आयुष्य
जीवन रूपी सड़क पर हम यात्री हैं या चालक?
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जीवन रूपी सड़क पर हम यात्री हैं या चालक?
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जीवन रूपी सड़क पर हम चालक है...
हम खुद अपना रास्ता बनाते है...
हम जब समझने सवरने लगते है तो अपने दोस्त हम खुद चुनते है...
हमारी बेस्ट टीचर कौन होगी यह भी हम खुद ही चुनते है...
कौनसे शाखा में अध्यापन करे यह भी हम खुद निर्णय लेते है...
हमे आगे बढ़ना है या रुक जाना है या पीछे जाना है... इसका निर्णय भी हम खुद लेते है..
यदि वास्तव में दुखद वातावरण हो तो उसे सुखद कैसे करे ये भी हम खुदपर होता है...
इसलिए जीवन में हम खुद अपने चालक होते है...
हम खुद अपना रास्ता बनाते है...
हम जब समझने सवरने लगते है तो अपने दोस्त हम खुद चुनते है...
हमारी बेस्ट टीचर कौन होगी यह भी हम खुद ही चुनते है...
कौनसे शाखा में अध्यापन करे यह भी हम खुद निर्णय लेते है...
हमे आगे बढ़ना है या रुक जाना है या पीछे जाना है... इसका निर्णय भी हम खुद लेते है..
यदि वास्तव में दुखद वातावरण हो तो उसे सुखद कैसे करे ये भी हम खुदपर होता है...
इसलिए जीवन में हम खुद अपने चालक होते है...
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जीवन रूपी सड़क पर हम यात्री और चालक दोनों ही हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम जीवन को कैसे देखते हैं और कैसे जीते हैं।
हम यात्री कब हैं:
- जब हम परिस्थितियों के प्रवाह में बह जाते हैं और बिना सक्रिय रूप से निर्णय लिए या दिशा बदले आगे बढ़ते रहते हैं।
- जब हम भाग्यवादी होते हैं और मानते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है, वह पूर्वनिर्धारित है और हम उसे बदल नहीं सकते।
- जब हम दूसरों के द्वारा तय किए गए रास्तों पर चलते हैं और अपनी खुद की राह बनाने की कोशिश नहीं करते।
हम चालक कब हैं:
- जब हम अपने लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं और उन्हें प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास करते हैं।
- जब हम अपनी गलतियों से सीखते हैं और अपने जीवन में सुधार करने के लिए कदम उठाते हैं।
- जब हम अपनी जिम्मेदारी लेते हैं और अपने जीवन की दिशा तय करते हैं।
- जब हम मुश्किलों का सामना करते हैं और उनसे हार नहीं मानते।
वास्तव में, जीवन एक संतुलन है। कभी-कभी हमें यात्री बनकर परिस्थितियों के साथ बहना होता है, तो कभी-कभी चालक बनकर अपने जीवन को दिशा देनी होती है। महत्वपूर्ण यह है कि हम जागरूक रहें और यह समझें कि हमें कब यात्री बनना है और कब चालक।