पर्यावरण पारिस्थितिकी

Unit 1 मूल संरचना 1. पर्यावरण: अर्थ, परिभाषा, जैविक अजैविक घटक। 2. जैव विविधता: अवधारणा, प्रकार, संरक्षण के उपाय। 3. एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा प्रवाह को समझाइए?

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Unit 1 मूल संरचना 1. पर्यावरण: अर्थ, परिभाषा, जैविक अजैविक घटक। 2. जैव विविधता: अवधारणा, प्रकार, संरक्षण के उपाय। 3. एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा प्रवाह को समझाइए?

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1. पर्यावरण: अर्थ, परिभाषा, जैविक अजैविक घटक

पर्यावरण का अर्थ: पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: "परि" (चारों ओर) और "आवरण" (घेरना)। इस प्रकार, पर्यावरण का अर्थ है वह सब कुछ जो हमारे चारों ओर है और हमें प्रभावित करता है।

पर्यावरण की परिभाषा: पर्यावरण को उन सभी भौतिक, रासायनिक और जैविक कारकों के مجموعे के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी जीव या पारिस्थितिक समुदाय को घेरते हैं और उसे प्रभावित करते हैं।

पर्यावरण के घटक: पर्यावरण के दो मुख्य घटक होते हैं:

  • जैविक घटक: इसमें सभी जीवित चीजें शामिल हैं, जैसे कि पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव आदि।
  • अजैविक घटक: इसमें सभी निर्जीव चीजें शामिल हैं, जैसे कि हवा, पानी, मिट्टी, धूप, तापमान आदि।
2. जैव विविधता: अवधारणा, प्रकार, संरक्षण के उपाय

जैव विविधता की अवधारणा: जैव विविधता का अर्थ है पृथ्वी पर जीवन की विविधता। इसमें पौधों, जानवरों, सूक्ष्मजीवों और पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता शामिल है।

जैव विविधता के प्रकार: जैव विविधता को तीन मुख्य प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:

  • आनुवंशिक विविधता: एक ही प्रजाति के जीवों के बीच आनुवंशिक अंतर।
  • प्रजाति विविधता: एक क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों की संख्या।
  • पारिस्थितिक तंत्र विविधता: विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों की उपस्थिति।

जैव विविधता के संरक्षण के उपाय:

  • प्राकृतिक आवासों का संरक्षण।
  • लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण।
  • प्रदूषण कम करना।
  • वन्यजीव अपराधों को रोकना।
  • स्थायी कृषि को बढ़ावा देना।
3. एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा प्रवाह

एक पारिस्थितिक तंत्र में, ऊर्जा का प्रवाह सूर्य से शुरू होता है। पौधे सूर्य के प्रकाश का उपयोग प्रकाश संश्लेषण नामक प्रक्रिया के माध्यम से भोजन बनाने के लिए करते हैं। फिर, शाकाहारी जानवर पौधों को खाते हैं, और मांसाहारी जानवर शाकाहारी जानवरों को खाते हैं। इस प्रकार, ऊर्जा एक स्तर से दूसरे स्तर तक प्रवाहित होती है। ऊर्जा के इस प्रवाह को ऊर्जा पिरामिड के रूप में दर्शाया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक स्तर पिछले स्तर की तुलना में कम ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होता है, जिसका अर्थ है कि ऊर्जा एक बार जब एक स्तर से दूसरे स्तर पर चली जाती है, तो वह वापस नहीं आ सकती है। ऊर्जा का कुछ भाग प्रत्येक स्तर पर गर्मी के रूप में खो जाता है।

उत्तर लिखा · 11/6/2025
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