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समाजशास्त्र

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सोशियोलॉजी का पिता किसे कहा जाता है?
उत्तर लिखा · 24/1/2025
कर्म · 0
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समाजशास्त्र का अर्थ:

समाजशास्त्र, समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है। यह सामाजिक संबंधों, सामाजिक अंतःक्रियाओं, सामाजिक संरचनाओं और सामाजिक परिवर्तनों का विश्लेषण करता है। यह समझने का प्रयास करता है कि समाज कैसे संगठित है, कैसे काम करता है, और व्यक्तियों के व्यवहार और अनुभवों को कैसे प्रभावित करता है।

संक्षेप में, समाजशास्त्र समाज के बारे में व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से सोचने और समझने का एक तरीका है।

समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र:

  • सामाजिक संबंध: समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों के स्वरूपों और परिणामों का अध्ययन करता है, जैसे कि सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा, और प्रभुत्व।

  • सामाजिक संस्थाएं: यह परिवार, विवाह, धर्म, शिक्षा, राजनीति, और अर्थव्यवस्था जैसी सामाजिक संस्थाओं का विश्लेषण करता है।

  • सामाजिक संरचनाएं: समाजशास्त्र सामाजिक वर्ग, जाति, लिंग, और नस्ल जैसी सामाजिक संरचनाओं और असमानताओं का अध्ययन करता है।

  • सामाजिक परिवर्तन: यह सामाजिक आंदोलनों, क्रांतियों, और तकनीकी विकास जैसे सामाजिक परिवर्तनों के कारणों और परिणामों की जांच करता है।

  • सामाजिक समस्याएं: समाजशास्त्र गरीबी, अपराध, बेरोजगारी, और भेदभाव जैसी सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

  • संस्कृति: यह मूल्यों, विश्वासों, मानदंडों, और रीति-रिवाजों सहित संस्कृति का अध्ययन करता है।

  • सामाजिक अंतःक्रिया: समाजशास्त्र व्यक्तियों के बीच बातचीत और संचार का अध्ययन करता है।

  • जनसंख्या और जनसांख्यिकी: यह जनसंख्या के आकार, संरचना और वितरण का अध्ययन करता है।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न स्रोतों से परामर्श कर सकते हैं:

उत्तर लिखा · 14/3/2025
कर्म · 320
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समाजशास्त्र (Sociology) वह विज्ञान है जो समाज का अध्ययन करता है। यह सामाजिक संबंधों, सामाजिक अंतःक्रियाओं और सामाजिक संगठनों का विश्लेषण करता है।

समाजशास्त्र का अर्थ:

  • समाज का वैज्ञानिक अध्ययन।
  • सामाजिक संरचनाओं, प्रक्रियाओं और परिवर्तनों का विश्लेषण।
  • व्यक्ति और समाज के बीच संबंधों की खोज।

कुछ प्रमुख परिभाषाएँ:

  • ऑगस्ट कॉम्टे: "समाजशास्त्र सामाजिक व्यवस्था और प्रगति का विज्ञान है।"
  • इमाइल दुर्खीम: "समाजशास्त्र सामाजिक तथ्यों का अध्ययन है।"
  • मैक्स वेबर: "समाजशास्त्र सामाजिक क्रिया का व्याख्यात्मक समझ है।"

समाजशास्त्र में सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है, जैसे:

  • परिवार
  • शिक्षा
  • धर्म
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • संस्कृति

समाजशास्त्र हमें समाज को बेहतर ढंग से समझने और सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करता है।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न वेबसाइट देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 14/3/2025
कर्म · 320
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ऑगस्त काॅम्टे को समाजशास्त्र का जन्मदाता कहा जाता हैं। 
ऑगस्त का विचार था कि जिस प्रकार भौतिकी वस्तुओं का अध्ययन करने के लिए भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, जीवशास्त्र आदि विज्ञान हैं, ठीक उसी प्रकार सामाजिक जीवन का अध्ययन करने के लिए सामाजिक विज्ञान की आवश्यकता हैं। ऑगस्त कॉम्टे से इसे 'सामाजिक भौतिकशास्त्र का नाम दिया। इसके बाद सन् 1838 मे काॅम्टे ने ही इसे समाजशास्त्र के नाम दिया था। 

समाजशास्त्र समाज का विज्ञान हैं। इस शास्त्र के अन्तर्गत मुख्य रूप से समाज का अध्ययन किया जाता हैं। समाजशास्त्र की मुख्य विषय-वस्तु सामाजिक सम्बन्ध है। सामाजिक सम्बन्धों के अध्ययन के लिए ही समाजशास्त्र का जन्म और विकास हुआ हैं। मैकाइवर ने समाजशास्त्र को सामाजिक सम्बन्धों का जाल माना हैं।
गिडिंग्स के शब्दों में, "समाजशास्त्र समग्ररूप से समाज का क्रमबद्ध वर्णन और व्याख्या हैं।"
गिडिंग्स की इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि समाजशास्त्र समाज के बारे मे हैं। यह समाज का वर्णन अर्थात् सामाजिक संबंधों व घटनाओं का वर्णन करता है। यह वर्णन कल्पनात्मक एवं संशयात्मक नही बल्कि व्यवस्थित व क्रमबद्ध है। यह अन्तरात्मा की आवाज या भावना से उद्देलित नही अपितु व्यवस्थित निरीक्षण एवं परीक्षण पर आधारित है। इस संबंध मे दूसरी बात जिसकी ओर गिडिंग्स ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है वह यह है कि बल्कि यह उसकी क्रमबद्ध व्याख्या भी करता है।
उत्तर लिखा · 18/10/2022
कर्म · 1610
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समाजशास्त्र की प्रकृति को समझने के लिए, इसकी विशेषताओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • समाज का वैज्ञानिक अध्ययन: समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक और व्यवस्थित ढंग से अध्ययन करता है। यह सामाजिक घटनाओं और समस्याओं का विश्लेषण करने के लिए अनुभवजन्य डेटा और वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करता है।
  • तथ्यों पर आधारित: यह कल्पना या अटकलों पर आधारित नहीं होता, बल्कि वास्तविक तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित होता है।
  • वस्तुनिष्ठता: समाजशास्त्र वस्तुनिष्ठता पर जोर देता है, जिसका अर्थ है कि शोधकर्ता को अपने व्यक्तिगत मूल्यों और पूर्वाग्रहों को अध्ययन में शामिल नहीं करना चाहिए।
  • व्यापक परिप्रेक्ष्य: यह व्यक्तिगत मामलों की बजाय सामाजिक समूहों, संस्थाओं और संरचनाओं का अध्ययन करता है।
  • सामाजिक संबंधों का अध्ययन: समाजशास्त्र मुख्य रूप से सामाजिक संबंधों, सामाजिक क्रियाओं और सामाजिक अंतःक्रियाओं का अध्ययन करता है।
  • गतिशील: समाजशास्त्र एक गतिशील विज्ञान है क्योंकि यह सामाजिक परिवर्तन और विकास का अध्ययन करता है।

इन विशेषताओं के आधार पर, हम कह सकते हैं कि समाजशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो समाज को समझने और सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करता है। यह हमें सामाजिक दुनिया को अधिक गहराई से देखने और समझने की क्षमता प्रदान करता है।

उत्तर लिखा · 14/3/2025
कर्म · 320
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यूरोप में समाजशास्त्र को कई देशों ने प्रभावित किया है, जिनमें से कुछ प्रमुख देश इस प्रकार हैं:

  • फ्रांस:

    फ्रांस समाजशास्त्र के विकास में एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। ऑगस्ट कॉम्टे, जिन्हें 'समाजशास्त्र का जनक' माना जाता है, फ्रांसीसी थे। एमाइल दुर्खीम भी एक फ्रांसीसी समाजशास्त्री थे, जिन्होंने समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

  • जर्मनी:

    जर्मनी में समाजशास्त्र का विकास भी महत्वपूर्ण रहा है। कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर जैसे विचारकों ने समाजशास्त्र को गहराई से प्रभावित किया। मार्क्स के विचारों ने सामाजिक संघर्ष और पूंजीवाद के विश्लेषण को एक नई दिशा दी, जबकि वेबर ने सामाजिक क्रिया, नौकरशाही और धर्म के समाजशास्त्र पर महत्वपूर्ण काम किया।

  • इंग्लैंड:

    इंग्लैंड में भी समाजशास्त्र का विकास हुआ, हालांकि फ्रांस और जर्मनी की तुलना में थोड़ा बाद में। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया और सामाजिक डार्विनवाद के विचार को बढ़ावा दिया।

  • इटली:

    इटली में विल्फ्रेडो पारेटो ने समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, खासकर अभिजात वर्ग के सिद्धांत के क्षेत्र में।

इन देशों के अलावा, अन्य यूरोपीय देशों ने भी समाजशास्त्र के विकास में अपना योगदान दिया, लेकिन फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड और इटली का प्रभाव सबसे अधिक रहा।

उत्तर लिखा · 14/3/2025
कर्म · 320
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समाजशास्त्र में सोरोकिन और ज़िम्मरमैन ने ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच अंतर करने के लिए कई मानदंडों का प्रस्ताव रखा। उनके द्वारा बताए गए कुछ प्रमुख मानदंड इस प्रकार हैं:

  1. व्यवसाय:
    • ग्रामीण: ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य व्यवसाय कृषि और उससे संबंधित गतिविधियाँ होती हैं।
    • शहरी: शहरी क्षेत्रों में मुख्य व्यवसाय गैर-कृषि होते हैं, जैसे उद्योग, व्यापार, सेवाएं आदि।
  2. जनसंख्या घनत्व:
    • ग्रामीण: ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम होता है।
    • शहरी: शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता है।
  3. सामाजिक गतिशीलता:
    • ग्रामीण: ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक गतिशीलता कम होती है, लोग अपने पारंपरिक व्यवसायों और सामाजिक संरचनाओं से बंधे रहते हैं।
    • शहरी: शहरी क्षेत्रों में सामाजिक गतिशीलता अधिक होती है, लोगों के पास विभिन्न प्रकार के व्यवसाय और सामाजिक उन्नति के अवसर होते हैं।
  4. सामाजिक विभेदन:
    • ग्रामीण: ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक विभेदन कम होता है, लोगों के बीच समानता अधिक होती है।
    • शहरी: शहरी क्षेत्रों में सामाजिक विभेदन अधिक होता है, विभिन्न वर्गों, जातियों और व्यवसायों के लोग एक साथ रहते हैं।
  5. सामाजिक संपर्क:
    • ग्रामीण: ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संपर्क प्राथमिक और व्यक्तिगत होते हैं, लोग एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं।
    • शहरी: शहरी क्षेत्रों में सामाजिक संपर्क द्वितीयक और अवैयक्तिक होते हैं, लोग एक-दूसरे को औपचारिक रूप से जानते हैं।
  6. सामाजिक नियंत्रण:
    • ग्रामीण: ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक नियंत्रण अनौपचारिक होता है, जैसे रीति-रिवाज, परंपराएं और सामाजिक दबाव।
    • शहरी: शहरी क्षेत्रों में सामाजिक नियंत्रण औपचारिक होता है, जैसे कानून, पुलिस और अदालतें।

सोरोकिन और ज़िम्मरमैन के अनुसार, ये मानदंड ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच अंतर करने में मदद करते हैं और इन समुदायों की सामाजिक संरचना और गतिशीलता को समझने में महत्वपूर्ण हैं।

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 320