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संविधान के 73वें संविधान संशोधन के अंतर्गत किए गए प्रावधानों को समझाएं?
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73वां संविधान संशोधन, 1992 भारत में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए पारित किया गया था। इस संशोधन के अंतर्गत किए गए मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
- पंचायतों का गठन: प्रत्येक राज्य में ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जाएगा।
- सदस्यों का चुनाव: पंचायतों के सभी सदस्य सीधे चुनाव द्वारा चुने जाएंगे।
- आरक्षण: अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण होगा। महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित होंगी।
- कार्यकाल: पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा। यदि पंचायत को कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो 6 महीने के भीतर चुनाव कराए जाएंगे।
- शक्तियां और कार्य: पंचायतों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने की शक्तियां दी जाएंगी। उन्हें राज्य सरकार द्वारा सौंपे गए कार्यों को करने की भी जिम्मेदारी दी जाएगी।
- वित्त आयोग: प्रत्येक राज्य में एक वित्त आयोग का गठन किया जाएगा जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करेगा और राज्यपाल को सिफारिशें देगा।
- चुनाव आयोग: पंचायतों के चुनाव कराने के लिए एक राज्य चुनाव आयोग का गठन किया जाएगा।
यह संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को अधिक स्वायत्तता और शक्ति प्रदान करता है, जिससे वे ग्रामीण विकास में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें।
अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित स्रोत देख सकते हैं:
- Constitution (Seventy-third Amendment) Act, 1992 - भारत सरकार का विधायी विभाग।
- The Constitution of India - भारत का संविधान।