
भौतिक विज्ञान
मटके में पानी ठंडा रहने का मुख्य कारण वाष्पीकरण (Evaporation) है। मटके की दीवारें छिद्रिल (porous) होती हैं, जिनमें से पानी धीरे-धीरे रिसता रहता है। जब यह पानी मटके की बाहरी सतह पर आता है, तो यह वाष्पित होता है। वाष्पीकरण की प्रक्रिया के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होती है, और यह ऊष्मा मटके के अंदर के पानी से ली जाती है। इस कारण से, मटके के अंदर का पानी ठंडा रहता है।
ठंडा रखने के कुछ अतिरिक्त उपाय:
- छाया में रखें: मटके को हमेशा ठंडी और छायादार जगह पर रखें। सीधी धूप से मटके का पानी जल्दी गर्म हो सकता है।
- हवादार जगह: मटके को ऐसी जगह पर रखें जहाँ हवा का प्रवाह अच्छा हो। हवा के प्रवाह से वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे पानी और भी ठंडा रहता है।
- सूती कपड़े का उपयोग: मटके को सूती कपड़े से ढककर रखें और कपड़े को समय-समय पर गीला करते रहें। इससे वाष्पीकरण बना रहता है और पानी ठंडा रहता है।
- नियमित सफाई: मटके को नियमित रूप से साफ करते रहें ताकि छिद्र बंद न हों और वाष्पीकरण की प्रक्रिया ठीक से होती रहे।
इन उपायों का पालन करके आप मटके के पानी को और भी ठंडा रख सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए आप निम्न वेबसाइट देख सकते हैं:
द्रव्यमान और भार दोनों ही भौतिक राशियाँ हैं लेकिन इनमें अंतर होता है। इनके SI मात्रक इस प्रकार हैं:
द्रव्यमान (Mass):
- द्रव्यमान किसी वस्तु में निहित पदार्थ की मात्रा है।
- यह वस्तु की जड़ता (Inertia) का माप है।
- द्रव्यमान का SI मात्रक किलोग्राम (kg) है।
- द्रव्यमान एक अदिश राशि (Scalar quantity) है, जिसका अर्थ है कि इसमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं।
- द्रव्यमान स्थान बदलने पर नहीं बदलता है।
भार (Weight):
- भार वह बल है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण किसी वस्तु पर लगता है।
- भार एक सदिश राशि (Vector quantity) है, जिसका अर्थ है कि इसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।
- भार का SI मात्रक न्यूटन (N) है।
- भार स्थान बदलने पर बदल सकता है, क्योंकि यह गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है।
संक्षेप में, द्रव्यमान किसी वस्तु की आंतरिक संपत्ति है, जबकि भार उस वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल है। द्रव्यमान को किलोग्राम में मापा जाता है, जबकि भार को न्यूटन में मापा जाता है।
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (Electromagnetic energy) ऊर्जा का एक रूप है जो विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र से उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा तरंगों के रूप में संचरित होती है, जिन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंगें कहा जाता है। इन तरंगों में विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र एक दूसरे के लंबवत कंपन करते हैं।
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के उदाहरण:
- प्रकाश (Visible light)
- रेडियो तरंगें (Radio waves)
- सूक्ष्म तरंगें (Microwaves)
- अवरक्त विकिरण (Infrared radiation)
- पराबैंगनी विकिरण (Ultraviolet radiation)
- एक्स-रे (X-rays)
- गामा किरणें (Gamma rays)
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के गुण:
- यह तरंगों के रूप में यात्रा करती है।
- इसे यात्रा करने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
- इसकी गति प्रकाश की गति के बराबर होती है (लगभग 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड)।
- इसकी ऊर्जा आवृत्ति और तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करती है।
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के उपयोग:
- संचार (Communication): रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल फोन
- चिकित्सा (Medicine): एक्स-रे, एमआरआई
- उद्योग (Industry): हीटिंग, वेल्डिंग
- घरेलू उपकरण (Household appliances): माइक्रोवेव ओवन, रिमोट कंट्रोल
- खगोल विज्ञान (Astronomy): तारों और ग्रहों का अध्ययन
अधिक जानकारी के लिए, आप निम्न वेबसाइट देख सकते हैं:
प्राकृतिक जगत में कई चीजें बिखरी पड़ी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- तत्व और यौगिक: विभिन्न रासायनिक तत्व और उनसे बने यौगिक पूरे प्राकृतिक जगत में बिखरे हुए हैं, जैसे कि मिट्टी, पानी, हवा और जीवित जीवों में।
- ऊर्जा: ऊर्जा विभिन्न रूपों में बिखरी हुई है, जैसे कि सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा और रासायनिक ऊर्जा। यह ऊर्जा प्राकृतिक प्रक्रियाओं को चलाती है।
- जीव: पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव और अन्य जीव पूरे प्राकृतिक जगत में फैले हुए हैं, प्रत्येक एक विशिष्ट पारिस्थितिक भूमिका निभाता है।
- भू-आकृतियाँ: पहाड़, नदियाँ, झीलें, रेगिस्तान और अन्य भू-आकृतियाँ पृथ्वी की सतह पर बिखरी हुई हैं, जो विविध आवास और संसाधन प्रदान करती हैं।
- प्राकृतिक संसाधन: खनिज, जीवाश्म ईंधन, वन और अन्य प्राकृतिक संसाधन पूरे ग्रह पर असमान रूप से वितरित हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों की अर्थव्यवस्थाओं और जीवनशैली को प्रभावित करते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह बिखराव यादृच्छिक नहीं है। प्राकृतिक प्रक्रियाएँ, जैसे कि भूवैज्ञानिक गतिविधि, जलवायु पैटर्न और पारिस्थितिक अंतःक्रियाएँ, यह निर्धारित करती हैं कि विभिन्न तत्व और चीजें कहाँ पाई जाती हैं।
अधिक जानकारी के लिए, आप इन स्रोतों को देख सकते हैं:
आर्किमिडिज़
(यूनानी: Ἀρχιμήδης)
दोमेनीको फेत्ती द्वारा रचित आर्किमिडिज़ विचारमग्न (१६२०)
जन्म
लगभग २८७ ई.पू.
सिराक्यूज़, सिसली
मैग्ना ग्रीसिया
मृत्यु
लगभग २१२ ई.पू.
सिराक्यूज़
आवास
सिराक्यूज़, सिसली
जातियता
यूनानी
क्षेत्र
गणित, भौतिकी, अभियांत्रिकी, खगोलशास्त्र, आविष्कार
प्रसिद्धि
आर्किमिडिज़ सिद्धांत, आर्किमिडिज़ पेच, द्रव्य स्थिति-विज्ञान, लीवर, अतिसूक्ष्म राशियाँ

भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि।
भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं।
- पत्थर: यह पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक ठोस पदार्थ है।
- लकड़ी: यह पेड़ों से प्राप्त एक ठोस पदार्थ है।
- धातु: यह एक ठोस पदार्थ है जो आमतौर पर चमकदार और लचीला होता है।
- बर्फ: यह पानी का ठोस रूप है।
- प्लास्टिक: यह एक मानव निर्मित ठोस पदार्थ है जो विभिन्न प्रकार के उपयोगों के लिए बनाया जाता है।
- उनका एक निश्चित आकार और आयतन होता है।
- उन्हें संपीड़ित करना मुश्किल होता है।
- वे बह नहीं सकते हैं।
और जानकारी के लिए, आप इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं: