कवि अज्ञेय ने जीवन से मृत्यु तक गतिशील रहने की प्रेरणा दी है, नाच कविता के आधार पर विषय स्पष्ट कीजिए।
कवि अज्ञेय ने जीवन से मृत्यु तक गतिशील रहने की प्रेरणा दी है, नाच कविता के आधार पर विषय स्पष्ट कीजिए।
कवि अज्ञेय ने अपनी कविता "नाच" में जीवन से मृत्यु तक गतिशील रहने की प्रेरणा दी है। इस कविता में, कवि ने नृत्य को जीवन का प्रतीक माना है। जिस प्रकार नर्तक लगातार गतिमान रहता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी जीवन में हमेशा चलते रहना चाहिए। उसे कभी भी रुकना या हार नहीं माननी चाहिए।
कविता में, कवि कहते हैं कि नृत्य एक साधना है। यह एक तपस्या है। नर्तक को अपने शरीर और मन को पूरी तरह से समर्पित करना होता है। उसे अपनी सारी ऊर्जा नृत्य में लगानी होती है। तभी वह एक सफल नर्तक बन सकता है। इसी प्रकार, मनुष्य को भी अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उसे अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं से डरना नहीं चाहिए।
कवि कहते हैं कि नृत्य एक उत्सव है। यह एक आनंद है। नर्तक को नृत्य करते समय खुशी मिलती है। वह अपने सारे दुखों को भूल जाता है। इसी प्रकार, मनुष्य को भी अपने जीवन में खुश रहना चाहिए। उसे अपने दुखों को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए।
कवि कहते हैं कि नृत्य एक मुक्ति है। यह एक स्वतंत्रता है। नर्तक नृत्य करते समय सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है। वह अपनी आत्मा को स्वतंत्र कर देता है। इसी प्रकार, मनुष्य को भी अपने जीवन में सभी बंधनों से मुक्त होना चाहिए। उसे अपनी आत्मा को स्वतंत्र करना चाहिए।
इस प्रकार, कवि अज्ञेय ने "नाच" कविता के माध्यम से मनुष्य को जीवन से मृत्यु तक गतिशील रहने की प्रेरणा दी है। उन्होंने नृत्य को जीवन का प्रतीक मानकर मनुष्य को यह संदेश दिया है कि उसे हमेशा चलते रहना चाहिए, कभी भी रुकना या हार नहीं माननी चाहिए।