
स्वभाव
1. धार्मिक और कर्मकांडी: लेखक के पिता धार्मिक स्वभाव के थे और नियमित रूप से पूजा-पाठ और कर्मकांड करते थे। वे राम नाम की माला फेरते थे और रामायण का पाठ करते थे।
2. सरल और स्नेही: वे सरल स्वभाव के थे और बच्चों से बहुत स्नेह करते थे। वे बच्चों के साथ खेलते थे, उन्हें कहानियां सुनाते थे और उनका मनोरंजन करते थे।
3. उदार और दयालु: वे उदार और दयालु थे और गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते थे। वे जानवरों के प्रति भी दयालु थे और उन्हें खाना खिलाते थे।
4. मजबूत और साहसी: वे मजबूत और साहसी थे और किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहते थे। वे सांप से भी नहीं डरते थे और उसका मुकाबला करते थे।
5. पितृवत: वे अपने बच्चों के प्रति पितृवत थे और उनकी देखभाल करते थे। वे उन्हें नहलाते थे, उन्हें खाना खिलाते थे और उन्हें सुलाते थे।
चुनावी स्वभाव का अर्थ है चुनावों के दौरान मतदाताओं, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के व्यवहार और दृष्टिकोण का अध्ययन। इसमें निम्नलिखित पहलू शामिल हैं:
- मतदाता व्यवहार: मतदाता कैसे वोट देते हैं, उनकी पसंद को क्या प्रभावित करता है, और वे राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को कैसे देखते हैं।
- राजनीतिक दल: राजनीतिक दल चुनाव कैसे लड़ते हैं, वे मतदाताओं को कैसे लुभाते हैं, और उनकी रणनीति क्या होती है।
- उम्मीदवार: उम्मीदवार चुनाव प्रचार कैसे करते हैं, वे मतदाताओं के साथ कैसे बातचीत करते हैं, और उनकी छवि कैसी है।
चुनावी स्वभाव को प्रभावित करने वाले कुछ कारक:
- सामाजिक-आर्थिक कारक: आय, शिक्षा, व्यवसाय, जाति, धर्म, आदि।
- राजनीतिक मुद्दे: महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कानून और व्यवस्था, आदि।
- मीडिया: समाचार पत्र, टेलीविजन, सोशल मीडिया, आदि।
- व्यक्तिगत अनुभव: मतदाताओं के अपने अनुभव और धारणाएं।
चुनावी स्वभाव का अध्ययन राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें मतदाताओं को बेहतर ढंग से समझने और अपनी चुनाव रणनीति को प्रभावी बनाने में मदद करता है।
उदाहरण के लिए, 2014 के भारतीय आम चुनाव में, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने "अच्छे दिन" और "भ्रष्टाचार मुक्त भारत" जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। इस रणनीति ने युवा मतदाताओं और मध्यम वर्ग को आकर्षित किया, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा को भारी बहुमत मिला। (भारत सरकार)
मनुष्य का सहज स्वभाव एक जटिल विषय है जिस पर विभिन्न दार्शनिकों, मनोवैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। कोई एक निश्चित उत्तर देना मुश्किल है, फिर भी कुछ सामान्य पहलुओं को समझा जा सकता है:
कुछ प्रमुख दृष्टिकोण:
- सकारात्मक दृष्टिकोण: कुछ विचारकों का मानना है कि मनुष्य मूल रूप से अच्छा होता है, और उसमें प्रेम, सहानुभूति, और सहयोग करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। खराब परिस्थितियां या गलत शिक्षा उसे नकारात्मक बना सकती हैं।
- नकारात्मक दृष्टिकोण: कुछ दार्शनिक मानते हैं कि मनुष्य स्वभाव से स्वार्थी और आक्रामक होता है, और समाज या नैतिकता उसे नियंत्रित करती है।
- तटस्थ दृष्टिकोण: कुछ का मानना है कि मनुष्य न तो पूरी तरह से अच्छा होता है और न ही बुरा। उसका स्वभाव परिस्थितियों और परवरिश से आकार लेता है।
मनोवैज्ञानिक पहलू:
- मनोविज्ञान के अनुसार, मनुष्य में कुछ बुनियादी भावनाएं और जरूरतें होती हैं, जैसे कि प्रेम, सुरक्षा, सम्मान, और आत्म-पूर्ति।
- ये भावनाएं और जरूरतें उसके व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
- मनुष्य में सीखने, अनुकूलन करने, और विकसित होने की क्षमता होती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू:
- समाज और संस्कृति मनुष्य के स्वभाव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- मानव समाज में रहने के लिए कुछ नियमों और मूल्यों का पालन करना सीखता है।
- संस्कृति उसे सोचने, महसूस करने, और व्यवहार करने के तरीके सिखाती है।
इसलिए, मनुष्य का सहज स्वभाव एक बहुआयामी अवधारणा है। यह जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों का मिश्रण है।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं:
परशुराम ने अपनी भुजाओं के बल पर भूमि को जीत कर राजाओं को दान कर दिया।