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साहित्य

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मैंने प्रेमचंद की कहानी "पूस की रात" पढ़ी। यह कहानी हल्कू नाम के एक गरीब किसान के बारे में है, जो सर्दियों की रात में अपने खेत की रखवाली करता है। उसे ठंड लग रही है, लेकिन उसके पास ओढ़ने के लिए पर्याप्त कपड़े नहीं हैं। वह अपने दोस्त जबरा नाम के कुत्ते के साथ है।

हल्कू और जबरा दोनों ही ठंड से कांप रहे हैं। हल्कू अपने खेत को बचाने की कोशिश करता है, लेकिन ठंड इतनी ज्यादा है कि वह अंत में हार मान लेता है और अपनी पत्नी से लाए कंबल में जाकर सो जाता है। जब वह उठता है, तो उसे पता चलता है कि जानवर उसके पूरे खेत को चर गए हैं।

कहानी गरीबी और लाचारी के बारे में है। यह दिखाती है कि गरीब लोग किस तरह से मुश्किल परिस्थितियों में जीवन यापन करते हैं। प्रेमचंद ने हल्कू के किरदार को बहुत ही सहानुभूतिपूर्ण तरीके से चित्रित किया है।

मुझे यह कहानी बहुत पसंद आई। यह एक मार्मिक और विचारोत्तेजक कहानी है। यह हमें गरीबी और लाचारी के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। प्रेमचंद की लेखन शैली सरल और स्पष्ट है, जो कहानी को और भी प्रभावशाली बनाती है। यह कहानी भारतीय साहित्य की एक क्लासिक रचना है।

उत्तर लिखा · 2/6/2025
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कादंबरी के रचयिता बाणभट्ट हैं। यह संस्कृत साहित्य की एक प्रसिद्ध रचना है।

बाणभट्ट 7वीं शताब्दी के एक भारतीय कवि और लेखक थे। वे राजा हर्षवर्धन के दरबार में थे। कादंबरी के अतिरिक्त, उन्होंने हर्षचरित भी लिखा, जो हर्षवर्धन का जीवन चरित्र है।

उत्तर लिखा · 20/5/2025
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'आज युद्ध जर्जर जगजीवन का भावार्थ पवित्र करने का' पंक्ति का अर्थ है कि आज युद्ध से तबाह हुए संसार में जीवन के अर्थ को शुद्ध और पवित्र करने का समय है। इसका तात्पर्य है कि हमें युद्ध और हिंसा से दूर रहकर, प्रेम, शांति और सद्भाव के मूल्यों को अपनाकर जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।

यह पंक्ति हमें यह भी याद दिलाती है कि युद्ध केवल विनाश और पीड़ा लाता है। इससे न केवल भौतिक नुकसान होता है, बल्कि मानवीय मूल्यों का भी ह्रास होता है। इसलिए, हमें युद्ध को रोकने और शांति स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

यह पंक्ति हमें व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती है। व्यक्तिगत स्तर पर, हमें अपने विचारों और कार्यों में प्रेम, करुणा और क्षमा को शामिल करना चाहिए। सामाजिक स्तर पर, हमें अन्याय, असमानता और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

कुल मिलाकर, यह पंक्ति हमें युद्ध से तबाह हुए संसार में जीवन के अर्थ को फिर से खोजने और उसे पवित्र बनाने का आह्वान करती है।

उत्तर लिखा · 15/5/2025
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हिंदी की प्रसिद्ध कहानी "ठाकुर का कुआं" के लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं।
मुंशी प्रेमचंद एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक थे जिन्होंने कई सामाजिक और यथार्थवादी कहानियाँ लिखीं। "ठाकुर का कुआं" उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है।
उत्तर लिखा · 11/5/2025
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पुष्प की अभिलाषा कविता में पुष्प निम्नलिखित अभिलाषाएँ व्यक्त करता है:

  • माली द्वारा तोड़े जाने पर वह किसी प्रेमी की माला में नहीं गुँथना चाहता।
  • वह किसी सुंदरी के बालों में नहीं सजता चाहता।
  • वह देशभक्तों के पथ पर बिछाया जाना चाहता है, ताकि वह देश के लिए बलिदान होने वाले वीरों के चरणों को स्पर्श कर सके।

पुष्प का उद्देश्य त्याग और बलिदान की भावना को दर्शाता है। वह अपने व्यक्तिगत सुखों की बजाय देश के लिए समर्पित होना चाहता है।

अधिक जानकारी के लिए, आप इस कविता को यहाँ पढ़ सकते हैं: पुष्प की अभिलाषा

उत्तर लिखा · 10/5/2025
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यहां कुछ प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं:
  • प्रेमचंद: मुंशी प्रेमचंद भारत के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली लेखकों में से एक हैं। उन्होंने गोदान, गबन और ईदगाह जैसे कई उपन्यास और लघु कथाएँ लिखीं। विकिपीडिया
  • शरद चंद्र चट्टोपाध्याय: शरद चंद्र चट्टोपाध्याय एक बंगाली उपन्यासकार और लघु कथाकार थे। उन्हें देवदास, परिणीता और श्रीकांत जैसे उपन्यासों के लिए जाना जाता है। विकिपीडिया
  • रवींद्रनाथ टैगोर: रवींद्रनाथ टैगोर एक बंगाली कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार और दार्शनिक थे। उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। विकिपीडिया
उत्तर लिखा · 8/5/2025
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सोरठा एक अर्धसम मात्रिक छंद है। यह दोहा छंद का उल्टा होता है। इसकी पहचान इस प्रकार है:

  • यह दोहे का उल्टा होता है: सोरठा छंद, दोहा छंद से विपरीत होता है। दोहा के पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं जबकि सोरठा के पहले और तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं। इसी तरह, दोहा के दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं जबकि सोरठा के दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
  • मात्राएँ: इसके विषम चरणों (पहले और तीसरे) में 11-11 मात्राएँ होती हैं और सम चरणों (दूसरे और चौथे) में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
  • तुक: सम चरणों के अंत में तुक (rhyme) मिलती है।
  • उदाहरण: जो सुमिरत सिधि होइ, गननायक करिबर बदन। करहु अनुग्रह सोइ, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।

इस उदाहरण में, पहली और तीसरी पंक्ति में 11-11 मात्राएँ हैं, और दूसरी और चौथी पंक्ति में 13-13 मात्राएँ हैं।

उत्तर लिखा · 8/5/2025
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