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भारत विभाजन के लिए उत्तरदायी कारणों का वर्णन करें?
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भारत का विभाजन 1947 में ब्रिटिश भारत को दो स्वतंत्र प्रभुत्वों, भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने की प्रक्रिया थी। विभाजन एक दर्दनाक और हिंसक घटना थी, जिसके कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन, सांप्रदायिक हिंसा और लाखों लोगों की जान चली गई। विभाजन के लिए कई कारक उत्तरदायी थे, जिनमें शामिल हैं:
- सांप्रदायिक राजनीति: ब्रिटिश शासन के दौरान, हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था। मुस्लिम लीग, जिसका नेतृत्व मुहम्मद अली जिन्ना कर रहे थे, ने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र, पाकिस्तान की मांग की। हिंदू महासभा जैसे हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों ने भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने की वकालत की। इन सांप्रदायिक राजनीति ने समुदायों के बीच अविश्वास और दुश्मनी को बढ़ावा दिया, जिससे विभाजन की संभावना बढ़ गई।
- ब्रिटिश नीतियां: ब्रिटिश सरकार ने फूट डालो और शासन करो की नीति का पालन किया, जिससे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विभाजन को और गहरा किया गया। उन्होंने सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की शुरुआत की, जिससे मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाए गए, जिससे सांप्रदायिक पहचान मजबूत हुई।
- कांग्रेस की भूमिका: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जो स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व कर रही थी, शुरू में विभाजन के खिलाफ थी। हालांकि, जैसे-जैसे सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी और राजनीतिक गतिरोध बना रहा, कांग्रेस ने अनिच्छा से विभाजन को स्वीकार कर लिया। कुछ इतिहासकारों का तर्क है कि कांग्रेस विभाजन को रोकने के लिए और अधिक प्रयास कर सकती थी।
- मुस्लिम लीग की भूमिका: मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र, पाकिस्तान की मांग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिन्ना के नेतृत्व में, लीग ने मुसलमानों को एकजुट करने और उन्हें कांग्रेस से अलग करने में सफलता प्राप्त की। लीग ने यह तर्क दिया कि मुसलमानों को हिंदू बहुसंख्यक भारत में भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा, और इसलिए उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक अलग राष्ट्र की आवश्यकता है।
- तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ: भारत में गरीबी, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी जैसी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं ने भी विभाजन में योगदान दिया। इन समस्याओं ने सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ाया, क्योंकि विभिन्न समुदायों ने सीमित संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा की।
विभाजन एक जटिल और दुखद घटना थी जिसके दूरगामी परिणाम हुए। इसने न केवल भारत और पाकिस्तान के इतिहास को आकार दिया, बल्कि इसने लाखों लोगों के जीवन को भी प्रभावित किया। विभाजन के कारण हुए घाव आज भी दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित करते हैं।
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