीमी हो जाएगी और आपको पूरा पेपर लिखने में समय कम मिलेगा।
अगर वाक्य/शब्द गलत हो तो अंक काटे जाते है। हस्ताक्षर खराब दिखने से अंक काटे नहीं जाते।