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बोर्डिंग स्कूल से सब बच्चे डरते क्यों हैं?
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बोर्डिंग स्कूल से सब बच्चे डरते क्यों हैं?
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बोर्डिंग स्कुल में जाने से सब बच्चे इसीलिए डरते है की उन्हें अपने माता-पिता से दूर रहना पडता है...
और वहा सब अपने वैयक्तिक काम खुदको करना पड़ता है...
वैसे तो बच्चो के मन में माता-पिता बोर्डिंग के बारेमे गलत तरीकेसे वर्णन करते है...
जब बच्चा बहुत मस्ती कर रहा होता है, या किसी निजी कारण वश बच्चे को बोर्डिंग भेजना पड़े तो "बोर्डिंग में भेजकर तुम अपनी हरकतों से बाज आओगे, और वहा सबलोग तुम्हे बराबर करेंगे" ऐसे कुछ ज्यादातर वाक्यं पालक कहते हुए दिखते है...
इसी वजह से बच्चों के मन में बोर्डिंग में बारेमे एक डर सा पैदा होकर वह बोर्डिंग जाने के लिए मना करता है...
लेकिन सच कहे तो बोर्डिंग एक सजा नही है... बोर्डिंग एक शिक्षा है... और शिक्षा को सजा समझना गलथ है...
बच्चो को बोर्डिंग का महत्त्व समझाना आवश्यक है...
यहा विद्यार्थी को सिमित रखा जाता है... ताकी वह समय का पालन करे... उसके महत्त्व समझे...
अपने काम जब अपने माता पिता या अपने रिश्तेदार प्यार से करते है तब हमे उनकी और उनके कामो की कदर नही होती...
और जब यही काम हम खुद करते है तो हमे उनके कार्यो का महत्त्व समझने लगता है...
और इसीको हम शिक्षा कहते है... जो हम यहासे कुछ सिख के जाते है...
और वहा सब अपने वैयक्तिक काम खुदको करना पड़ता है...
वैसे तो बच्चो के मन में माता-पिता बोर्डिंग के बारेमे गलत तरीकेसे वर्णन करते है...
जब बच्चा बहुत मस्ती कर रहा होता है, या किसी निजी कारण वश बच्चे को बोर्डिंग भेजना पड़े तो "बोर्डिंग में भेजकर तुम अपनी हरकतों से बाज आओगे, और वहा सबलोग तुम्हे बराबर करेंगे" ऐसे कुछ ज्यादातर वाक्यं पालक कहते हुए दिखते है...
इसी वजह से बच्चों के मन में बोर्डिंग में बारेमे एक डर सा पैदा होकर वह बोर्डिंग जाने के लिए मना करता है...
लेकिन सच कहे तो बोर्डिंग एक सजा नही है... बोर्डिंग एक शिक्षा है... और शिक्षा को सजा समझना गलथ है...
बच्चो को बोर्डिंग का महत्त्व समझाना आवश्यक है...
यहा विद्यार्थी को सिमित रखा जाता है... ताकी वह समय का पालन करे... उसके महत्त्व समझे...
अपने काम जब अपने माता पिता या अपने रिश्तेदार प्यार से करते है तब हमे उनकी और उनके कामो की कदर नही होती...
और जब यही काम हम खुद करते है तो हमे उनके कार्यो का महत्त्व समझने लगता है...
और इसीको हम शिक्षा कहते है... जो हम यहासे कुछ सिख के जाते है...
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बोर्डिंग स्कूल से डरने के कई कारण हो सकते हैं, जो व्यक्तिपरक होते हैं और हर बच्चे के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
घर से दूरी:
- बोर्डिंग स्कूल में रहने का मतलब है कि बच्चे अपने परिवार और परिचित वातावरण से दूर रहेंगे। यह अकेलापन और उदासी की भावना पैदा कर सकता है।
नई दिनचर्या:
- बोर्डिंग स्कूल में एक सख्त दिनचर्या होती है जिसका पालन करना हर बच्चे के लिए आसान नहीं होता। नए नियमों और अपेक्षाओं के अनुकूल होने में समय लग सकता है।
शैक्षणिक दबाव:
- बोर्डिंग स्कूलों में अक्सर शैक्षणिक उत्कृष्टता पर जोर दिया जाता है, जिससे बच्चों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ सकता है।
सामाजिक चिंताएँ:
- नए लोगों से मिलना और नए दोस्त बनाना कुछ बच्चों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। साथियों के दबाव और सामाजिक अस्वीकृति का डर भी चिंता का कारण बन सकता है।
अनुशासन:
- बोर्डिंग स्कूलों में आमतौर पर सख्त अनुशासन होता है, जो कुछ बच्चों को कठोर लग सकता है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी बच्चे बोर्डिंग स्कूल से नहीं डरते हैं। कई बच्चे बोर्डिंग स्कूल को एक सकारात्मक और समृद्ध अनुभव मानते हैं जो उन्हें स्वतंत्रता, आत्मविश्वास और सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद करता है। बोर्डिंग स्कूल का अनुभव बच्चे की व्यक्तिगत परिस्थितियों, व्यक्तित्व और स्कूल के वातावरण पर निर्भर करता है।