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व्यापार चक्र किसे कहते हैं?
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व्यापार चक्र (business cycle अर्थवा आर्थिक चक्रअथवा बूम बस्ट चक्र) बाजार अर्थव्यवस्था में एक वर्ष अथवा कुछ माह में उत्पादन, व्यापार और सम्बंधित गतिविधि को सन्दर्भित करने वाला एक शब्द है।[1]
पूँजीवादी व्यवस्था में सदा तेजी या सदा मन्दी नहीं रहती बल्कि तेजी के बाद मन्दी तथा मन्दी के बाद तेजी का क्रम आता रहता है। यह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता है। इसे ही व्यापार चक्र (ट्रेड सायकिल या इकनॉमिक सायकिल) काते हैं। कई देशों (फ्रांस, इंग्लैण्ड, यूएसए) की अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने के पश्चात फ्रांसके अर्थशास्त्री क्लीमेण्ट जगलर (Clement Juglar) ने सबसे पहले १८६२ 'व्यापार चक्र' की संकल्पना रखी थी।
प्रमुख आर्थिक सिद्धान्त मुख्यतः ४ प्रकार के चक्रों की बात करते हैं। ये सभी चक्र सदा चलते रहते हैं किन्तु इनके आवर्तन की अवधि अलग-अलग होती है।
किचिन चक्र (Kitchin cycle) -- (3-4 वर्ष);
जगलर चक्र (uglar cycle) -- (8-10 वर्ष);
कजनेट चक्र (Kuznets cycle) -- (15 से 25 वर्ष);
कोन्द्रातिफ चक्र (Kondratieff cycle) -- (40 से 60 वर्ष)
पूँजीवादी व्यवस्था में सदा तेजी या सदा मन्दी नहीं रहती बल्कि तेजी के बाद मन्दी तथा मन्दी के बाद तेजी का क्रम आता रहता है। यह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता है। इसे ही व्यापार चक्र (ट्रेड सायकिल या इकनॉमिक सायकिल) काते हैं। कई देशों (फ्रांस, इंग्लैण्ड, यूएसए) की अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने के पश्चात फ्रांसके अर्थशास्त्री क्लीमेण्ट जगलर (Clement Juglar) ने सबसे पहले १८६२ 'व्यापार चक्र' की संकल्पना रखी थी।
प्रमुख आर्थिक सिद्धान्त मुख्यतः ४ प्रकार के चक्रों की बात करते हैं। ये सभी चक्र सदा चलते रहते हैं किन्तु इनके आवर्तन की अवधि अलग-अलग होती है।
किचिन चक्र (Kitchin cycle) -- (3-4 वर्ष);
जगलर चक्र (uglar cycle) -- (8-10 वर्ष);
कजनेट चक्र (Kuznets cycle) -- (15 से 25 वर्ष);
कोन्द्रातिफ चक्र (Kondratieff cycle) -- (40 से 60 वर्ष)
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व्यापार चक्र (Business Cycle) एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। यह एक आवर्ती प्रक्रिया है जिसमें अर्थव्यवस्था में समृद्धि, मंदी, संकुचन और पुनरुत्थान की स्थितियाँ आती हैं।
इसे आर्थिक चक्र भी कहा जाता है।
व्यापार चक्र की मुख्य अवस्थाएँ:
- विस्तार (Expansion): इस चरण में, अर्थव्यवस्था में उत्पादन, रोजगार और आय में वृद्धि होती है। व्यवसाय आशावादी होते हैं और निवेश बढ़ाते हैं।
- शिखर (Peak): यह विस्तार चरण का अंत होता है। अर्थव्यवस्था अपनी चरम उत्पादन क्षमता तक पहुँच जाती है।
- संकुचन (Contraction): इसे मंदी भी कहा जाता है। उत्पादन, रोजगार और आय में गिरावट शुरू होती है। व्यवसाय कम आशावादी होते हैं और निवेश कम करते हैं।
- गर्त (Trough): यह संकुचन चरण का अंत होता है। अर्थव्यवस्था अपनी निम्नतम बिंदु पर पहुँच जाती है।
- पुनरुत्थान (Recovery): यह चरण गर्त के बाद आता है। उत्पादन, रोजगार और आय में धीरे-धीरे वृद्धि शुरू होती है।
व्यापार चक्र कई कारणों से हो सकते हैं, जैसे कि ब्याज दरों में बदलाव, सरकारी नीतियां, तकनीकी नवाचार, और वैश्विक आर्थिक स्थितियाँ।
यहाँ एक उपयोगी लिंक है जो इस विषय पर अधिक जानकारी प्रदान करता है: Investopedia - Business Cycle