
राजकारण
अजित पवार वर्तमान में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री हैं।
उन्होंने 13 जुलाई 2023 को यह पद संभाला।
खुला रक्त परिवहन तंत्र:
खुला रक्त परिवहन तंत्र अधिकांश आर्थ्रोपोड्स (कीड़े, मकड़ियों, क्रस्टेशियन) और मोलस्क (घोंघे, क्लैम, स्क्विड) में पाया जाता है।
इस प्रणाली में, रक्त वाहिकाओं में बंद नहीं होता है, बल्कि सीधे शरीर के ऊतकों और अंगों के आसपास के स्थानों में बहता है। इस खुले स्थान को हेमोकोल कहा जाता है, और रक्त को हेमोलिम्फ कहा जाता है।
अधिक जानकारी के लिए आप इन साइटों पर जा सकते हैं:
अंडा देने वाले प्राणी:
अंडा देने वाले प्राणियों को अंडज कहा जाता है। पक्षी, सरीसृप, उभयचर, मछली और कीड़े अंडे देते हैं। कुछ स्तनधारी भी अंडे देते हैं, जैसे कि प्लैटिपस और इकिडना।
अधिक जानकारी के लिए आप इन साइटों पर जा सकते हैं:
- राज्य के सीमित क्षेत्र में बोली जाती है
- यह राज्य की कार्यकारी भाषा होती है
- राज्य भाषा को व्यवहारिक रूप में प्रयोग नहीं किया जाता है
- पूरे देश में बोली जाती है
- इसका क्षेत्र विस्तृत होता है
- यह भाषा व्यवहारिक रूप से प्रयोग में लाई जाती है
📝 चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है. अपने पसंदीदा उम्मीदवार को जिताने के लिए आप भी चुनाव में मतदान करेंगे. वोट डालना हमारा कानूनी अधिकार है.
🔍 लेकिन क्या आपको पता है कि चुनाव में मतदान से पहले वोटर लिस्ट तैयार होती है, जिसमें आपका नाम होने पर ही आप वोट डाल सकते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि पिछले चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट में आपका नाम होता है, लेकिन अगले चुनाव की वोटर लिस्ट में कट जाता है.
❓ *मोबाइल से कैसे करें Voter List में नाम चेक*
वोटर लिस्ट में अपना नाम पता करने के लिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए वोटर हेल्पलाइन नंबर 1950 जारी किया है. इस नंबर पर एक SMS करके यह जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं. इसके लिए टोल फ्री नंबर और एसएमएस की सुविधा चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई है.
👉 *ऑनलाइन Voter List में अपना नाम ऐसे करें चेक*
-सबसे पहले https://electoralsearch.in/ वेबसाइट पर जाएं.
-यहां आपको 2 टैब मिलेंगी, जिसमें एक टैब में आप अपनी वोटर आईडी की डिटेल्स सिर्फ नाम तथा कुछ जरूरी जानकारियां डालकर सर्च कर पाएंगे, वहीं दूसरी टैब में आपको अपने वोटर आईडी कार्ड का EPIC No. यानी मतदाता पहचान पत्र क्रमांक डालना होगा.
-अगर आपने अपने वोटर आईडी कार्ड में कुछ अपडेट कराया है तो दूसरी टैब (EPIC No.) का इस्तेमाल करें और अगर आपके पास EPIC No. नहीं है तो 'विवरण द्वारा खोज' पर क्लिक करें.
-यहां पर आपको नाम, जेंडर, पता, अपने विधानसभा क्षेत्र की जानकारियां देनी होंगी.
-डिटेल्स दर्ज करने के बाद ' खोजें/ Search' पर क्लिक करें। अब 'View Details' पर क्लिक करें.
-आपकी सारी डिटेल्स नई टैब में खुलकर आपके सामने आ जाएंगी.
-यदि अपनी डिटेल्स डालने के बाद आपकी मतदाता सूचनाएं नहीं दिखती हैं तो आप निर्वाचन आयोग के टोल फ्री नंबर 1800111950 पर बात कर सकते हैं.
👍🏻 *_शेयर करें –_*
लेट्सअप
👉 लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा के साथ ही देशभर में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है. खास बात यह है कि इस बार सोशल मीडिया पर भी यह आचार संहिता लागू होगी.
‼ *क्या है आचार संहिता-*
आचार संहिता कुछ नियमों की एक लिस्ट होती है. इस दौरान राजनेताओं को गाइडलाइन जारी किए जाते हैं कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है. इन नियमों का पालन चुनावी उम्मीदवारों को ना सिर्फ अपने भाषणों में करना होता है बल्कि सभी प्रकार के चुनावी प्रचार और यहां तक कि उनके घोषणापत्रों में भी करना होता है.
✅ चुनाव आयोग जब चुनाव की तारीखों की घोषणा कर देता है इसके बाद तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक आचार संहिता लागू हो जाती है. निष्पक्ष और निर्विवाद चुनाव संपन्न कराना इसका मुख्य मकसद होता है. इस दौरान अगर कोई नेता या चुनावी उम्मीदवार नियमों का उल्लंघन करता है, तो उनके खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकती है.
🌐 *सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता*
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस बार सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जाएगी. सोशल मीडिया पर कैंपेनिंग का खर्चा भी जोड़ा जाएगा. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस बार किसी भी राजनीतिक पार्टी के विज्ञापन को जारी करने की जानकारी देनी होगी. स्वीकृति मिलने के बाद ही वह ऐसा कर सकते हैं. गूगल और फेसबुक को भी ऐसे विज्ञापन दाताओं की पहचान करने के लिए कहा गया है.
💁♂ *आचार संहिता के प्रमुख गाइडलाइन-*
▪ *सामान्य आचार संहिता -* राजनीतिक पार्टियों को अपने प्रतिद्वंदी पार्टियों की उनके पिछले रिकॉर्ड के आधार पर ही आलोचना करनी होगी. वोटरों को लुभाने के लिए जाति और सांप्रदायिक लाभ उठाने से बचना होगा. झूठी जानकारी के आधार पर उम्मीदवारों की आलोचना नहीं करनी होगी. वोटरों को किसी तरह की रिश्वत नहीं देना होगा. प्रदर्शन और अनशन भी प्रतिबंधित होगा.
▪ *मीटिंग -* पार्टियों को अगर कोई बैठक या सभा करनी होगी तो उन्हें उस इलाके के स्थानीय पुलिस को इसकी पूरी जानकारी देनी होगी ताकि वे सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम कर सकें.
▪ *चुनाव प्रचार -* अगर दो या दो से अधिक पार्टियां एक ही रुट में चुनाव प्रचार के लिए निकली हैं तो आयोजनकर्ताओं को आपस में संपर्क कर ये तय करना होगा ताकि वे आपस में क्लैश ना हो जाएं. एक दूसरे के विरोध में हिंसा का प्रयोग बिल्कुल भी प्रतिबंधित होगा.
▪ *पोलिंग डे -* सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को एक पहचान पत्र रखना होगा. इसमें किसी पार्टी का नाम नहीं होगा ना ही चुनाव चिन्ह और ना ही किसी चुनावी उम्मीदवार का नाम होगा.
▪ *पोलिंग बूथ -* केवल मतदाता जिनके पास चुनाव आयोग के द्वारा मान्य पास होगा वे ही पोलिंग बूथ के अंदर जा सकते हैं.
▪ *निरीक्षक -* चुनाव आयोग हर पोलिंग बूथ के बाहर एक निरीक्षक तैनात करेगा ताकि अगर आचार संहिता का कोई उल्लंघन कर रहा है तो उसकी शिकायत उनके पास की जा सके.
▪ *सत्ताधारी पार्टी -* इस दौरान सत्ताधारी पार्टी के मंत्रियों को किसी भी तरह की आधिकारिक दौरे की मनाही होगी, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपनी आधिकारिक दौरे पर चुनावी प्रचार ना करें. उन्हें किसी तरह के लोक लुभावने वादे नहीं करने होंगे. सार्वजनिक स्थानों पर किसी तरह का एकाधिकार नहीं होगा.
▪ *चुनावी घोषणापत्र -* 2013 में जारी किए गए नए गाइडलाइन के मुताबिक इस नियम में ये कहा गया है कि चुनावी घोषणापत्र में बताए गए वादों को पूरा करना होगा.
थरूर का कहना था कि इससे चुनाव में धांधली को बढ़ावा मिलेगा। मोदी कैबिनेट ने अगस्त 2017 में प्रस्ताव पास करके प्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार देने का फैसला किया था। हालांकि चुनाव आयोग की विशेष टीम ने इसका मसौदा तैयार करके 2015 में ही कानून मंत्रालय के पास भेज दिया था। संसदीय समिति को पूरे मामले से मंगलवार को अवगत कराया गया।
अगर यह प्रस्ताव कानून बन जाता है तो विदेश में रह रहे भारतीयों को वोटिंग का प्रॉक्सी अधिकार मिल जाएगा। अभी तक यह केवल सैन्य बलों के जवानों को ही मिलता है। समिति ने सरकार को सुझाव दिया कि प्रवासियों के मामले में चुनाव आयोग को ऑन लाइन वोटिंग के लिए एक तंत्र स्थापित करना होगा। विदेशों में मौजूद प्रक्रिया से सबक लिया जा सकता है। इसके तहत सारे विश्व में फैले दूतावासों में मतदान केंद्र बनाकर प्रवासियों को वोटिंग की सुविधा दी जाती है। इसमें धांधली की आशंका न के बराबर रह जाती है। अभी तक प्रवासियों को अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान का अधिकार मिल रहा है।
गुर्जर और मीणा का प्रभाव
गुर्जर और मीणा...। गुर्जर पिछले चुनाव तक भाजपा के साथ थे। गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला खुद भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, पर आरक्षण की लड़ाई में वे भाजपा से दूर होते चले गए। ऐसा भी नहीं है कि वसुंधरा सरकार ने गुर्जरों के लिए कुछ नहीं किया, पर गुर्जर तो यही मानते हैं कि भाजपा के राज में उनका भला होने वाला नहीं है।
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