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गांधारकालीन बुद्ध की खड़ी प्रतिमा से आप क्या समझते हैं?
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गांधारकालीन बुद्ध की खड़ी प्रतिमा गांधार कला शैली में निर्मित बुद्ध की एक विशिष्ट प्रकार की प्रतिमा है। गांधार कला, जो कि आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के क्षेत्र में विकसित हुई, में बौद्ध धर्म और यूनानी कला का मिश्रण देखने को मिलता है। इस शैली में बुद्ध की प्रतिमाओं को यूनानी देवताओं की तरह ही शारीरिक सौंदर्य और वस्त्रों की बारीकी के साथ दर्शाया गया है।
गांधार शैली की बुद्ध की खड़ी प्रतिमा की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- अभय मुद्रा: आमतौर पर, बुद्ध को अभय मुद्रा में दर्शाया जाता है, जिसमें उनका दाहिना हाथ उठा हुआ होता है, जो डर को दूर करने और सुरक्षा का प्रतीक है।
- वस्त्र: प्रतिमाओं में बुद्ध को यूनानी शैली के वस्त्रों में दिखाया जाता है, जिनमें सिलवटें और बारीकी से डिज़ाइन किए गए कपड़े होते हैं।
- शारीरिक बनावट: बुद्ध की शारीरिक बनावट यूनानी देवताओं की तरह मजबूत और सुडौल होती है।
- केश विन्यास: उनके बाल लहरदार होते हैं और सिर पर एक उभार (उष्णीष) होता है, जो ज्ञान का प्रतीक है।
- सामग्री: इन प्रतिमाओं को बनाने के लिए आमतौर पर पत्थर या प्लास्टर का उपयोग किया जाता था।
गांधार कला में बुद्ध की खड़ी प्रतिमाएं बौद्ध धर्म के प्रसार और कला के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान हैं। ये प्रतिमाएं भारत और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में बौद्ध कला पर यूनानी प्रभाव को दर्शाती हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन स्रोतों को देख सकते हैं: