Topic icon

कंप्यूटर इंजीनियरिंग

0

कंप्यूटर के परफॉर्मेंस को बढ़ाने के कई तरीके हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:

  1. हार्डवेयर अपग्रेड करें:

    • RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) बढ़ाएँ: ज़्यादा RAM होने से कंप्यूटर एक साथ ज़्यादा डेटा को प्रोसेस कर सकता है, जिससे मल्टीटास्किंग और एप्लीकेशन चलाने की स्पीड बढ़ जाती है।

    • SSD (सॉलिड स्टेट ड्राइव) में बदलें: HDD (हार्ड डिस्क ड्राइव) की तुलना में SSD बहुत तेज़ होते हैं, जिससे कंप्यूटर का बूट टाइम, एप्लीकेशन लोड टाइम और फाइल ट्रांसफर स्पीड बढ़ जाती है।

    • ग्राफिक्स कार्ड अपडेट करें: अगर आप गेमिंग या ग्राफिक-इंटेंसिव काम करते हैं, तो एक अच्छा ग्राफिक्स कार्ड परफॉर्मेंस को बहुत बढ़ा सकता है।

    • प्रोसेसर (CPU) अपग्रेड करें: एक तेज़ प्रोसेसर कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड को बढ़ाता है, जिससे एप्लीकेशन तेज़ी से चलते हैं।

  2. सॉफ्टवेयर ऑप्टिमाइजेशन:

    • अनचाहे प्रोग्राम अनइंस्टॉल करें: कंप्यूटर में मौजूद अनचाहे प्रोग्राम को हटाने से सिस्टम रिसोर्सेज खाली होते हैं और परफॉर्मेंस बढ़ता है।

    • स्टार्टअप प्रोग्राम प्रबंधित करें: स्टार्टअप प्रोग्राम को कम करने से कंप्यूटर का बूट टाइम कम होता है।

    • डिस्क क्लीनअप करें: टेम्परेरी फाइल्स और अन्य जंक फाइल्स को हटाने से डिस्क स्पेस खाली होता है और सिस्टम परफॉर्मेंस बढ़ता है।

    • डिस्क डिफ्रैगमेंटेशन (HDD के लिए): HDD में डेटा को पुनर्व्यवस्थित करने से फाइल एक्सेस टाइम कम होता है। SSD के लिए यह ज़रूरी नहीं है।

    • एंटीवायरस और एंटी-मैलवेयर सॉफ्टवेयर का उपयोग करें: वायरस और मैलवेयर सिस्टम को धीमा कर सकते हैं, इसलिए एक अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करना ज़रूरी है।

  3. ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट करें:

    • विंडोज अपडेट: विंडोज को लेटेस्ट वर्जन में अपडेट रखने से परफॉर्मेंस इम्प्रूवमेंट और सिक्योरिटी पैच मिलते हैं।

    • ड्राइवर अपडेट करें: सभी हार्डवेयर ड्राइवर्स को अपडेट रखने से सिस्टम की स्टेबिलिटी और परफॉर्मेंस बनी रहती है।

  4. ब्राउज़र ऑप्टिमाइजेशन:

    • ब्राउज़र एक्सटेंशन प्रबंधित करें: अनावश्यक एक्सटेंशन को हटाने से ब्राउज़र की स्पीड बढ़ती है।

    • कैश और कुकीज़ साफ़ करें: ब्राउज़र कैश और कुकीज़ को समय-समय पर साफ़ करने से ब्राउज़िंग स्पीड बढ़ती है।

  5. अन्य उपाय:

    • पावर सेटिंग्स बदलें: "हाई परफॉर्मेंस" पावर प्लान का उपयोग करने से कंप्यूटर हमेशा अधिकतम परफॉर्मेंस पर चलता है।

    • विज़ुअल इफेक्ट्स को कम करें: विंडोज में विज़ुअल इफेक्ट्स को कम करने से सिस्टम रिसोर्सेज बचते हैं और परफॉर्मेंस बढ़ता है।

    • रीस्टार्ट करें: कंप्यूटर को नियमित रूप से रीस्टार्ट करने से मेमोरी लीक और अन्य समस्याओं से निजात मिलती है।

इन उपायों को अपनाकर आप अपने कंप्यूटर के परफॉर्मेंस को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 680
0

चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जन्मदाता माना जाता है।

चार्ल्स बैबेज एक अंग्रेजी गणितज्ञ, दार्शनिक, आविष्कारक और यांत्रिक इंजीनियर थे।

उन्होंने 19वीं शताब्दी में पहले मैकेनिकल कंप्यूटर की कल्पना की और उसे डिजाइन किया था।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न लिंक देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 680
1
खलीफा कौन थे?
उत्तर लिखा · 18/12/2021
कर्म · 20
15
कंप्यूटर का पूरा नाम "कॉमनली ऑपरेटेड मशीन पर्टिकुलरली यूज फॉर टेक्नॉलोजी एजुकेशन एंड रिसर्च" होता है...
C  - कॉमनली - Commonly
O  - ऑपरेटेड - Operated
M - मशीन - Machine
P  - पर्टिकुलरली - Particularly
U  - यूज फॉर - Used for
T  - टेक्नॉलोजी - Technology
E  - एजुकेशन एंड - Education and
R  - रिसर्च - Research

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रीक मशीन है । सामान्यतः संचलित मशीन जिसे विशेष तौर पर प्रोधिगिकी, शिक्षा तथा अनुसंधान के लिए प्रयोग किया जाता है ।
उत्तर लिखा · 13/8/2018
कर्म · 68420
11
कैसे एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखें

यदि आप कंप्यूटर प्रोग्राम, मोबाइल एप, वेबसाइट्स, गेम्स या फिर सॉफ्टवेयर के किसी भी भाग को बनाने में रूचि रखते हैं, तो पहले आप को प्रोग्रामिंग सीखना होगी। प्रोग्रामिंग लेंग्वेज का प्रयोग कर के प्रोग्राम बनाए जाते हैं। यह लेंग्वेज आप के प्रोग्राम को यह जिस भी मशीन पर चल रहा है जैसे कि, कंप्यूटर, मोबाइल फ़ोन या फिर कोई और हार्डवेयर इसे चलने की क्षमता प्रदान करती है।

एक लेंग्वेज का चयन करना

पहले तो अपनी रूचि के क्षेत्र को पहचानें: आप किसी भी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज (हालाँकि कुछ लेंग्वेज अन्य की तुलना में सच में आसान होती हैं) के साथ शुरुआत कर सकते हैं, तो पहले आप खुद से एक बार पूछें कि आप प्रोग्रामिंग लेंग्वेज सीख कर क्या पाना चाहेंगे। यह आप को आप के अनुसार एक प्रोग्रामिंग लेंग्वेज चुनने में और शुरुआती बिंदु प्रदान करने में मदद करेगा।यदि आप वेब डेवलपमेंट (web developement) में जाना चाहते हैं, तो आप के लिए ऐसी बहुत सारी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज के विकल्प उपलब्ध हैं, जो कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने के काबिल हैं। मोबाइल एप डेवलपमेंट में आप को मशीन प्रोग्रामिंग से कुछ अलग तरह की युक्तियों की ज़रूरत होगी। इन सभी परिणामों से आप को एक दिशा की प्राप्ति होगी।


किसी बहुत ही आसान सी लेंग्वेज के साथ शुरुआत करें: अपने निर्णयों के अनुसार अब आप एक आसान और उच्च श्रेणी की लेंग्वेज के साथ शुरुआत करना चाहेंगे। इस तरह की लेंग्वेज से आप को कुछ आधारभूत तथ्यों और विधियों की जानकारी मिलती है, जो हर तरह की लेंग्वेज में लागू होती हैं, और ये शुरुआत के लिए बहुत ही अच्छी होती हैं। Python, और Ruby इस श्रेणी की दो बहुत ही प्रसिद्ध लेंग्वेज हैं। ये दोनो ही ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड वेब एप्लीकेशन लेंग्वेज हैं, और इन में एक साधारण इंसान के द्वारा पढ़े जाने के योग्य सिंटेक्स (syntex) का उपयोग होता है।"ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड" का मतलब यह है कि इस तरह की लेंग्वेज का निर्माण, "ऑब्जेक्ट (object)" या डेटा के कलेक्शन और इनके बदलाव की अवधारणाओं के अंतर्गत किया गया है। इस अवधारणा का उपयोग बहुत सारी एड्वान्स प्रोग्रामिंग लेंग्वेज जैसे कि C++, Java, Objective-C and PHP में किया जाता है।


अन्य लेंग्वेज सीखने के लिए कुछ बेसिक ट्यूटोरियल्स को पढ़ें: आप को कौनसी लेंग्वेज सीखना चाहिए, यदि आप इसका निर्णय नहीं कर पाए हैं तो, कुछ अलग-अलग लेंग्वेज के लिए उपलब्ध ट्यूटोरियल्स को पढ़ें। यदि इन में से कोई भी एक लेंग्वेज आप को अन्य किसी लेंग्वेज से ज़्यादा समझ में आती है, तो इस पर थोड़ा सा काम करें। प्रोग्रामिंग लेंग्वेज सीखने के लिए यहाँ पर विकीहाउ (wikiHow) सहित बहुत सारे ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स उपलब्ध हैं:Python - यह शुरुआत करने के लिए एक बहुत ही अच्छी लेंग्वेज है, और इस के जानकारों के लिए बहुत प्रभावशाली भी है। इस का उपयोग बहुत सारे वेब एप्लीकेशन में और कुछ गेम्स में भी होता है।Java - इस का उपयोग गेम्स से लेकर वेब एप्लीकेशन और एटीएम (ATM) सॉफ़्टवेयर तक कई तरह के प्रोग्राम में होता है।HTML- किसी भी वेब डेवलपर के लिए यह एक शुरुआती बिंदु है। किसी भी प्रकार के वेब डेवलपमेंट क्षेत्र में जाने के लिए HTML सीखना बहुत ही ज़रूरी है।C - यह कुछ पुरानी लेंग्वेज में से एक है, C एक बहुत ही प्रभावशाली टूल है और यह और भी मॉडर्न C++, C# और Objective-C के लिए आधार है।


छोटे से शुरुआत करना

लेंग्वेज के कोर कॉन्सेप्ट्स (core concepts) को सीखें: हालाँकि इस चरण में मौजूद भाग आप के द्वारा चुनी गई लेंग्वेज पर निर्भर करते हैं, हर प्रोग्रामिंग लेंग्वेज की कुछ आधारभूत अवधारणाएँ होतीं है, जिन का उपयोग प्रोग्राम बनाने में किया जाता है। इन अवधारणाओं को सीख कर आप आसानी से किसी भी कोड की समस्याओं का हल निकाल सकते हैं और एक प्रभावशाली और उपयोगी कोड तैयार कर सकते हैं। नीचे कुछ अलग-अलग लेंग्वेज के लिए कोर कॉन्सेप्ट्स दर्शाए गये हैं:Variables - वेरियबल का उपयोग किसी भी बदलते हुए डेटा को स्टोर करने में किया जाता है। वेरियबल्स बदले जा सकते हैं और इन्हें "integers", "characters" और भी कुछ अन्य तरीके से परिभाषित किया जाता है, यह आप के द्वारा स्टोर किए जा रहे डेटा के प्रकार (type) को दर्शाता है। कोडिंग के समय वेरियबल्स को कुछ इस तरह के नाम दिए जाते हैं, जो अन्य किसी भी इंसान के द्वारा पहचानने के योग्य हों। इस से वेरियबल्स के, मौजूदा कोड के साथ आदान-प्रदान को समझने में आसानी होती है।Conditional Statements - एक कंडीशनल स्टेट्मेंट का उपयोग किसी भी स्टेट्मेंट के सही या ग़लत की जाँच के लिए किया जाता है। "If-Then" स्टेट्मेंट, आमतौर पर उपयोग किए जाने वाला कंडीशनल स्टेट्मेंट है। यदि दिया हुआ स्टेट्मेंट सही है (जैसे कि X = 5) तो आगे की प्रक्रिया में से कुछ होगा। यदि दिया हुआ स्टेट्मेंट ग़लत है (जैसे कि X != 5) तो आगे की प्रक्रिया में से और कुछ होगा ।Functions or Subroutines - इस अवधारणा का वास्तविक नाम आप की लेंग्वेज के अनुसार कुछ और भी हो सकता है। यह एक "Procedure" एक "Mehod" या फिर एक "Callable Unit" भी हो सकता है। दरअसल यह किसी बड़े प्रोग्राम में मौजूद एक छोटा प्रोग्राम होता है। प्रोग्राम के द्वारा एक फंक्शन का उपयोग, अनगिनत बार किया जा सकता है, जिसे हम "called" by program भी कहते हैं, और इस के माध्यम से कोई भी प्रोग्रामर एक जटिल प्रोग्राम का निर्माण कर सकता है।Data input - यह एक बहुत ही सामान्य अवधारणा है जिस का उपयोग आमतौर पर हर प्रकार की लेंग्वेज में होता है। यूज़र के द्वारा दिए गये इनपुट का संचालन और उस डेटा को स्टोर करना भी इस के अंतर्गत आते हैं। यह डेटा किस प्रकार से आ रहा है, यह आप के प्रोग्राम के प्रकार और उपलब्ध इनपुट्स (जैसे कि कीबोर्ड, फाइल आदि) पर निर्भर करता है। यूज़र को किस प्रकार से परिणाम देना है, जैसे कि स्क्रीन पर दिखाना है या फिर किसी फाइल में देना है, इस के लिए यह (इनपुट) अच्छी तरह से आउटपुट से जुड़ा हुआ होता है।


आवश्यक सॉफ़्टवेयर को इन्स्टाल करें: बहुत सी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज को एक कंपाइलर (compiler) की आवश्यकता होती है, जो आप के द्वारा डिज़ाइन किए हुए प्रोग्राम को मशीन के द्वारा समझने योग्य लेंग्वेज में बदलता है। बहुत सी अन्य लेंग्वेज इंटरप्रेटर (interpreter) का उपयोग करती हैं, जो आप के प्रोग्राम को कंपाइल किए बिना ही एक्जिक्यूट (execute) कर देता है।कुछ लेंग्वेज में IDEs (Integrated Development Environment) होती हैं, जिन में आमतौर पर एक कोड एडिटर, एक कंपाइलर और/ या एक इंटरप्रेटर और एक डिबगर (debugger) होता है। यह एक प्रोग्रामर को, प्रोग्राम के लिए आवश्यक कोई भी एक्शन एक ही स्थान पर करने की सुविधा प्रदान करता है। IDEs में ऑब्जेक्ट हाइरार्कीस (object hierarchies) और डाइरेक्टरीस (directories) का दृश्य निरूपण भी होता है।यहाँ पर बहुत सारे ऑनलाइन एडिटर्स उपलब्ध हैं। ये सभी कुछ बहुत ही अच्छे डेवेलपर फ्रेंडली टूल्स उपलब्ध कराते हैं।

अपना पहला प्रोग्राम बनाना


एक समय पर किसी एक कॉन्सेप्ट पर ही ध्यान दें: स्क्रीन पर "Hello World" दिखाई देने वाला प्रोग्राम किसी भी लेंग्वेज के लिए सबसे पहला प्रोग्राम होता है। इस प्रोग्राम के ज़रिए कोई भी प्रोग्रामर, प्रोग्राम के सिंटेक्स, उस की फंक्शनिंग और आउटपुट को किस तरीके से संभालना है यह सब कुछ सीख सकते हैं। प्रोग्राम में टेक्स्ट को बदल कर आप प्रोग्राम के द्वारा डेटा हैंडलिंग को समझ पाएँगे। विकीहाउ पर अलग-अलग लेंग्वेज में "Hello world" प्रोग्राम बनाने के लिए गाइड दी गई हैं।


ऑनलाइन उपलब्ध उदाहरणों को अलग-अलग भागों में तोड़ कर इस के बारे में और ज़्यादा जानें: दरअसल यहाँ पर आप के लिए हर एक प्रोग्रामिंग लेंग्वेज में बहुत सारे ऑनलाइन उदाहरण उपलब्ध हैं। इन उदाहरणों का उपयोग कर के लेंग्वेज के हर एक पहलू की जाँच करें। अपना प्रोग्राम बनाने के लिए, इन उदाहरणों से कुछ भागों को लें।


सिंटेक्स को जाँचें: सिंटेक्स ही वह तरीका है जिस के माध्यम से ही कंपाइलर और इंटरप्रेटर आप के लेंग्वेज को समझ पाते हैं। हर एक लेंग्वेज का अपना एक अलग सिंटेक्स होता है, हालाँकि कुछ एलिमेंट्स सभी लेंग्वेज में एक समान उपयोग होते हैं। किसी भी लेंग्वेज में प्रोग्रामिंग करने के लिए आप को पहले उस के सिंटेक्स के बारे में जानना ज़रूरी है। असल में यह एक आधार है जिस पर बहुत सारे एड्वान्स कॉन्सेप्ट टिके हुए हैं।



परिवर्तनों के साथ प्रयोग करें: उदाहरण में दिए गये प्रोग्राम में बदलाव करें और फिर इस के परिणामों की जाँच करें। इस प्रयोग से आप को यह जानने मिलेगा कि आप के द्वारा पढ़ी गई किताबों या गाइड से पढ़ने के बाद किस चीज़ ने काम किया और किसने नहीं। अपने बनाए हुए प्रोग्राम को बीच में ही तोड़ने में घबराएँ नहीं; किसी भी डेवलपमेंट प्रक्रिया के लिए, ग़लतियों को ठीक करना सीखना बहुत ज़रूरी है, और ये नई चीज़ें हमेशा पहली बार में ही काम नहीं करती। 


डिबगिंग (debugging) का अभ्यास करें: आप जब प्रोग्रामिंग करेंगे तो आप को हमेशा ही बग्स (bugs) देखने मिलेंगे। ये सब आप के प्रोग्राम में हुई ग़लतियाँ होतीं हैं, और यह कहीं पर भी दिख सकती है। ये कभी-कभी कुछ हानिरहित ग़लतियाँ होती हैं या फिर कुछ ऐसी ग़लतियाँ हो सकती हैं जो आप के प्रोग्राम को कंपाइल होने या फिर रनिंग (running) से रोक सकता है। सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट साइकल में इन ग़लतियों को ढूँढ कर इन का निवारण करना एक बहुत ही प्रमुख प्रक्रिया है, तो आप को इन की आदत जल्द ही हो जाएगी।जैसे-जैसे आप बेसिक प्रोग्राम में बदलाव के साथ प्रयोग करेंगे, तो आप को कुछ ऐसी चीज़ें भी देखने को मिलेंगी जो शायद काम ना करें। एक अच्छे प्रोग्रामर के लिए अपने प्रोग्राम में कुछ अलग-अलग दृष्टिकोण को अपनाना बेहद ज़रूरी है।



अपने कोड में कमेंट (comment) ज़रूर लिखें: आमतौर पर हर एक प्रोग्रामिंग लेंग्वेज में एक "Comment" फंक्शन होता है, जिस में आप उस कोड के बारे में कुछ भी लिख सकते हैं, और यह इंटरप्रेटर या कंपाइलर के द्वारा एक्जिक्यूट नहीं होगा। इस पर आप अपने कोड के बारे में, अन्य लोगों को एक बहुत ही साधारण भाषा में समझा सकते हैं। यह आप की ना सिर्फ़ बाद में यह जानने में कि आप का कोड क्या करता है मदद करेगा, बल्कि एक समूचे वातावरण में काम करने के लिए यह बहुत ही ज़रूरी भी है, इस से अन्य लोगों को भी आप के कोड के बारे में समझने में मदद मिलेगी।


नियमित रूप से अभ्यास करें


नियमित रूप से कोड करें: किसी भी प्रोग्रामिंग लेंग्वेज में माहिर होने के लिए आप को समय की ज़रूरत होगी। यहाँ तक कि एक बहुत ही साधारण सी लेंग्वेज जैसे कि Python, जिस के बेसिक सिंटेक्स को ही समझने में और इस में कुशल बनने में भी बहुत समय लगता है। अन्य स्किल्स की तरह ही अभ्यास ही सफलता की कुंजी होती है। अपने हर दिन से कुछ समय कोडिंग के लिए ज़रूर निकालें, भले ही यह आप के भोजन और काम के बीच का एक ही घंटा क्यों ना हो।


अपने प्रोग्राम के लिए लक्ष्य निर्धारित करें: पूर्ण हो सकने योग्य और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य का निर्धारण करें, आप खुद ही से समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हो जाएँगे। कुछ बहुत ही साधारण से एप्लीकेशन के बारे में सोचने की कोशिश करें, जैसे कि एक कैलकुलेटर और अपने प्रोग्राम के ज़रिए इसे बनाने की कोशिश करें। आप जिन भी प्रोग्राम और सिंटेक्स के बारे में पढ़ रहे हैं उन्हें अपने प्रोग्राम में ज़रूर उपयोग करें।



अन्य लोगों से अपने प्रोग्राम के बारे में बातें करें और दूसरों के प्रोग्राम भी पढ़ें: ऐसे बहुत से प्रोग्रामिंग समूह हैं जो कुछ विशेष लेंग्वेज और विषयों के लिए ही बने हैं। इन समूहों में शामिल हो कर आप अपने सीखने की प्रक्रिया में चमत्कार ला सकते हैं। इन पर से आप कुछ ऐसे टूल्स और कुछ उदाहरण मिलेंगे जिन्हें आप अपने सीखने की प्रक्रिया में शामिल कर सकते हैं। और अन्य प्रोग्रामर के प्रोग्राम को पढ़ कर आप उन काँसेपट्स में भी अपनी पकड़ को मजबूत कर सकते हैं, जिनमें अभी तक आप को कुशलता प्राप्त नहीं हुई है। अपनी पसंद की लेंग्वेज के लिए उपलब्ध फोरम या ऑनलाइन समूहों पर जाएँ। वहाँ पर सिर्फ़ प्रश्‍न ही ना पूछते रहें बल्कि अपनी भागीदारी भी दिखाएँ। इस तरह के समूहों पर बहुत से लोग ना सिर्फ़ सवाल जवाब करते हैं, बल्कि चर्चा कर अपनी भागीदारी दिखाते हैं। मदद के लिए पूछने पर शर्माएँ नहीं, लेकिन अपने काम को दर्शाने और कुछ नए दृष्टिकोण को अपनाने के लिए तैयार रहें।कुछ अनुभव प्राप्त करने के बाद प्रोग्रामिंग की किसी भी प्रतियोगिता में भाग लेने के बारे में सोचें। ये कुछ इस तरह की स्पर्धाएँ होती हैं, जिनमें अलग-अलग लोगों की या फिर समूह में समय के हिसाब से किसी विशेष फंक्शन प्रोग्राम बनाने की प्रतियोगिता होती है, और यह आमतौर पर किसी विशेष मुद्दे पर होती है। ये सारी स्पर्धाएँ बहुत ही मजेदार होतीं हैं और इन के माध्यम से आप को अलग-अलग प्रोग्रामर से मिलने का मौका भी मिलता है।



इसे मजेदार बनाए रखने के लिए खुद को ही चुनौती देते रहें: कुछ ऐसी चीज़ें करने की कोशिश करें, जिन्हें आप ने अभी तक ना किया हो। इस कार्य को पूरा करने के तरीकों को ढूँढें, और फिर इसे अपने प्रोग्राम में उपयोग करने की कोशिश करें। ऐसे चीज़ों से दूर रहें जिन के बारे में आप जानते हैं कि ये ज़रूर काम करेंगी, बल्कि ऐसी हर चीज़ करें जिस से आप का प्रोग्राम बिना किसी रुकावट के चले।

अधिक जानकारी के लिए निचे दिए हुए लिंक पर क्लीक कीजिये:
https://hi.m.wikihow.com/%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%9C-%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%82
उत्तर लिखा · 12/8/2018
कर्म · 68420
9

आज के इस पोस्ट में मैं Hyperlink जिसका short form link होता है इसके बारे में बताने जा रहा हूँ| साथ ही साथ इस पोस्ट में मैं Internal, External और Out bounds link के बारे में भी बताऊंगा|

आपने बहुत बार internet चलाया होगा पर क्या आप इन छोटी छोटी बातो के बारे में जानते हैं की किसको link कहा जाता है और इसके कितने प्रकार होते हैं? दोस्तों हम life में बहुत सारी चीजो को देखते हैं पर हम बहुत से छोटे छोटे बातो को ignore कर देते हैं पर क्या आप जानते हैं की कहीं भी interview में इन्हीं छोटी छोटी चीजो के कारण हमें शर्मिंदा होना पड़ता है|
यह पोस्ट blogger और एक simple आदमी के लिए भी है जो computer से related जानकारी रखना चाहते हैं यदि इसके बारे आपको नहीं पता है तो इस पोस्ट को जरुर पढ़ें ताकि कोई भी आपसे सवाल करे तो उसका जवाब आप तुरंत दे सकें|

Hyperlink क्या होता है? Link क्या होता है?

दोस्तों Hyperlink जिसका short form Linkहोता है यह एक HTML object होता है जो की हमें एक page से दुसरे page पर जाने में मदद करता है जब हम उस पर click करते हैं| Hyperlink लगभग सभी web pages पर मिलते है| अगर simple शब्दों में कहें तो Link एक ऐसा HTML object होता है जो की दो web pages को जोड़ने का काम करता है|

किसी भी web page में text, image and other HTML object पर link attached हो सकता है| Generally link का कलर blue होता है पर इसे आप HTML और CSS की मदद से इसका color change कर सकते हैं| जब किसी भी text में link attached होता है तो उसका color blue हो जाता है और साथ ही साथ underline भी हो जाता है पर आजकल underline को remove कर दिया जाता है सभी website से ताकि website का look अच्छा दिखे|

जब link किसी भी image पर attached होता है और अगर आप उस image पर mouse cursor ले जाते हैं जिसे HTML में Hover कहा जाता है तो image का size या effect change होता है जिससे हमें ये पता चल जाता है की इस पर link attached है|
Hyperlink कितने प्रकार के होते हैं?

Friends! Hyperlink कुल दो प्रकार के होते हैं – Internal और External. पर यदि आप इसके बारे में internet पर search करेंगे तो आपको बहुत सारे link के बारे में पता चलेगा इसलिए लगभग सभी link के बारे में मैं बता रहा हूँ|

Internal Link

Internal link वैसा link होता है जो की किसी भी text, image and other HTML object पर click करने के बाद उसी domain के अन्दर किसी दुसरे page पर redirect हो जाता है मतलब की उसी domain का कोई और page open हो जाता है|

जब आप किसी website को open करते होंगे तो आपने देखा होगा की सभी website में menu bar होता है जिसमें click करने के बाद किसी दुसरे page पर redirect हो जाता है मतलब की कोई दूसरा page open हो जाता है| इसकी को internal link कहा जाता है|

External link

External link वैसे link को कहा जाता है जिस पर click करने के बाद एक domain से किसी specific domain that means किसी दुसरे domain पर redirect हो जाता है| वैसा link जो की extra knowledge के लिए किसी दुसरे website का link add किया जाता है उसे External link कहा जाता है|

Relative and Absolute Link

इस link को समझने के लिए सबसे पहले हम आपको दो link देते हैं:

<a href=”/hindi/page”>Hindi me jankari</a>

<a href=”https://www.guptatreepoint.com/hindi/page”>Hindi me jankari</a>

Relative link वैसे link को कहा जाता है जो की link में किसी भी domain name को contain नहीं करता है that means वैसा link जिसमें कोई भी domain name include नहीं होता है उसे Relative link कहा जाता है| Relative link को हम Internal link के समय use करते हैं जब हमें अपने ही website के किसी दुसरे page को link करना होता है| जैसा की आप ऊपर के पहला link देख रहे हैं जिसमें की domain name available नहीं है और इसी कारण इसे Relative link कहा जाता है|

Absolute link वैसा link होता है जिसमें किसी भी website का domain name include रहता है that means वैसा link जिसमें domain name include हो उसे Absolute link कहा जाता है| Absolute link generally External link में उपयोग किया जाता है जब हमें किसी दुसरे website को link करना होता है| आप ऊपर के second link में देख रहे हैं की domain name available है जिसके कारण यह Absolute link कहलाता है|

Outbound और Inbound link में क्या difference है?

अगर आप एक blogger हैं तो आपको SEO के बारे में पता होगा अगर आप नहीं जानते हैं की SEO क्या होता है तो यह पोस्ट पढ़ें SEO क्या होता है और SEO कितने प्रकार के होते हैं?

Outbound link वैसा link होता है जिस पर click करने के बाद किसी दुसरे website पर redirect हो जाता है that means वैसा link जो की आपके website से किसी specific website या किसी दुसरे website को point करता है उसे Outbound link कहा जाता है| बहुत सारे लोगो का कहना है की अगर आप अपने blog पोस्ट में outbound link add करते हैं तो आपका blog Google के द्वारा penalize कर दिया जायेगा पर ऐसा नहीं है दोस्तों हरेक पोस्ट में अगर हो सके तो एक outbound link जरुर add करें जो की SEO के लिए बेहतर होता है और अगर आप किसी दुसरे blog या website का link add कर रहे हैं जो की popular नहीं है तो उसे nofollow बनाएं|

Read Also: Nofollow और Dofollow link क्या होता है?

Inbound link वैसा link होता है जो की किसी दुसरे website से आपके website पर आता है उसे Inbound link कहा जाता है| Inbound link को Backlink भी कहा जाता है जो की हम किसी दुसरे के website पर comment करके प्राप्त करते हैं| Google वैसे blog या website को penalize कर देता है जिसके बहुत सारे low quality backlinkहोते हैं|

Low quality backlink वैसे backlink को कहा जाता है जो की किसी low quality website या blog से आ रहा हो that means उसका ट्रैफिक बहुत ज्यादा नहीं आता हो और आपके website से related blog या website ना हो| इसलिए कभी भी backlink बनाने के चक्कर में बहुत ज्यादा low quality backlink ना बनाएं|

अगर आप बहुत ज्यादा low quality backlink बनाते हैं तो Google आपके blog को penalize कर सकता है और आपका website या blog search engine से hide हो सकता है|
उत्तर लिखा · 5/8/2018
कर्म · 190
10
अगर एक लाइन में कहे तो कंप्यूटर का अविष्कारक को Charles Babbage माना जाता है , क्योंकि सबसे पहले उन्होंने programmable computer का डिजाईन तैयार किया था  . 1822 में  Charles Babbage नें “डिफरेंशिअल इंजन” नाम के मैकेनिकल कंप्यूटर का आविष्कार किया था | लेकिन पैसे की कमी होने के कारन वो पूरा न हो सका

इसके बाद 1938 में United States Navy ने इलेक्ट्रो मैकेनिकल कंप्यूटर बनाया | जिसका नाम था टारपीडो डाटा कंप्यूटर (Torpedo Data Computer) . इसके बाद 1939 में Konrad Zuse ने Z2 कंप्यूटर बनाया | जिसमे पहली बार वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया गया |और ये ही सबसे पहला  Electromechanical Relay कंप्यूटर था | इसके बाद में इस को और बेहतर बनाया गया और इसके बाद Z3 कंप्यूटर बनाया गया जिसमें लगभग 2000 रिले का इस्तेमाल किया गया |

बेल लेबोरेटरीज में 1947 में का ट्रांजिस्टर आविष्कार किया है ,ट्रांजिस्टर एक स्विच की तरह काम करता है जो की सर्किट को ON या ऑफ कर सकता है और ये एम्पलीफायर की तरह भी काम करता है |ट्रांजिस्टर के आने से कंप्यूटर की दुनिया में बहुत ज्यादा बदलाव आया पहले  जो कंप्यूटर थे उनका साइज बहुत बड़ा था लेकिन ट्रांजिस्टर से उन्ही कंप्यूटर का साइज बहुत छोटा हो गया। इसके बाद आया माइक्रोप्रोसेसर जिसके कारण कंप्यूटर की स्पीड बढ़ गई और Price कम हो गए
उत्तर लिखा · 29/6/2018
कर्म · 1725