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कबीर के अनुसार वास्तव में भगवान कहां रहते हैं? 100 शब्दों में जवाब
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कबीर के अनुसार, भगवान किसी मंदिर, मस्जिद, या तीर्थ स्थान में नहीं रहते। वे न तो किसी विशेष रीति-रिवाज में मिलते हैं और न ही किसी मूर्ति में बसे हैं। कबीर का मानना था कि भगवान तो हर जीव में व्याप्त हैं, वे हमारे हृदय में ही निवास करते हैं। यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से उन्हें खोजे, तो वह उन्हें अपने भीतर ही पा सकता है।
कबीर कहते हैं कि भगवान तो सांसों की सांस में बसे हैं, यानी वे हर पल हमारे साथ हैं। उन्हें ढूंढने के लिए हमें बाहरी आडंबरों में भटकने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अपने मन को शुद्ध करके और प्रेम भाव से उन्हें याद करना चाहिए।