
कला
मुख्य विशेषताएं:
- विषय: इस शैली में धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दरबारी जीवन से संबंधित विषयों को चित्रित किया जाता है।
- रंग: चमकीले और आकर्षक रंगों का उपयोग किया जाता है, जिनमें लाल, पीले, नीले और हरे रंग प्रमुख हैं।
- आकृति: मानव आकृतियों को सुंदर और अलंकृत रूप से दर्शाया जाता है। महिलाओं को विशेष रूप से आकर्षक रूप से चित्रित किया जाता है।
- परिदृश्य: चित्रों में प्राकृतिक दृश्यों और वनस्पतियों को भी दर्शाया जाता है, जो चित्रों को और भी जीवंत बनाते हैं।
- शैली: मुगल और राजस्थानी शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है।
जयपुर शैली का विकास महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के शासनकाल में हुआ। उन्होंने चित्रकला को बढ़ावा दिया और चित्रकारों को संरक्षण दिया, जिसके परिणामस्वरूप यह शैली फली-फूली।
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मेवाड़ चित्र शैली की मुख्य विशेषताएं:
- विषय-वस्तु: इस शैली में धार्मिक ग्रंथ, रामायण, महाभारत, भागवत पुराण, और कृष्ण लीला जैसे विषयों को चित्रित किया गया है। इसके अलावा, रागमाला श्रृंखला, दरबारी दृश्य, शिकार के दृश्य और सामाजिक जीवन के चित्र भी बनाए गए हैं।
- रंग: मेवाड़ शैली में चमकीले और जीवंत रंगों का उपयोग किया गया है, जिनमें लाल, पीले, नीले और हरे रंग प्रमुख हैं।
- आकृति: मानव आकृतियों को कुछ हद तक कठोर और आलंकारिक रूप में दर्शाया गया है, और चेहरे के भावों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- प्रकृति: चित्रों में प्रकृति को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जिसमें पेड़, पौधे, फूल, और जानवरों को दर्शाया गया है।
- उदाहरण: 'श्रीमद् भागवत', 'गीत गोविंद', और 'रामायण' पर आधारित चित्र इस शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
मेवाड़ चित्र शैली का विकास कई चरणों में हुआ, और इसमें स्थानीय और बाहरी प्रभावों का मिश्रण देखने को मिलता है। यह शैली राजस्थानी चित्रकला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
- शुरुआत करें: ड्राइंग की मूल बातें सीखने के लिए सरल आकृतियों और रेखाओं का अभ्यास करें।
- ऑनलाइन ट्यूटोरियल: यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म पर कई मुफ्त ड्राइंग ट्यूटोरियल उपलब्ध हैं जिनसे सीखा जा सकता है।
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- किताबें और वर्कबुक: ड्राइंग सीखने के लिए कई किताबें और वर्कबुक उपलब्ध हैं जिनमें स्टेप-बाय-स्टेप निर्देश दिए गए हैं।
- धैर्य रखें: ड्राइंग एक कौशल है जिसे सीखने में समय लगता है, इसलिए धैर्य और अभ्यास महत्वपूर्ण हैं।
- अन्य कला रूपों का अन्वेषण करें: यदि ड्राइंग में कठिनाई हो रही है, तो अन्य कला रूपों जैसे कि पेंटिंग, मूर्तिकला, या फोटोग्राफी का प्रयास करें।
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वास्तुकला: विजयनगर वास्तुकला की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- विशाल संरचनाएं: विजयनगर के शासकों ने बड़े पैमाने पर मंदिरों, महलों और सार्वजनिक भवनों का निर्माण कराया। इन संरचनाओं में ग्रेनाइट जैसे मजबूत पत्थरों का उपयोग किया गया था।
- गोपुरम: मंदिरों के प्रवेश द्वार पर ऊंचे गोपुरम बनाए गए थे, जिन पर जटिल नक्काशी की गई थी।
- मंडप: मंदिरों में खुले मंडप बनाए गए, जिनका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और सभाओं के लिए किया जाता था।
- स्तंभ: स्तंभों पर जटिल नक्काशी की जाती थी, जिनमें अक्सर घोड़े, शेर और अन्य पौराणिक जीव शामिल होते थे।
- जलाशय: जल प्रबंधन के लिए जलाशयों और नहरों का निर्माण किया गया था।
मूर्तिकला: विजयनगर मूर्तिकला में धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष दोनों विषयों को दर्शाया गया है। मूर्तियों में देवताओं, योद्धाओं, नर्तकियों और जानवरों को दर्शाया गया है। मूर्तियों को बनाने के लिए पत्थर, धातु और लकड़ी का उपयोग किया जाता था।
चित्रकला: विजयनगर चित्रकला में भित्ति चित्र और लघु चित्र शामिल हैं। भित्ति चित्रों में रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों के दृश्यों को दर्शाया गया है। लघु चित्रों में शाही दरबार के दृश्यों और पोर्ट्रेट को दर्शाया गया है।
विजयनगर कला का प्रभाव दक्षिण भारत की कला पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यह कला आज भी अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए सराही जाती है। हम्पी में स्थित विट्ठल मंदिर और विरुपाक्ष मंदिर विजयनगर कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
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ज़रूर, यहाँ कुछ हिंदी शायरी दी गई हैं:
दर्द को दर्द अब दर्द कहाँ समझता है,
एक दर्द दे, फिर देख, वो कहाँ रहता है।
मोहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं,
चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए।
ज़िंदगी एक किराए का घर है,
एक दिन बदलना पड़ेगा।
दोस्ती वो नहीं जो जान देती है,
दोस्ती वो है जो जान बचाती है।
उम्मीद पे दुनिया कायम है,
आज नहीं तो कल, सब ठीक होगा।
ये कुछ मशहूर शायरों की पंक्तियाँ हैं जो हिंदी साहित्य में बहुत लोकप्रिय हैं।
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