पंछी
हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते?
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हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते?
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इस संसार में या इस दुनिया में हर हर प्राणी स्वतंत्र रहना चाहता है । चाहे वह मनुष्य या कोई पशु या पक्षी ही क्यों ना हो सबको स्वतंत्रता या खुले में रहना पसंद है ।हर कोई अपना जीवन अपनी मर्जी और अपने तरीके से जीना चहेता है चाहे उसे कोई और कितनी भी सुविधाएं क्यों ना मिले हर व्यक्ति को और हर प्राणी को प्रकृति के खुले वातावरण में रहना पसंद करता है । खुले वातावरण और सुंदर प्रकृति के सुंदर वातावरण में जीने का अलग ही मज़ा है । जिस तरह से वह जिस तरह का वातावरण एक पक्षी को पसंद होता है वो वातावरण के प्रकृति ही दे सकती है

हम नहीं वो जिस तरह से जीना चहेता है खुले आसमान में उड़ने का मजा और सुंदर प्रकृति का मजा वह एक पिजरे में रहकर उतना नहीं मिल पाता है जितना खुले वातावरण या प्रकृति में है उसे क्या पसंद है।और क्या नहीं ये हम नहीं जानते है और वो अपनी मर्जी से अपने मनपसंद चीजे पीजरे में रहकर नहीं प्राप्त कर सकता है जो प्रकृति दे सकती है वो हम नहीं दे सकते है । जैसा वातावरण प्रकृति का है वो वातावरण एक इंसान बना ही नहीं सकता है । स्वतन्त्रता हर एक जीव को प्यारी है । और वो एक पक्षी है जो पक्षियों में ही रहना पसंद करेगा इंसान के साथ नहीं ।

हम नहीं वो जिस तरह से जीना चहेता है खुले आसमान में उड़ने का मजा और सुंदर प्रकृति का मजा वह एक पिजरे में रहकर उतना नहीं मिल पाता है जितना खुले वातावरण या प्रकृति में है उसे क्या पसंद है।और क्या नहीं ये हम नहीं जानते है और वो अपनी मर्जी से अपने मनपसंद चीजे पीजरे में रहकर नहीं प्राप्त कर सकता है जो प्रकृति दे सकती है वो हम नहीं दे सकते है । जैसा वातावरण प्रकृति का है वो वातावरण एक इंसान बना ही नहीं सकता है । स्वतन्त्रता हर एक जीव को प्यारी है । और वो एक पक्षी है जो पक्षियों में ही रहना पसंद करेगा इंसान के साथ नहीं ।
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यहाँ कुछ कारण दिए गए हैं कि पक्षी हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते:
* स्वतंत्रता का महत्व: पक्षियों को उड़ने और अपनी मर्जी से घूमने की स्वतंत्रता प्यारी होती है। पिंजरे में बंद होने का मतलब है उनकी इस स्वतंत्रता का छिन जाना, जो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं होता।
* प्राकृतिक वातावरण से लगाव: पक्षी प्रकृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। वे खुले आसमान, पेड़ों, नदियों और जंगलों में रहने के आदी होते हैं। पिंजरे में उन्हें यह प्राकृतिक वातावरण नहीं मिल पाता, जिससे वे दुखी और बेचैन रहते हैं।
* सामाजिक प्राणी: कई पक्षी झुंड में रहना पसंद करते हैं। पिंजरे में वे अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका सामाजिक जीवन प्रभावित होता है।
* मूल प्रवृत्ति: पक्षियों में भोजन की तलाश, घोंसला बनाना, और प्रजनन जैसी मूल प्रवृत्ति होती है। पिंजरे में बंद होने से उनकी ये स्वाभाविक गतिविधियाँ बाधित होती हैं, जिससे वे असंतुष्ट महसूस करते हैं।
* भावनात्मक पहलू: पक्षियों में भी भावनाएँ होती हैं। पिंजरे में बंद होने से वे तनाव, डर और निराशा का अनुभव कर सकते हैं। वे अपने परिवार और दोस्तों से दूर होने के कारण दुखी हो सकते हैं।
इन कारणों से, पक्षी हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते, क्योंकि उनके लिए स्वतंत्रता और प्राकृतिक जीवन का महत्व भौतिक सुखों से कहीं अधिक होता है।