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चुनाव

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उत्तर प्रदेश में प्रधानी के चुनाव सामान्य रूप से हर पांच साल में होते हैं। पिछला चुनाव अप्रैल 2021 में हुआ था, इसलिए अगला चुनाव अप्रैल 2026 में होने की संभावना है। हालांकि, कुछ रिपोर्टों के अनुसार, चुनाव आयोग और सरकार की योजना के अनुसार, ये चुनाव 2025 में भी कराए जा सकते हैं। चुनाव की आधिकारिक तिथियों की घोषणा उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की जाएगी।
उत्तर लिखा · 8/5/2025
कर्म · 320
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चुनाव घोषणा पत्र, जिसे मैनिफेस्टो भी कहा जाता है, एक ऐसा दस्तावेज़ होता है जिसमें कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार चुनाव लड़ने से पहले जनता के सामने अपनी नीतियों, योजनाओं और वादों को रखता है।

यह एक तरह का वादा होता है कि अगर वह दल या उम्मीदवार चुनाव जीतता है, तो वह सरकार में आने के बाद क्या करेगा।

घोषणा पत्र में आमतौर पर निम्नलिखित विषयों पर जानकारी होती है:

  • अर्थव्यवस्था
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • रोजगार
  • कृषि
  • सामाजिक न्याय
  • पर्यावरण
  • सुरक्षा

चुनाव घोषणा पत्र मतदाताओं को यह समझने में मदद करता है कि कौन सा दल या उम्मीदवार उनके हितों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न लिंक देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 14/3/2025
कर्म · 320
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किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए, निम्नलिखित शर्तों में से किसी एक को पूरा करना होता है:

  • यदि पार्टी लोकसभा चुनाव में या चार या अधिक राज्यों के विधानसभा चुनावों में कुल वैध वोटों का कम से कम 6% वोट हासिल करती है और लोकसभा में कम से कम 4 सीटें जीतती है।

अधिक जानकारी के लिए, आप भारत के चुनाव आयोग की वेबसाइट देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 14/3/2025
कर्म · 320
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Election Commission 

चुनाव या निर्वाचन, लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तियों का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है।


भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया के अलग-अलग स्तर हैं लेकिन मुख्य तौर पर संविधान में पूरे देश के लिए एक लोकसभा तथा पृथक-पृथक राज्यों के लिए अलग विधानसभा का प्रावधान है।

भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी है। 1989 तक निर्वाचन आयोग केवल एक सदस्यीय संगठन था लेकिन 16 अक्टूबर 1989 को एक राष्ट्रपती अधिसूचना के द्वारा दो और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की

लोकसभा की कुल 543 सीटों में से विभिन्न राज्यों से अलग-अलग संख्या में प्रतिनिधि चुने जाते हैं। इसी प्रकार अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं के लिए अलग-अलग संख्या में विधायक चुने जाते हैं। नगरीय निकाय चुनावों का प्रबंध राज्य निर्वाचन आयोग करता है, जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव भारत निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में होते हैं, जिनमें वयस्क मताधिकार प्राप्त मतदाता प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से सांसद एवं विधायक चुनते हैं। लोकसभा तथा विधानसभा दोनों का ही कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। इनके चुनाव के लिए सबसे पहले निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी करता है। अधिसूचना जारी होने के बाद संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया के तीन भाग होते हैं- नामांकन, निर्वाचन तथा मतगणना। निर्वाचन की अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन पत्रों को दाखिल करने के लिए सात दिनों का समय मिलता है। उसके बाद एक दिन उनकी जांच पड़ताल के लिए रखा जाता है। इसमें अन्यान्य कारणों से नामांकन पत्र रद्द भी हो सकते हैं। तत्पश्चात दो दिन नाम वापसी के लिए दिए जाते है ताकि जिन्हे चुनाव नहीं लड़ना है वे आवश्यक विचार विनिमय के बाद अपने नामांकन पत्र वापस ले सकें। 1993 के विधानसभा चुनावों तथा 1996 के लोकसभा चुनावों के लिए विशिष्ट कारणों से चार-चार दिनों का समय दिया गया था। परंतु सामान्यत: यह कार्य दो दिनों में संपन्न करने का प्रयास किया जाता है। कभी कभार किसी क्षेत्र में पुन: मतदान की स्थिति पैदा होने पर उसके लिए अलग से दिन तय किया जाता है। मतदान के लिए तय किये गए मतदान केंद्रों में मतदान का समय सामान्यत: सुबह 7 बजे से सायं 5 बजे तक रखा जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन आने के बाद मतगणना के लिए सामान्यत: एक दिन का समय रखा जाता है। मतगणना लगातार चलती है तथा इसके लिए विशिष्ट मतगणना केंद्र तय किए जाते हैं जिसमें मतदान केंद्रों के समान ही अनाधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रहता है। सभी प्रत्याशियों, उनके प्रतिनिधियों तथा पत्रकारों आदि के लिए निर्वाचन अधिकारियों द्वारा प्रवेश पत्र जारी किए जाते हैं। वर्तमान में निर्वाचन क्षेत्रानुसार मतगणना की जाती है तथा उसके लिए उसके सभी मतदान केंद्रो के मत की गणना कर परिणाम घोषित किया जाता है। परिणाम के अनुसार जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, वह केंद्र या राज्य में अपनी सरकार का गठन करता है। भारत में वोट डालने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है और यह नागरिकों का अधिकार है, कर्तव्य नहीं।
उत्तर लिखा · 15/10/2022
कर्म · 1610
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चुनाव या निर्वाचन, लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तियों का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है।यह चुनाव प्रति पाँच वर्ष में एक बार कराए जाते हैं। यदि अपना कार्यकाल पूरा करने से पूर्व कोई सरकार विधानसभा में बहुमत खो देती है तो यह चुनाव पाँच वर्ष से पहले भी कराए जा सकते हैं।और चुनाव अप्रत्यक्ष लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है जिसके माध्यम से लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो बदले में उनके लिए कानून बनाते हैं । इसके लिए एक ऐसे तंत्र की आवश्यकता है जिसके द्वारा लोग नियमित अंतराल पर अपने प्रतिनिधि चुन सकें और यदि वे चाहें तो उन्हें बदल सकें।  
उत्तर लिखा · 1/8/2022
कर्म · 150
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चुनाव का महत्व

  • लोकतंत्र की नींव: चुनाव लोकतंत्र की नींव होते हैं। यह नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने और सरकार बनाने का अवसर देते हैं।
  • जनता की भागीदारी: चुनाव जनता को राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने का मौका देते हैं।
  • जवाबदेही: निर्वाचित प्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं और उन्हें जनता के हितों की रक्षा करनी होती है।
  • नीतियों का निर्धारण: चुनाव के माध्यम से जनता अपनी पसंद की नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन कर सकती है।
  • शांतिपूर्ण परिवर्तन: चुनाव सत्ता के शांतिपूर्ण और व्यवस्थित हस्तांतरण का माध्यम होते हैं।

चुनाव कितने वर्ष के बाद होते हैं?

भारत में, आम चुनाव (लोकसभा चुनाव) आमतौर पर हर पांच साल बाद होते हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य विधानसभा चुनाव भी हर पांच साल बाद होते हैं, हालांकि ये राज्य सरकारों के कार्यकाल पर निर्भर करते हैं। स्थानीय निकाय चुनाव (जैसे पंचायत और नगरपालिका चुनाव) भी नियमित अंतराल पर होते हैं, जो राज्य कानूनों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 320
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कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है, इस कथन का आशय:

इस कथन का आशय यह है कि बुरी संगति (कुसंग) का प्रभाव किसी भयानक बुखार से भी अधिक हानिकारक होता है। जिस प्रकार बुखार शरीर को कमजोर करता है, उसी प्रकार कुसंग हमारे चरित्र, नैतिकता और विवेक को नष्ट कर देता है। कुसंग में पड़ने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे गलत आदतों और विचारों का शिकार हो जाता है, जिससे उसका जीवन बर्बाद हो सकता है।


मित्र का चुनाव करने में ध्यान रखने योग्य बातें ( 'मित्रता' पाठ के आधार पर):

  • सच्चा मित्र: मित्र ऐसा होना चाहिए जो सच्चा हो और हर परिस्थिति में साथ दे। सच्चे मित्र धोखा नहीं देते और हमेशा हमारा भला चाहते हैं।
  • विश्वसनीय: मित्र विश्वसनीय होना चाहिए, जिस पर हम अपने रहस्य और बातें साझा कर सकें।
  • मार्गदर्शक: मित्र ऐसा होना चाहिए जो हमें सही मार्ग दिखाए और गलत रास्ते पर जाने से रोके।
  • सकारात्मक: मित्र सकारात्मक विचारों वाला होना चाहिए, जो हमें प्रेरित करे और हमारा मनोबल बढ़ाए।
  • समान रुचियाँ: मित्र ऐसा होना चाहिए जिसकी रुचियाँ हमसे मिलती हों, ताकि हम साथ में समय बिता सकें और एक-दूसरे को समझ सकें।
  • बुरी आदतों से दूर: हमें ऐसे लोगों से मित्रता नहीं करनी चाहिए जिनकी आदतें बुरी हों, क्योंकि बुरी संगति का प्रभाव बहुत जल्दी पड़ता है।

अतः, मित्र का चुनाव करते समय हमें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और सोच-समझकर ही किसी को अपना मित्र बनाना चाहिए।


संदर्भ:

उत्तर लिखा · 13/3/2025
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