
अध्यात्म
- अपामार्ग (चिचिंडा): इसकी जड़ को धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- तुलसी: तुलसी का पौधा घर में लगाने और इसकी पत्तियों का सेवन करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- नीम: नीम के पत्तों का धुँआ करने और इसके पानी से स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- लोबान: लोबान का धुँआ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- गुग्गुल: गुग्गुल का धुँआ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन जड़ी-बूटियों का उपयोग केवल पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के हिस्से के रूप में किया जाना चाहिए और किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
- तुलसी: तुलसी को पवित्र माना जाता है और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक होती है। इसे घर में लगाने और इसकी पत्तियों का सेवन करने से सुरक्षा मिलती है। ओनली माय हेल्थ - तुलसी के फायदे
- लहसुन: लहसुन में शक्तिशाली सुरक्षात्मक गुण होते हैं और यह बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में मदद करता है। इसे अपने पास रखने या घर के प्रवेश द्वार पर लगाने से लाभ होता है। वेबएमडी - लहसुन के फायदे
- नीम: नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी प्रभावी है। नीम की पत्तियों को जलाने या पानी में मिलाकर स्नान करने से सुरक्षा मिलती है। हेल्थलाइन - नीम के फायदे
- हल्दी: हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी सहायक है। हल्दी का तिलक लगाने या इसे पानी में मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है। मेडिकल न्यूज़ टुडे - हल्दी के फायदे
- अदरक: अदरक में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी सहायक है। अदरक का सेवन करने या इसे अपने पास रखने से सुरक्षा मिलती है। मेडिकल न्यूज़ टुडे - अदरक के फायदे
- वास्तु शास्त्र: वास्तु शास्त्र के अनुसार, शीशे में नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने की क्षमता होती है। रात को सोते समय, जब हम कमजोर और असुरक्षित महसूस करते हैं, तो यह नकारात्मक ऊर्जा हम पर प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, शीशे को ढककर सोना बेहतर माना जाता है।
- आध्यात्मिक कारण: कुछ आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोते समय हमारी आत्मा शरीर से बाहर निकलती है और शीशे में फंस सकती है, जिससे मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।
- मनोवैज्ञानिक कारण: कुछ लोगों को रात में शीशे में अपनी परछाई देखकर डर लग सकता है या अजीब महसूस हो सकता है, जिससे नींद में खलल पड़ सकता है। इसलिए, इसे ढककर सोना बेहतर होता है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण: विज्ञान के अनुसार, शीशा कमरे में मौजूद प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है, जिससे नींद में बाधा आ सकती है। अंधेरे में, यह प्रकाश की थोड़ी सी मात्रा को भी परावर्तित कर सकता है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
1. हनुमान तावीज़:
- कैसे बनाएं: एक छोटा सा तावीज़ लें और उसमें हनुमान जी की प्रतिमा या हनुमान चालीसा की एक छोटी प्रति रखें।
- मंत्र: "ॐ हं हनुमते नमः" का जाप करते हुए तावीज़ को अभिमंत्रित करें।
- धारण करने का तरीका: इसे लाल धागे में डालकर गले या बाजू में पहनें।
2. नवग्रह तावीज़:
- कैसे बनाएं: नवग्रहों के प्रतीक के रूप में नौ अलग-अलग रंग के धागे लें।
- मंत्र: प्रत्येक ग्रह के मंत्र का जाप करें, जैसे "ॐ सूर्याय नमः" (सूर्य के लिए), "ॐ चंद्राय नमः" (चंद्रमा के लिए)।
- धारण करने का तरीका: इन धागों को एक साथ बांधकर तावीज़ के रूप में पहनें।
3. रुद्राक्ष तावीज़:
- कैसे बनाएं: एक मुखी रुद्राक्ष या पंचमुखी रुद्राक्ष लें।
- मंत्र: "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करें।
- धारण करने का तरीका: इसे काले धागे में डालकर गले में पहनें।
4. रक्षा सूत्र तावीज़:
- कैसे बनाएं: लाल या पीले रंग का धागा लें।
- मंत्र: गायत्री मंत्र या कोई अन्य सुरक्षा मंत्र का जाप करते हुए धागे को अभिमंत्रित करें।
- धारण करने का तरीका: इसे हाथ में बांधें या तावीज़ में डालकर पहनें।
5. कुरानी तावीज़:
- कैसे बनाएं: किसी आलिम (धार्मिक विद्वान) से कुरान की आयतों को लिखवाकर तावीज़ में डलवाएं।
- धारण करने का तरीका: इसे काले धागे में डालकर गले या बाजू में पहनें।
ध्यान रखने योग्य बातें:
- तावीज़ को हमेशा पवित्रता के साथ बनाएं और धारण करें।
- तावीज़ बनाने से पहले किसी जानकार व्यक्ति या धार्मिक गुरु से सलाह लें।
- अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार ही तावीज़ का चयन करें।
यह जानकारी विभिन्न स्रोतों और मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी उपाय को करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
कबीर कहते हैं कि भगवान तो सांसों की सांस में बसे हैं, यानी वे हर पल हमारे साथ हैं। उन्हें ढूंढने के लिए हमें बाहरी आडंबरों में भटकने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अपने मन को शुद्ध करके और प्रेम भाव से उन्हें याद करना चाहिए।
संदर्भ: यह पंक्ति रामकृष्ण परमहंस के विचारों से प्रेरित है, जो भक्ति और प्रेम की शक्ति पर जोर देते हैं।
प्रसंग: यह पंक्ति उस संदर्भ में कही गई है जब बुद्धि और तर्क की सीमाओं और प्रेम और भक्ति की शक्ति की बात हो रही है।
व्याख्या:
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"बुद्धि और विचार शक्ति हम लोगों की थोड़ी सहायता कर सकते हैं, वह हमको थोड़ी दूर अग्रसर कर देती है और वहीँ थक जाती है।" इसका अर्थ है कि हमारी बुद्धि और तर्क हमें एक सीमा तक ही मदद कर सकते हैं। वे हमें कुछ हद तक आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन अंततः उनकी सीमाएं होती हैं।
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"किंतु हृदय के द्वारा ही माँ शक्ति की प्रेरणा होती है, प्रेम असंभव को संभव कर देता है।" इसका अर्थ है कि प्रेम और भक्ति में असीम शक्ति होती है। हृदय, जो प्रेम और करुणा का केंद्र है, हमें माँ शक्ति (दिव्य शक्ति) से जोड़ता है। प्रेम असंभव को भी संभव कर सकता है।
तात्पर्य: यह पंक्ति बुद्धि और तर्क की सीमाओं को स्वीकार करते हुए प्रेम और भक्ति की शक्ति पर जोर देती है। यह हमें अपने हृदय को खोलने और प्रेम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है, क्योंकि प्रेम में वह शक्ति है जो असंभव को भी संभव कर सकती है।
यह व्याख्या रामकृष्ण परमहंस के शिक्षाओं पर आधारित है, जिन्हें आप विभिन्न स्रोतों में पा सकते हैं, जैसे कि रामकृष्ण मठ और मिशन की वेबसाइट: https://www.ramakrishna.org/