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कपड़े

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कोयले की खानों में मजदूर कपड़े की टोपी पहनकर काम इसलिए नहीं करते हैं, इसके कई कारण हैं:

  • सुरक्षा: कोयले की खानों में मीथेन और कोयले की धूल जैसी ज्वलनशील गैसों का खतरा होता है। कपड़े की टोपी में स्थैतिक बिजली (static electricity) जमा हो सकती है, जिससे चिंगारी निकलने का खतरा बढ़ जाता है और विस्फोट हो सकता है।
  • दुर्घटना का जोखिम: खानों में ऊपर से पत्थर या अन्य सामग्री गिरने का खतरा बना रहता है। कपड़े की टोपी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करती है, जबकि हेलमेट सिर को गंभीर चोट से बचा सकता है।
  • पहचान: खदान में काम करने वाले श्रमिकों को आसानी से पहचानने के लिए हेलमेट का इस्तेमाल किया जाता है। अलग-अलग विभागों या भूमिकाओं के लिए अलग-अलग रंग के हेलमेट हो सकते हैं।
  • नियम और मानक: कोयला खानों में सुरक्षा नियमों और मानकों का पालन करना अनिवार्य होता है, जिसके तहत श्रमिकों को हेलमेट पहनना आवश्यक है।

इन कारणों से, कोयले की खानों में काम करने वाले मजदूर कपड़े की टोपी की जगह हेलमेट पहनते हैं, जो उन्हें बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है।

उत्तर लिखा · 14/3/2025
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9 रु का 15 आम तो 1 आम कितने रु का होगा?
उत्तर लिखा · 18/1/2023
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पटोला, बंधनी, और गद्दर कपड़े बनाने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

1. पटोला:

  • पटोला एक प्रकार का डबल इक्कत बुनाई वाला कपड़ा है, जो गुजरात में बनाया जाता है।
  • इसे बनाने के लिए, रेशम के धागों को पहले बांधा जाता है और फिर रंगा जाता है, ताकि बुनाई के बाद एक विशेष डिज़ाइन बन सके।
  • यह प्रक्रिया बहुत ही जटिल और समय लेने वाली होती है, इसलिए पटोला के कपड़े बहुत महंगे होते हैं।
  • अधिक जानकारी के लिए, आप विकिपीडिया पर जा सकते हैं।

2. बंधनी:

  • बंधनी, जिसे टाई-डाई के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कपड़े को बांधकर रंगा जाता है।
  • कपड़े के छोटे-छोटे हिस्सों को धागे से कसकर बांध दिया जाता है, जिससे रंग उन हिस्सों तक नहीं पहुंच पाता।
  • जब कपड़े को रंगा जाता है और फिर खोला जाता है, तो बंधे हुए हिस्से बिना रंग के रह जाते हैं, जिससे एक विशेष डिज़ाइन बनता है।
  • यह तकनीक भारत में बहुत लोकप्रिय है, खासकर राजस्थान और गुजरात में।
  • अधिक जानकारी के लिए, आप विकिपीडिया पर जा सकते हैं।

3. गद्दर:

  • गद्दर कपड़े मुख्य रूप से राजस्थान में बनाए जाते हैं।
  • ये कपड़े अपनी अनूठी शैली और डिजाइन के लिए जाने जाते हैं।
  • गद्दर बनाने की प्रक्रिया में विभिन्न प्रकार की कढ़ाई और अलंकरण का उपयोग किया जाता है, जो इसे एक विशेष रूप देते हैं।
उत्तर लिखा · 14/3/2025
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जब कांच की छड़ को रेशम के कपड़े पर रगड़ा जाता है, तो कांच की छड़ से इलेक्ट्रॉन रेशम के कपड़े में चले जाते हैं।

इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप:

  • कांच की छड़ पर धनात्मक आवेश (positive charge) आ जाता है, क्योंकि उस पर इलेक्ट्रॉनों की कमी हो जाती है।
  • रेशम के कपड़े पर ऋणात्मक आवेश (negative charge) आ जाता है, क्योंकि उस पर इलेक्ट्रॉनों की अधिकता हो जाती है।

जब यह धनात्मक आवेशित कांच की छड़ कागज के छोटे टुकड़ों के पास लाई जाती है, तो कागज के टुकड़े स्थिरवैद्युत आकर्षण (electrostatic attraction) के कारण छड़ की ओर आकर्षित होते हैं। कागज के टुकड़े तटस्थ होते हैं, लेकिन छड़ के धनात्मक आवेश के कारण उनमें ध्रुवीकरण (polarization) होता है, जिससे वे छड़ की ओर आकर्षित होते हैं।

इसे triboelectric प्रभाव भी कहा जाता है।

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 320
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कई प्रकार के रेशों का उपयोग करके मजबूत, हल्के और आसानी से धोए जा सकने वाले कपड़े बनाए जा सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख रेशे और उनके उपयोग निम्नलिखित हैं:

  1. पॉलिएस्टर (Polyester):

    पॉलिएस्टर एक सिंथेटिक फाइबर है जो अपनी मजबूती, हल्केपन और सिकुड़न-प्रतिरोध के लिए जाना जाता है। यह आसानी से धोया जा सकता है और जल्दी सूख जाता है। पॉलिएस्टर कपड़ों को टिकाऊ बनाने के लिए अन्य रेशों के साथ भी मिलाया जा सकता है।

    विकिपीडिया: पॉलिएस्टर

  2. नायलॉन (Nylon):

    नायलॉन भी एक सिंथेटिक फाइबर है जो बहुत मजबूत और हल्का होता है। यह घर्षण प्रतिरोधी है, इसलिए यह ऐसे कपड़ों के लिए अच्छा विकल्प है जो बार-बार पहने जाते हैं। नायलॉन को धोना भी आसान है और यह जल्दी सूख जाता है।

    विकिपीडिया: नायलॉन

  3. कपास (Cotton):

    कपास एक प्राकृतिक फाइबर है जो आरामदायक और सांस लेने योग्य होता है। हालांकि कपास पॉलिएस्टर और नायलॉन जितना मजबूत नहीं होता है, फिर भी यह कपड़ों के लिए एक अच्छा विकल्प है जिसे आसानी से धोया जा सकता है। कपास को मजबूत और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए अन्य रेशों के साथ मिलाया जा सकता है।

    विकिपीडिया: कपास

  4. लिनन (Linen):

    लिनन एक प्राकृतिक फाइबर है जो कपास की तुलना में अधिक मजबूत होता है। यह भी सांस लेने योग्य और आरामदायक है। लिनन में झुर्रियाँ पड़ने की संभावना होती है, लेकिन इसे धोना आसान है।

    विकिपीडिया: लिनन

  5. रेयॉन (Rayon):

    रेयॉन एक अर्ध-सिंथेटिक फाइबर है जो नरम और चिकना होता है। यह कपास की तुलना में अधिक शोषक होता है, इसलिए यह गर्म मौसम के कपड़ों के लिए एक अच्छा विकल्प है। रेयॉन को धोना मुश्किल हो सकता है, इसलिए निर्माता के देखभाल निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।

    विकिपीडिया: रेयॉन

इनके अतिरिक्त, कपड़ों को मजबूत, हल्का और धोने में आसान बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की बुनाई तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 320
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कपड़े न धोने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:

  • समय की कमी: हो सकता है कि उसके पास कपड़े धोने का समय न हो।
  • ऊर्जा की कमी: हो सकता है कि वह बहुत थका हुआ हो और कपड़े धोने का मन न हो।
  • वाशिंग मशीन की समस्या: हो सकता है कि वाशिंग मशीन खराब हो गई हो।
  • कपड़ों की कमी: हो सकता है कि उसके पास पहनने के लिए पर्याप्त कपड़े हों और उसे कपड़े धोने की ज़रूरत न हो।
  • अन्य प्राथमिकताएँ: हो सकता है कि उसके पास कपड़े धोने से ज़्यादा ज़रूरी काम हों।
उत्तर लिखा · 13/3/2025
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