वर्तमान समय में बालकों के संस्कार कैसे क्षीण हो रहे हैं? और इसके बचाने के क्या उपाय हैं?
वर्तमान समय में बालकों के संस्कार कैसे क्षीण हो रहे हैं? और इसके बचाने के क्या उपाय हैं?
वर्तमान समय में बालकों में संस्कारों के क्षीण होने के कई कारण हैं:
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पारिवारिक संरचना में बदलाव: आजकल एकल परिवारों का चलन बढ़ गया है, जिसमें दादा-दादी और अन्य बुजुर्गों का मार्गदर्शन बच्चों को नहीं मिल पाता। संयुक्त परिवारों में बच्चों को जो संस्कार मिलते थे, वे अब कम हो गए हैं।
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तकनीकी का प्रभाव: मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चे अपनी संस्कृति और मूल्यों से दूर हो रहे हैं। वे पश्चिमी संस्कृति से अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
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शिक्षा प्रणाली: आजकल की शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा और मूल्यों पर कम ध्यान दिया जाता है। बच्चों को केवल किताबी ज्ञान पर जोर दिया जाता है, जिससे उनमें नैतिक मूल्यों का विकास नहीं हो पाता।
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माता-पिता का व्यस्त जीवन: आजकल माता-पिता दोनों ही काम करते हैं, जिसके कारण वे बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते। इससे बच्चों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता और वे गलत रास्ते पर जा सकते हैं।
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सामाजिक परिवेश: आजकल समाज में भ्रष्टाचार, हिंसा और अनैतिकता बढ़ गई है, जिसका बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
संस्कारों को बचाने के उपाय:
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पारिवारिक मूल्यों को महत्व देना: परिवारों को अपने बच्चों को अपने मूल्यों और संस्कृति के बारे में सिखाना चाहिए। दादा-दादी और अन्य बुजुर्गों को बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए और उन्हें नैतिक कहानियां सुनानी चाहिए।
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तकनीकी का सही उपयोग: माता-पिता को बच्चों के तकनीकी उपयोग को नियंत्रित करना चाहिए। उन्हें बच्चों को ऐसे ऐप्स और वेबसाइटों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जो शिक्षाप्रद और मनोरंजक हों।
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नैतिक शिक्षा पर जोर: स्कूलों को नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। बच्चों को नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में सिखाना चाहिए।
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माता-पिता का समय: माता-पिता को अपने बच्चों के लिए समय निकालना चाहिए। उन्हें बच्चों के साथ खेलना चाहिए, उनसे बात करनी चाहिए और उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए।
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सकारात्मक सामाजिक परिवेश: समाज को भ्रष्टाचार, हिंसा और अनैतिकता को कम करने के लिए प्रयास करना चाहिए। लोगों को नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
इन उपायों के द्वारा हम बालकों में संस्कारों को बचा सकते हैं और उन्हें एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं।