
इतिहास
- फरवरी क्रांति: इस क्रांति में, ज़ार निकोलस द्वितीय को सत्ता से हटा दिया गया था और एक अस्थायी सरकार स्थापित की गई थी।
- अक्टूबर क्रांति: इस क्रांति में, व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने अस्थायी सरकार को उखाड़ फेंका और रूस में कम्युनिस्ट शासन स्थापित किया।
इसलिए, 1917 की रूसी क्रांति को या तो फरवरी क्रांति या अक्टूबर क्रांति के रूप में जाना जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस घटना का उल्लेख कर रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप विकिपीडिया पर यह लेख देख सकते हैं: रूसी क्रांति
- फरवरी क्रांति: यह क्रांति फरवरी 1917 में हुई थी (रूसी जूलियन कैलेंडर के अनुसार, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर से पीछे था)। इस क्रांति में ज़ार निकोलस द्वितीय को सत्ता से हटा दिया गया और एक अस्थायी सरकार स्थापित की गई।
- अक्टूबर क्रांति: यह क्रांति अक्टूबर 1917 में हुई थी (रूसी जूलियन कैलेंडर के अनुसार)। इस क्रांति में व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने अस्थायी सरकार को उखाड़ फेंका और एक कम्युनिस्ट सरकार की स्थापना की। इसे बोल्शेविक क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
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भारत का विभाजन 1947 में ब्रिटिश भारत को दो स्वतंत्र प्रभुत्वों, भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने की प्रक्रिया थी। विभाजन एक दर्दनाक और हिंसक घटना थी, जिसके कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन, सांप्रदायिक हिंसा और लाखों लोगों की जान चली गई। विभाजन के लिए कई कारक उत्तरदायी थे, जिनमें शामिल हैं:
- सांप्रदायिक राजनीति: ब्रिटिश शासन के दौरान, हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था। मुस्लिम लीग, जिसका नेतृत्व मुहम्मद अली जिन्ना कर रहे थे, ने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र, पाकिस्तान की मांग की। हिंदू महासभा जैसे हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों ने भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने की वकालत की। इन सांप्रदायिक राजनीति ने समुदायों के बीच अविश्वास और दुश्मनी को बढ़ावा दिया, जिससे विभाजन की संभावना बढ़ गई।
- ब्रिटिश नीतियां: ब्रिटिश सरकार ने फूट डालो और शासन करो की नीति का पालन किया, जिससे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विभाजन को और गहरा किया गया। उन्होंने सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की शुरुआत की, जिससे मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाए गए, जिससे सांप्रदायिक पहचान मजबूत हुई।
- कांग्रेस की भूमिका: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जो स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व कर रही थी, शुरू में विभाजन के खिलाफ थी। हालांकि, जैसे-जैसे सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी और राजनीतिक गतिरोध बना रहा, कांग्रेस ने अनिच्छा से विभाजन को स्वीकार कर लिया। कुछ इतिहासकारों का तर्क है कि कांग्रेस विभाजन को रोकने के लिए और अधिक प्रयास कर सकती थी।
- मुस्लिम लीग की भूमिका: मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र, पाकिस्तान की मांग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिन्ना के नेतृत्व में, लीग ने मुसलमानों को एकजुट करने और उन्हें कांग्रेस से अलग करने में सफलता प्राप्त की। लीग ने यह तर्क दिया कि मुसलमानों को हिंदू बहुसंख्यक भारत में भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा, और इसलिए उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक अलग राष्ट्र की आवश्यकता है।
- तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ: भारत में गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी जैसी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं ने भी विभाजन में योगदान दिया। इन समस्याओं ने सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ाया, क्योंकि विभिन्न समुदायों ने सीमित संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा की।
विभाजन एक जटिल और दुखद घटना थी जिसके दूरगामी परिणाम हुए। इसने न केवल भारत और पाकिस्तान के इतिहास को आकार दिया, बल्कि इसने लाखों लोगों के जीवन को भी प्रभावित किया। विभाजन के कारण हुए घाव आज भी दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित करते हैं।
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- लेखन सामग्री: प्राचीन काल में भोजपत्र का उपयोग ग्रंथ लिखने और पांडुलिपियाँ तैयार करने के लिए किया जाता था। इसकी पतली और चिकनी सतह लेखन के लिए उपयुक्त होती थी।
- धार्मिक अनुष्ठान: इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में किया जाता है। मंत्र और श्लोक भोजपत्र पर लिखकर देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।
- औषधीय उपयोग: आयुर्वेद में भोजपत्र का उपयोग विभिन्न औषधियों के निर्माण में होता है। यह त्वचा रोगों, रक्त विकारों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपयोगी माना जाता है।
- पैकेजिंग: सूखे खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
- कला और शिल्प: भोजपत्र का उपयोग कला और शिल्प में विभिन्न प्रकार की सजावटी वस्तुएँ बनाने के लिए किया जाता है।
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कुर्मी एक कृषक जाति है जो मुख्य रूप से भारत में पाई जाती है। ये लोग पारंपरिक रूप से खेती करते थे और अपनी मेहनत और उद्यमशीलता के लिए जाने जाते हैं।
कुर्मी शब्द की उत्पत्ति:
- कुर्मी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'कृषि' से मानी जाती है, जिसका अर्थ है 'खेती'।
- कुछ लोगों का मानना है कि यह शब्द 'कुर्म' से आया है, जिसका अर्थ है 'कछुआ'। कछुए को स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है, जो कुर्मी जाति के लोगों के गुणों को दर्शाता है।
कुर्मी जाति का इतिहास:
- कुर्मी जाति का इतिहास प्राचीन है। ये लोग मौर्य साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य जैसे प्राचीन भारतीय साम्राज्यों के दौरान भी कृषक समुदाय के रूप में मौजूद थे।
- ब्रिटिश शासन के दौरान, कुर्मी जाति के लोगों ने जमींदारी प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और सामाजिक समानता के लिए संघर्ष किया।
कुर्मी जाति की संस्कृति:
- कुर्मी जाति की संस्कृति समृद्ध और विविध है। इनके अपने पारंपरिक रीति-रिवाज, त्योहार और लोकगीत हैं।
- ये लोग अपनी मेहनत, ईमानदारी और सामाजिक एकजुटता के लिए जाने जाते हैं।
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सीता, जिन्हें जानकी के नाम से भी जाना जाता है, मिथिला के राजा जनक की पुत्री थीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, वह एक खेत में पाई गई थीं जब राजा जनक यज्ञ के लिए भूमि को जोत रहे थे। उन्हें देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।
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