
विवाह

विवाह के लिए शुभ तिथियाँ हिन्दू पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाती हैं। ये तिथियाँ नक्षत्रों, ग्रहों और अन्य ज्योतिषीय कारकों पर निर्भर करती हैं। यहाँ पर कुछ सामान्य तिथियाँ दी गई हैं जिन्हें विवाह के लिए शुभ माना जाता है:
- माघ माह: यह महीना विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- फाल्गुन माह: होली के पहले का यह महीना भी विवाह के लिए अच्छा होता है।
- वैशाख माह: इस महीने में अक्षय तृतीया का भी समावेश होता है, जो विवाह के लिए अत्यंत शुभ है।
- ज्येष्ठ माह: यह महीना भी विवाह के लिए शुभ माना जाता है।
- आषाढ़ माह: इस महीने की शुरुआत विवाह के लिए अच्छी होती है।
- मार्गशीर्ष माह: यह महीना भी विवाह के लिए शुभ है।
- पौष माह: कुछ विशेष परिस्थितियों में यह महीना भी विवाह के लिए उपयुक्त माना जाता है।
इन महीनों में भी कुछ विशेष तिथियाँ होती हैं जो विवाह के लिए और भी शुभ मानी जाती हैं। इसके लिए आप किसी ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं, जो आपकी कुंडली के अनुसार सबसे उपयुक्त तिथि बता सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए आप ये वेबसाइट देख सकते हैं:
शादी विवाह में धन का अपव्यय और भोजन की बर्बादी
भारत में शादी विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यह न केवल दो लोगों का मिलन है, बल्कि दो परिवारों का भी संगम है। शादियों को भव्य और यादगार बनाने के लिए लोग अपनी क्षमता से अधिक खर्च करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप धन का अपव्यय और भोजन की बर्बादी होती है।
धन का अपव्यय
- दहेज: दहेज प्रथा अभी भी हमारे समाज में व्याप्त है, जिसके कारण वर पक्ष वधू पक्ष से अनुचित मांग करता है।
- अनावश्यक खर्च: शादी में लोग दिखावे के लिए महंगे कपड़े, गहने, सजावट और अन्य अनावश्यक चीजों पर खर्च करते हैं।
- कर्ज: कई परिवार शादी के खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेते हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं।
भोजन की बर्बादी
- अति-उत्पादन: शादी में जरूरत से ज्यादा खाना बनाया जाता है, जिससे बहुत सारा भोजन बर्बाद हो जाता है।
- अनुचित योजना: भोजन की योजना ठीक से नहीं बनाई जाती, जिसके कारण कुछ व्यंजन बहुत अधिक और कुछ बहुत कम बन जाते हैं।
- अतिथि व्यवहार: कई बार मेहमान अपनी थाली में जरूरत से ज्यादा खाना लेते हैं और उसे छोड़ देते हैं।
समाधान
- दहेज प्रथा का विरोध: दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए।
- सरल विवाह: अनावश्यक खर्चों से बचना चाहिए और सादे और किफायती तरीके से शादी करनी चाहिए।
- भोजन की उचित योजना: भोजन की योजना बनाते समय अतिथियों की संख्या और पसंद का ध्यान रखना चाहिए।
- बचे हुए भोजन का दान: बचे हुए भोजन को जरूरतमंद लोगों को दान कर देना चाहिए।
शादी विवाह एक खुशी का अवसर है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम धन का अपव्यय और भोजन की बर्बादी न करें। सरल और किफायती तरीके से शादी करके हम समाज को एक अच्छा संदेश दे सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित लिंक पर जा सकते हैं:
गुजरात में, आमतौर पर विवाह के उपलक्ष में गरबा नामक नृत्य किया जाता है। गरबा नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की आराधना के रूप में भी किया जाता है, लेकिन यह विवाह समारोहों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
विवाह के अवसर पर गरबा का आयोजन खुशी और उत्सव का प्रतीक है। इसमें महिलाएं और पुरुष दोनों भाग लेते हैं, और पारंपरिक वेशभूषा पहनकर ढोल और अन्य वाद्य यंत्रों की ताल पर नृत्य करते हैं।
अधिक जानकारी के लिए आप निम्न लिंक देख सकते हैं:
राजकुमारी सत्यवती ने राजा शांतनु से विवाह करने के लिए एक शर्त रखी थी।
- शर्त: राजकुमारी सत्यवती ने यह शर्त रखी कि उनका पुत्र ही कुरु वंश का उत्तराधिकारी बनेगा।
राजा शांतनु को यह शर्त स्वीकार करने में हिचकिचाहट थी क्योंकि वे अपने पहले पुत्र देवव्रत (भीष्म) को उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे।