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प्रथम विश्व युद्ध के बाद चीन के राष्ट्रपति आंदोलन की विशेषताओं की चर्चा कीजिए?
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प्रथम विश्व युद्ध के बाद चीन में राष्ट्रपति आंदोलन (May Fourth Movement) एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और राजनीतिक आंदोलन था। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार थीं:
- राष्ट्रवाद और देशभक्ति: यह आंदोलन चीन में राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने पर केंद्रित था। इसका उद्देश्य चीन को विदेशी हस्तक्षेप से मुक्त कराना और राष्ट्रीय गौरव को पुनर्स्थापित करना था।
- साम्राज्यवाद विरोधी: यह आंदोलन पश्चिमी साम्राज्यवाद के खिलाफ था, विशेष रूप से वर्साय की संधि के तहत शेडोंग प्रांत को जापान को सौंपने के विरोध में। ब्रिटानिका - मई फोर्थ मूवमेंट
- नई संस्कृति और विज्ञान का समर्थन: इस आंदोलन ने नई संस्कृति, विज्ञान और लोकतंत्र का समर्थन किया, जबकि पारंपरिक कन्फ्यूशीवाद और पुरानी सामाजिक प्रथाओं की आलोचना की। थॉटको - मई फोर्थ मूवमेंट
- भाषा सुधार: इस आंदोलन ने बोलचाल की भाषा (बाईहुआ) के उपयोग को बढ़ावा दिया ताकि शिक्षा और साहित्य आम लोगों तक पहुंच सकें।
- छात्रों की भूमिका: छात्रों ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, प्रदर्शनों का आयोजन किया और जनता को जागरूक किया।
- मार्क्सवाद का प्रभाव: इस आंदोलन के बाद चीन में मार्क्सवाद और साम्यवाद का प्रभाव बढ़ा, जिसने बाद में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इन विशेषताओं के कारण, राष्ट्रपति आंदोलन चीन के आधुनिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने देश के राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास को गहराई से प्रभावित किया।