चंद्रमा पर धब्बे किस कारण से हैं? वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित विस्तृत जानकारी दें।
चंद्रमा पर दिखने वाले धब्बे वास्तव में गड्ढे हैं, जिन्हें क्रेटर कहा जाता है। ये क्रेटर क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं जैसे अंतरिक्ष मलबे के चंद्रमा की सतह से टकराने के कारण बने हैं।
क्रेटर बनने की प्रक्रिया:
- टकराव: जब कोई क्षुद्रग्रह या धूमकेतु चंद्रमा की सतह से टकराता है, तो यह बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है।
- विस्फोट: यह ऊर्जा एक विस्फोट का कारण बनती है, जो सतह से सामग्री को बाहर निकालती है।
- गड्ढा: विस्फोट के बाद, सतह पर एक गड्ढा बन जाता है, जिसे क्रेटर कहा जाता है।
चंद्रमा पर वायुमंडल की कमी के कारण, क्रेटर मिटते नहीं हैं, इसलिए वे अरबों वर्षों से वहां मौजूद हैं। ये क्रेटर चंद्रमा की सतह को धब्बेदार बनाते हैं।
नासा की वेबसाइट के अनुसार, चंद्रमा पर लाखों क्रेटर हैं, जिनका व्यास कुछ मिलीमीटर से लेकर सैकड़ों किलोमीटर तक है।
इसके अतिरिक्त, चंद्रमा के धब्बे चंद्रमा की सतह पर मौजूद गहरे रंग के क्षेत्रों को भी संदर्भित कर सकते हैं, जिन्हें मारिया (maria) कहा जाता है। मारिया प्राचीन ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण बने हैं।
प्लैनटरी सोसाइटी के अनुसार मारिया उन गड्ढों से अलग हैं जो प्रभाव से बने हैं। मारिया चिकनी और सपाट सतहें हैं, जबकि क्रेटर गोल गड्ढे होते हैं।