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पर्वत प्रदेश में पावस' कविता के आधार पर पर्वत के रूप-स्वरूप का चित्रण कीजिए?
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'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है। इस कविता में कवि ने वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश की प्रकृति का सुंदर चित्रण किया है। पर्वत का रूप-स्वरूप इस प्रकार है:
- विशाल आकार: पर्वत बहुत विशाल और ऊंचे हैं। वे आकाश को छूते हुए प्रतीत होते हैं।
- विविधता: पर्वतों पर अनेक प्रकार के पेड़, पौधे और झरने हैं। यह विविधता पर्वतों को और भी सुंदर बनाती है।
- बादलों से घिरा: वर्षा ऋतु में पर्वत बादलों से घिरे रहते हैं। ऐसा लगता है मानो बादल पर्वतों पर उतर आए हों।
- शांत और गंभीर: पर्वत शांत और गंभीर दिखाई देते हैं। वे अपनी जगह पर स्थिर खड़े रहते हैं और प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेते हैं।
- परिवर्तनशील: वर्षा ऋतु में पर्वतों का रूप बदलता रहता है। कभी वे बादलों से घिरे रहते हैं, तो कभी उन पर धूप चमकती है। यह परिवर्तनशीलता पर्वतों को जीवंत बनाती है।