
अलंकार
जब किसी काव्य में किसी शब्द की आवृत्ति हो, परन्तु अर्थ में कोई भिन्नता न हो, तो पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है। इसका अर्थ है कि शब्द को दोहराया जाता है, लेकिन उसका मतलब वही रहता है।
जहाँ किसी शब्द या वाक्य की आवृत्ति हो और उसका अर्थ वही रहे, वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है।
- मधुर मधुर मेरे दीपक जल।
- धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
- सुबह सुबह सूरज उगता है।
इन उदाहरणों में, "मधुर मधुर", "धीरे धीरे", और "सुबह सुबह" शब्दों का प्रयोग दो बार हुआ है, लेकिन उनका अर्थ वही है। इसलिए, यहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
जटाधारी डोंगराला फुटलेलं वेडं झाड - या वाक्यात Rupak Alankar (रूपक अलंकार) आहे.
स्पष्टीकरण:
- जेव्हा उपमेय आणि उपमान यांच्यात भेद नसून ते एकरूप आहेत, असे मानले जाते, तेव्हा रूपक अलंकार होतो.
- या वाक्यात, डोंगराला जटाधारी मानले आहे आणि झाडाला वेडे मानले आहे, म्हणजेच उपमेय आणि उपमान यांच्यात समानता दर्शविली आहे. त्यामुळे इथे रूपक अलंकार आहे.
- अनुप्रास अलंकार: इस अलंकार में वर्णों की आवृत्ति होती है। इस दोहे में 'भ' वर्ण की आवृत्ति कई बार हुई है, जैसे "भजन", "भजो", "भजे"।
- पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार: जब एक ही शब्द या पद की आवृत्ति होती है और उससे चमत्कार उत्पन्न होता है, तो पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है। यहाँ "भजो भजो" में इस अलंकार का प्रयोग हुआ है।
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अलंकार, काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। ये भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाते हैं। अलंकारों के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
- अनुप्रास: जब किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है, तो अनुप्रास अलंकार होता है।
- यमक: जब एक ही शब्द दो या अधिक बार आए और हर बार उसका अर्थ अलग हो, तो यमक अलंकार होता है।
- श्लेष: जब एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हों, तो श्लेष अलंकार होता है।
- उपमा: जब दो वस्तुओं या व्यक्तियों में समानता बताई जाए, तो उपमा अलंकार होता है।
- रूपक: जब उपमेय और उपमान में कोई अंतर न रहे, दोनों एक ही हो जाएं, तो रूपक अलंकार होता है।
- उत्प्रेक्षा: जब उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए, तो उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- अतिशयोक्ति: जब किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहा जाए, तो अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- यह अलंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित होता है।
- पुनरुक्ति: जब किसी शब्द या वाक्य की आवृत्ति हो, लेकिन अर्थ में कोई विशेष परिवर्तन न हो।
अलंकारों का प्रयोग काव्य को अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है।
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दिए गए वाक्य "काली घटा का घमंड घटा" में यमक अलंकार है।
यमक अलंकार में, एक शब्द दो बार आता है और हर बार उसका अर्थ अलग होता है। इस वाक्य में, 'घटा' शब्द दो बार आया है। पहली बार 'घटा' का अर्थ है 'बादल' और दूसरी बार 'घटा' का अर्थ है 'कम होना'।
इसलिए, इस वाक्य में यमक अलंकार है।
हाँ, एक स्वाध्याय गद्य पर आधारित हो सकता है और उसमें निम्नलिखित प्रकार के प्रश्न अपेक्षित हो सकते हैं:
- अलंकार: गद्य में प्रयुक्त अलंकारों (जैसे उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि) को पहचानना और उनके प्रकार बताना।
उदाहरण: "चाँद सा सुंदर चेहरा" में कौन सा अलंकार है? अलंकार - शब्द संपदा: गद्य में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ, पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द, और शब्दों का वाक्य में प्रयोग करना।
उदाहरण: 'अवनि' शब्द का अर्थ और पर्यायवाची शब्द लिखिए। - स्वमत अभिव्यक्ति: गद्य पर आधारित अपने विचार व्यक्त करना, गद्य से संबंधित मुद्दों पर अपनी राय देना।
उदाहरण: यदि आप लेखक की जगह होते तो कहानी को कैसे बदलते? - सरल अर्थ: गद्य के कुछ अंशों का सरल भाषा में अर्थ लिखना, गद्य के मुख्य विचारों को संक्षेप में प्रस्तुत करना।
उदाहरण: निम्नलिखित पंक्ति का सरल अर्थ लिखिए: "मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।"
इनके अतिरिक्त, स्वाध्याय में व्याकरण, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, और रचना संबंधी प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं। इन प्रश्नों का उद्देश्य छात्रों की भाषा और साहित्य की समझ को बढ़ाना है।व्याकरण