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आचार संहिता क्या होती है? कब लागू होती है?
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💁♀ *जानिए क्या है आचार संहिता! कब और कहां होती है लागू*
👉 लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा के साथ ही देशभर में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है. खास बात यह है कि इस बार सोशल मीडिया पर भी यह आचार संहिता लागू होगी.
‼ *क्या है आचार संहिता-*
आचार संहिता कुछ नियमों की एक लिस्ट होती है. इस दौरान राजनेताओं को गाइडलाइन जारी किए जाते हैं कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है. इन नियमों का पालन चुनावी उम्मीदवारों को ना सिर्फ अपने भाषणों में करना होता है बल्कि सभी प्रकार के चुनावी प्रचार और यहां तक कि उनके घोषणापत्रों में भी करना होता है.
✅ चुनाव आयोग जब चुनाव की तारीखों की घोषणा कर देता है इसके बाद तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक आचार संहिता लागू हो जाती है. निष्पक्ष और निर्विवाद चुनाव संपन्न कराना इसका मुख्य मकसद होता है. इस दौरान अगर कोई नेता या चुनावी उम्मीदवार नियमों का उल्लंघन करता है, तो उनके खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकती है.
🌐 *सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता*
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस बार सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जाएगी. सोशल मीडिया पर कैंपेनिंग का खर्चा भी जोड़ा जाएगा. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस बार किसी भी राजनीतिक पार्टी के विज्ञापन को जारी करने की जानकारी देनी होगी. स्वीकृति मिलने के बाद ही वह ऐसा कर सकते हैं. गूगल और फेसबुक को भी ऐसे विज्ञापन दाताओं की पहचान करने के लिए कहा गया है.
💁♂ *आचार संहिता के प्रमुख गाइडलाइन-*
▪ *सामान्य आचार संहिता -* राजनीतिक पार्टियों को अपने प्रतिद्वंदी पार्टियों की उनके पिछले रिकॉर्ड के आधार पर ही आलोचना करनी होगी. वोटरों को लुभाने के लिए जाति और सांप्रदायिक लाभ उठाने से बचना होगा. झूठी जानकारी के आधार पर उम्मीदवारों की आलोचना नहीं करनी होगी. वोटरों को किसी तरह की रिश्वत नहीं देना होगा. प्रदर्शन और अनशन भी प्रतिबंधित होगा.
▪ *मीटिंग -* पार्टियों को अगर कोई बैठक या सभा करनी होगी तो उन्हें उस इलाके के स्थानीय पुलिस को इसकी पूरी जानकारी देनी होगी ताकि वे सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम कर सकें.
▪ *चुनाव प्रचार -* अगर दो या दो से अधिक पार्टियां एक ही रुट में चुनाव प्रचार के लिए निकली हैं तो आयोजनकर्ताओं को आपस में संपर्क कर ये तय करना होगा ताकि वे आपस में क्लैश ना हो जाएं. एक दूसरे के विरोध में हिंसा का प्रयोग बिल्कुल भी प्रतिबंधित होगा.
▪ *पोलिंग डे -* सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को एक पहचान पत्र रखना होगा. इसमें किसी पार्टी का नाम नहीं होगा ना ही चुनाव चिन्ह और ना ही किसी चुनावी उम्मीदवार का नाम होगा.
▪ *पोलिंग बूथ -* केवल मतदाता जिनके पास चुनाव आयोग के द्वारा मान्य पास होगा वे ही पोलिंग बूथ के अंदर जा सकते हैं.
▪ *निरीक्षक -* चुनाव आयोग हर पोलिंग बूथ के बाहर एक निरीक्षक तैनात करेगा ताकि अगर आचार संहिता का कोई उल्लंघन कर रहा है तो उसकी शिकायत उनके पास की जा सके.
▪ *सत्ताधारी पार्टी -* इस दौरान सत्ताधारी पार्टी के मंत्रियों को किसी भी तरह की आधिकारिक दौरे की मनाही होगी, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपनी आधिकारिक दौरे पर चुनावी प्रचार ना करें. उन्हें किसी तरह के लोक लुभावने वादे नहीं करने होंगे. सार्वजनिक स्थानों पर किसी तरह का एकाधिकार नहीं होगा.
▪ *चुनावी घोषणापत्र -* 2013 में जारी किए गए नए गाइडलाइन के मुताबिक इस नियम में ये कहा गया है कि चुनावी घोषणापत्र में बताए गए वादों को पूरा करना होगा.
👉 लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा के साथ ही देशभर में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है. खास बात यह है कि इस बार सोशल मीडिया पर भी यह आचार संहिता लागू होगी.
‼ *क्या है आचार संहिता-*
आचार संहिता कुछ नियमों की एक लिस्ट होती है. इस दौरान राजनेताओं को गाइडलाइन जारी किए जाते हैं कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है. इन नियमों का पालन चुनावी उम्मीदवारों को ना सिर्फ अपने भाषणों में करना होता है बल्कि सभी प्रकार के चुनावी प्रचार और यहां तक कि उनके घोषणापत्रों में भी करना होता है.
✅ चुनाव आयोग जब चुनाव की तारीखों की घोषणा कर देता है इसके बाद तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक आचार संहिता लागू हो जाती है. निष्पक्ष और निर्विवाद चुनाव संपन्न कराना इसका मुख्य मकसद होता है. इस दौरान अगर कोई नेता या चुनावी उम्मीदवार नियमों का उल्लंघन करता है, तो उनके खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकती है.
🌐 *सोशल मीडिया पर भी आचार संहिता*
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस बार सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जाएगी. सोशल मीडिया पर कैंपेनिंग का खर्चा भी जोड़ा जाएगा. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस बार किसी भी राजनीतिक पार्टी के विज्ञापन को जारी करने की जानकारी देनी होगी. स्वीकृति मिलने के बाद ही वह ऐसा कर सकते हैं. गूगल और फेसबुक को भी ऐसे विज्ञापन दाताओं की पहचान करने के लिए कहा गया है.
💁♂ *आचार संहिता के प्रमुख गाइडलाइन-*
▪ *सामान्य आचार संहिता -* राजनीतिक पार्टियों को अपने प्रतिद्वंदी पार्टियों की उनके पिछले रिकॉर्ड के आधार पर ही आलोचना करनी होगी. वोटरों को लुभाने के लिए जाति और सांप्रदायिक लाभ उठाने से बचना होगा. झूठी जानकारी के आधार पर उम्मीदवारों की आलोचना नहीं करनी होगी. वोटरों को किसी तरह की रिश्वत नहीं देना होगा. प्रदर्शन और अनशन भी प्रतिबंधित होगा.
▪ *मीटिंग -* पार्टियों को अगर कोई बैठक या सभा करनी होगी तो उन्हें उस इलाके के स्थानीय पुलिस को इसकी पूरी जानकारी देनी होगी ताकि वे सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम कर सकें.
▪ *चुनाव प्रचार -* अगर दो या दो से अधिक पार्टियां एक ही रुट में चुनाव प्रचार के लिए निकली हैं तो आयोजनकर्ताओं को आपस में संपर्क कर ये तय करना होगा ताकि वे आपस में क्लैश ना हो जाएं. एक दूसरे के विरोध में हिंसा का प्रयोग बिल्कुल भी प्रतिबंधित होगा.
▪ *पोलिंग डे -* सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को एक पहचान पत्र रखना होगा. इसमें किसी पार्टी का नाम नहीं होगा ना ही चुनाव चिन्ह और ना ही किसी चुनावी उम्मीदवार का नाम होगा.
▪ *पोलिंग बूथ -* केवल मतदाता जिनके पास चुनाव आयोग के द्वारा मान्य पास होगा वे ही पोलिंग बूथ के अंदर जा सकते हैं.
▪ *निरीक्षक -* चुनाव आयोग हर पोलिंग बूथ के बाहर एक निरीक्षक तैनात करेगा ताकि अगर आचार संहिता का कोई उल्लंघन कर रहा है तो उसकी शिकायत उनके पास की जा सके.
▪ *सत्ताधारी पार्टी -* इस दौरान सत्ताधारी पार्टी के मंत्रियों को किसी भी तरह की आधिकारिक दौरे की मनाही होगी, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपनी आधिकारिक दौरे पर चुनावी प्रचार ना करें. उन्हें किसी तरह के लोक लुभावने वादे नहीं करने होंगे. सार्वजनिक स्थानों पर किसी तरह का एकाधिकार नहीं होगा.
▪ *चुनावी घोषणापत्र -* 2013 में जारी किए गए नए गाइडलाइन के मुताबिक इस नियम में ये कहा गया है कि चुनावी घोषणापत्र में बताए गए वादों को पूरा करना होगा.
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आचार संहिता नियमों का एक समूह है जो चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सरकारों के व्यवहार को नियंत्रित करता है। इसका उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है।
आचार संहिता कब लागू होती है:
- चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है।
- यह चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने तक लागू रहती है।
आचार संहिता का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सत्ता में मौजूद पार्टियां अपनी सरकारी मशीनरी का उपयोग चुनाव में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए न करें। यह विपक्षी दलों को भी समान अवसर प्रदान करता है।
अधिक जानकारी के लिए, आप भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट देख सकते हैं: eci.gov.in