
पगार
17
Answer link
*_जॉब करने वाले जरूर पढ़ें ये खबर_*
*_Labour day Special_*
कानून के मुताबिक एक तय टाइम लिमिट में सैलरी से लेकर पीएफ देना तक जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर आप संबंधित कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.
*_सैलरी न मिले तो क्या करें_*
> सबसे पहले ऐसे लॉयर जो इस तरह के मामले देखता हो, उनके जरिए इम्प्लॉयर को लीगल नोटिस भेज सकते हैं.
> फिर भी कंपनी सैलरी नहीं दे रही तो पुलिस में इसकी शिकायत कर सकते हैं.
> ऐसा होन पर आप लेबर कमिशनर को इसकी शिकायत कर सकते हैं.
> यदि कमिशनर ऑफिस से भी आपकी समस्या का समाधान नहीं होता तो आप कोर्ट जा सकते हैं. कोर्ट में आप इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट, 1947 के सेक्शन 33 (C) के तहत केस कर सकते हैं.
🏛 *_कैसे क्लेम कर सकते हैं_*
> यदि इम्प्लॉयर की तरफ से सैलरी रोकी गई है तो इम्प्लॉई खुद या अथॉराइज्ड पर्सन के जरिए मनी के लिए क्लेम कर सकता है.
> यदि इम्प्लॉई की डेथ हो जाती है तो उसके लीगल वारिस लेबर कोर्ट में जा सकते हैं.
> यदि कोर्ट संतुष्ट होता है तो कंपनी को तय अमाउंट देने के लिए निर्देशित कर सकता है.
⚖ *_इम्प्लॉई कम्पनसेशन एक्ट होता है लागू_*
> इम्प्लॉई कम्पनसेशन एक्ट के तहत अब मजदूर से लेकर क्लर्क तक आते हैं. यदि कंपनी बिना किसी कारण से छंटनी करती है तो इम्प्लॉई लेबर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं.
> ग्रेजुएटी नहीं मिल रही तो एडिशनल लेबर कमिशनर के ऑफिस में इसकी शिकायत कर सकते हैं. वहीं अगर दिया पीएफ रोका जा रहा है तो पीएफ कमिशनर को इसकी शिकायत करनी होगी.
> यदि किसी इम्प्लॉई का पद क्लर्क से ज्यादा लेवल का है तो वो सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में केस कर सकता है.
*_Labour day Special_*
कानून के मुताबिक एक तय टाइम लिमिट में सैलरी से लेकर पीएफ देना तक जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर आप संबंधित कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.
*_सैलरी न मिले तो क्या करें_*
> सबसे पहले ऐसे लॉयर जो इस तरह के मामले देखता हो, उनके जरिए इम्प्लॉयर को लीगल नोटिस भेज सकते हैं.
> फिर भी कंपनी सैलरी नहीं दे रही तो पुलिस में इसकी शिकायत कर सकते हैं.
> ऐसा होन पर आप लेबर कमिशनर को इसकी शिकायत कर सकते हैं.
> यदि कमिशनर ऑफिस से भी आपकी समस्या का समाधान नहीं होता तो आप कोर्ट जा सकते हैं. कोर्ट में आप इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट, 1947 के सेक्शन 33 (C) के तहत केस कर सकते हैं.
🏛 *_कैसे क्लेम कर सकते हैं_*
> यदि इम्प्लॉयर की तरफ से सैलरी रोकी गई है तो इम्प्लॉई खुद या अथॉराइज्ड पर्सन के जरिए मनी के लिए क्लेम कर सकता है.
> यदि इम्प्लॉई की डेथ हो जाती है तो उसके लीगल वारिस लेबर कोर्ट में जा सकते हैं.
> यदि कोर्ट संतुष्ट होता है तो कंपनी को तय अमाउंट देने के लिए निर्देशित कर सकता है.
⚖ *_इम्प्लॉई कम्पनसेशन एक्ट होता है लागू_*
> इम्प्लॉई कम्पनसेशन एक्ट के तहत अब मजदूर से लेकर क्लर्क तक आते हैं. यदि कंपनी बिना किसी कारण से छंटनी करती है तो इम्प्लॉई लेबर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं.
> ग्रेजुएटी नहीं मिल रही तो एडिशनल लेबर कमिशनर के ऑफिस में इसकी शिकायत कर सकते हैं. वहीं अगर दिया पीएफ रोका जा रहा है तो पीएफ कमिशनर को इसकी शिकायत करनी होगी.
> यदि किसी इम्प्लॉई का पद क्लर्क से ज्यादा लेवल का है तो वो सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में केस कर सकता है.