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कबीर

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कबीर के अनुसार, भगवान किसी मंदिर, मस्जिद, या तीर्थ स्थान में नहीं रहते। वे न तो किसी विशेष रीति-रिवाज में मिलते हैं और न ही किसी मूर्ति में बसे हैं। कबीर का मानना था कि भगवान तो हर जीव में व्याप्त हैं, वे हमारे हृदय में ही निवास करते हैं। यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से उन्हें खोजे, तो वह उन्हें अपने भीतर ही पा सकता है।

कबीर कहते हैं कि भगवान तो सांसों की सांस में बसे हैं, यानी वे हर पल हमारे साथ हैं। उन्हें ढूंढने के लिए हमें बाहरी आडंबरों में भटकने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अपने मन को शुद्ध करके और प्रेम भाव से उन्हें याद करना चाहिए।

उत्तर लिखा · 10/6/2025
कर्म · 480
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कबीर का साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उनके समय में था। उनके दोहे और पद हमें जीवन के कई पहलुओं पर मार्गदर्शन करते हैं:
  • सामाजिक समानता: कबीर ने हमेशा जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने सभी मनुष्यों को समान माना और प्रेम और समानता का संदेश दिया। आज भी, जब समाज में भेदभाव मौजूद है, कबीर के विचार हमें समावेशी और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • सांप्रदायिक सद्भाव: कबीर ने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों की रूढ़ियों पर प्रहार किया और दोनों समुदायों को एकजुट करने का प्रयास किया। उन्होंने आंतरिक भक्ति और प्रेम पर जोर दिया, जो सभी धर्मों का सार है। आज, जब धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहे हैं, कबीर के विचार हमें शांति और सद्भाव के साथ रहने का मार्ग दिखाते हैं।
  • नैतिकता और सादा जीवन: कबीर ने सरल जीवन जीने और नैतिक मूल्यों का पालन करने का उपदेश दिया। उन्होंने लालच, अहंकार और दिखावे से दूर रहने की सलाह दी। आज, जब भौतिकवाद और भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं, कबीर के विचार हमें सादगी, ईमानदारी और संतोष का महत्व समझाते हैं।
  • आत्मा-साक्षात्कार: कबीर ने बाहरी कर्मकांडों के बजाय आंतरिक अनुभव और आत्म-साक्षात्कार पर जोर दिया। उन्होंने स्वयं को जानने और सत्य को पहचानने का आग्रह किया। आज, जब लोग अर्थहीन जीवन जी रहे हैं, कबीर के विचार हमें अपने भीतर झांकने और जीवन का सही अर्थ खोजने के लिए प्रेरित करते हैं।
कबीर के साहित्य में जीवन के हर पहलू पर मार्गदर्शन मिलता है। उनके विचार हमें एक बेहतर इंसान और एक बेहतर समाज बनाने में मदद करते हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न वेबसाइटों पर जा सकते हैं:

उत्तर लिखा · 10/6/2025
कर्म · 480