पढ़ाई

‘पढ़ाई’ इस कहानी के सामाजिक पहलू पर प्रकाश डालिए।

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‘पढ़ाई’ इस कहानी के सामाजिक पहलू पर प्रकाश डालिए।

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‘पढ़ाई’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक मार्मिक कहानी है जो शिक्षा के महत्व और समाज में व्याप्त रूढ़ियों पर प्रकाश डालती है। यह कहानी वृद्ध ठाकुर सरदार सिंह और एक गरीब और कम उम्र के लड़के भैरों के बीच के संबंध को दर्शाती है, जो शिक्षा के माध्यम से सामाजिक बाधाओं को तोड़ने की कोशिश करते हैं।

सामाजिक पहलू:
  • जातिवाद: कहानी में जातिवाद की गहरी जड़ें दिखाई गई हैं। ठाकुर सरदार सिंह, उच्च जाति के होने के बावजूद, भैरों को पढ़ाने का निर्णय लेते हैं, जो कि एक निचली जाति का लड़का है। यह उस समय के समाज में एक असामान्य बात थी।
  • रूढ़िवादी सोच: कहानी में समाज की रूढ़िवादी सोच को भी दर्शाया गया है, जो शिक्षा को केवल उच्च वर्ग के लोगों का अधिकार मानती थी। ठाकुर सरदार सिंह के इस फैसले का विरोध किया जाता है, क्योंकि लोग मानते थे कि निचली जाति के लड़के को पढ़ाना व्यर्थ है।
  • शिक्षा का महत्व: कहानी शिक्षा के महत्व को उजागर करती है। ठाकुर सरदार सिंह मानते हैं कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जिससे सामाजिक असमानता को दूर किया जा सकता है। वे भैरों को पढ़ाकर उसे समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाना चाहते हैं।
  • सामाजिक परिवर्तन: कहानी सामाजिक परिवर्तन की संभावना को भी दर्शाती है। ठाकुर सरदार सिंह के प्रयास से भैरों शिक्षित होता है और समाज में अपनी पहचान बनाने में सफल होता है। यह कहानी समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा की शक्ति पर जोर देती है।

संक्षेप में, 'पढ़ाई' कहानी शिक्षा के माध्यम से सामाजिक न्याय और समानता की स्थापना पर बल देती है। यह कहानी जातिवाद और रूढ़िवादी सोच जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एक सशक्त संदेश देती है।

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उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 680

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