
संपत्ति
एक सरकारी कर्मचारी को निम्नलिखित परिस्थिति में चल संपत्ति का लेनदेन करते समय प्राधिकरण को रिपोर्ट करना चाहिए:
- यदि लेनदेन का मूल्य सरकारी नियमों द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक हो। यह सीमा आमतौर पर सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों में निर्दिष्ट होती है।
आमतौर पर, यह नियम सरकारी कर्मचारियों को भ्रष्टाचार और अन्य अनैतिक गतिविधियों से बचाने के लिए बनाया गया है। चल संपत्ति में भूमि, भवन, शेयर, डिबेंचर और अन्य निवेश शामिल हो सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 देख सकते हैं। हालांकि, नियमों की विशिष्ट जानकारी और सीमाएं अलग-अलग विभागों और सरकारों के अनुसार भिन्न हो सकती हैं, इसलिए अपने विभाग के नियमों की जांच करना महत्वपूर्ण है।
लेखांकन में, मालिक के दूसरे की संपत्ति को देयताएं (Liabilities) कहा जाता है।
देयताएं एक व्यवसाय या व्यक्ति द्वारा दूसरों को चुकाई जाने वाली राशि को दर्शाती हैं। ये भविष्य में किए जाने वाले दायित्व हैं, जो आमतौर पर पैसे या सेवाओं के रूप में होते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी ने बैंक से ऋण लिया है, तो ऋण की राशि कंपनी की देयता होगी क्योंकि कंपनी को भविष्य में बैंक को वह राशि वापस चुकानी होगी। इसी तरह, यदि किसी कंपनी ने अपने आपूर्तिकर्ताओं से माल खरीदा है लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया है, तो आपूर्तिकर्ताओं को देय राशि कंपनी की देयता होगी।
देयताओं को आमतौर पर बैलेंस शीट पर दिखाया जाता है और उन्हें चालू देयताओं (Current Liabilities) और गैर-चालू देयताओं (Non-Current Liabilities) में वर्गीकृत किया जाता है। चालू देयताएं वे हैं जो एक वर्ष के भीतर देय होती हैं, जबकि गैर-चालू देयताएं वे हैं जो एक वर्ष से अधिक समय में देय होती हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं:
मालिक की दूसरी संपत्ति को अचल संपत्ति कहते हैं।
अचल संपत्ति में भूमि, भवन, और अन्य स्थायी रूप से जुड़ी हुई चीजें शामिल होती हैं। यह संपत्ति चल संपत्ति से अलग होती है, जिसमें वाहन, आभूषण, और अन्य पोर्टेबल वस्तुएं शामिल होती हैं।
अचल संपत्ति को आमतौर पर निवेश का एक सुरक्षित रूप माना जाता है, क्योंकि यह समय के साथ मूल्य में वृद्धि करती है।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं:
संपत्ति के विक्रय पर लाभ की प्रविष्टि इस प्रकार होगी:
जर्नल प्रविष्टि:
- बैंक खाता डेबिट
- संपत्ति खाता क्रेडिट
- लाभ और हानि खाता क्रेडिट
उदाहरण:
मान लीजिए कि आपने ₹10,00,000 में एक संपत्ति खरीदी थी। आपने इसे ₹12,00,000 में बेच दिया। आपका लाभ ₹2,00,000 है।
जर्नल प्रविष्टि इस प्रकार होगी:
- बैंक खाता ₹12,00,000 डेबिट
- संपत्ति खाता ₹10,00,000 क्रेडिट
- लाभ और हानि खाता ₹2,00,000 क्रेडिट
स्पष्टीकरण:
- बैंक खाते को डेबिट किया जाता है क्योंकि आपको संपत्ति बेचने से नकदी प्राप्त हुई है।
- संपत्ति खाते को क्रेडिट किया जाता है क्योंकि आपने संपत्ति बेच दी है।
- लाभ और हानि खाते को क्रेडिट किया जाता है क्योंकि आपको संपत्ति बेचने से लाभ हुआ है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संपत्ति के विक्रय पर लाभ को पूंजीगत लाभ माना जाता है और इस पर कर लगता है। आपको अपने कर सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप अपने कर दायित्वों को पूरा कर रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए आप आयकर विभाग की वेबसाइट देख सकते हैं: https://www.incometax.gov.in/
संपत्ति में क्रय पर किसका नाम किया जाएगा, यह कुछ कारकों पर निर्भर करता है, जैसे:
- खरीदार कौन है: क्या संपत्ति व्यक्तिगत रूप से खरीदी जा रही है या किसी व्यवसाय या ट्रस्ट के माध्यम से?
- खरीदार की प्राथमिकताएं: खरीदार संपत्ति के स्वामित्व को कैसे संरचित करना चाहता है? क्या वे संयुक्त स्वामित्व चाहते हैं, या वे चाहते हैं कि संपत्ति केवल उनके नाम पर हो?
- कानूनी और कर संबंधी विचार: कुछ मामलों में, कर या कानूनी कारणों से संपत्ति को किसी विशेष नाम पर रखना अधिक फायदेमंद हो सकता है।
आम तौर पर, संपत्ति में क्रय पर निम्नलिखित नाम दर्ज किए जा सकते हैं:
- व्यक्तिगत नाम: यह सबसे आम तरीका है। संपत्ति केवल एक व्यक्ति के नाम पर होती है।
- संयुक्त नाम: संपत्ति दो या दो से अधिक लोगों के नाम पर होती है। संयुक्त स्वामित्व के कई प्रकार हैं, जैसे कि संयुक्त किरायेदारी (joint tenancy) और किरायेदारी सामान्य (tenancy in common)।
- व्यवसाय का नाम: संपत्ति किसी कंपनी या अन्य व्यवसाय के नाम पर होती है।
- ट्रस्ट का नाम: संपत्ति किसी ट्रस्ट के नाम पर होती है।
कौन सा विकल्प सबसे अच्छा है, यह आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। आपको एक वकील या अन्य योग्य पेशेवर से सलाह लेनी चाहिए ताकि आप अपनी आवश्यकताओं के लिए सबसे अच्छा निर्णय ले सकें।