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समानता के अधिकार के बारे में जानकारी मिलेगी क्या?
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सामाजिक सन्दर्भों में समानता (equality) का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं। सामाजिक समानता के लिए 'कानून के सामने समान अधिकार' एक न्यूनतम आवश्यकता है जिसके अन्तर्गत सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, सम्पत्ति अधिकार, सामाजिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान पहुँच (access) आदि आते हैं। सामाजिक समानता में स्वास्थ्य समानता, आर्थिक समानता, तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा भी आतीं हैं। इसके अलावा समान अवसर तथा समान दायित्व भी इसके अन्तर्गत आता है।
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ज़रूर, मैं आपको समानता के अधिकार के बारे में जानकारी दे सकता हूँ। भारतीय संविधान में समानता का अधिकार एक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है। यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में वर्णित है।
अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता (Equality before Law)
- राज्य, किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
अनुच्छेद 15: धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध (Prohibition of discrimination on grounds of religion, race, caste, sex or place of birth)
- राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
अनुच्छेद 16: सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता (Equality of opportunity in matters of public employment)
- राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी।
अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का अंत (Abolition of Untouchability)
- अस्पृश्यता को समाप्त किया जाता है और किसी भी रूप में इसका आचरण निषिद्ध है।
अनुच्छेद 18: उपाधियों का अंत (Abolition of Titles)
- राज्य, सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवा कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं: