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संशोधन

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कृती संशोधन (Action Research) आणि नवोपक्रम (Innovation) या विषयांवर आधारित ऑनलाइन आणि ऑफलाइन संदर्भ साहित्य खालीलप्रमाणे:

ऑनलाइन संदर्भ साहित्य:
  • NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद): NCERT च्या वेबसाइटवर तुम्हाला कृती संशोधन आणि शैक्षणिक नवोपक्रम यांवर आधारित अनेक लेख, पुस्तके आणि शैक्षणिक साहित्य मिळू शकते. NCERT Website
  • DIKSHA Platform: या प्लॅटफॉर्मवर शिक्षक आणि विद्यार्थ्यांसाठी उपयुक्त असलेले कृती संशोधन, शैक्षणिक नवोपक्रम आणि तंत्रज्ञान आधारित शिक्षण यांवरचे साहित्य उपलब्ध आहे. DIKSHA Platform
  • शोधगंगा (Shodhganga): येथे विविध विद्यापीठांमधील संशोधकांनी केलेले कृती संशोधनावरचे प्रबंध (theses) उपलब्ध आहेत. Shodhganga Website
  • शैक्षणिक वेबसाइट्स आणि ब्लॉग: अनेक शैक्षणिक वेबसाइट्स आणि ब्लॉग कृती संशोधन आणि नवोपक्रम यांवर माहितीपूर्ण लेख प्रकाशित करतात. जसे की TeachThought, Edutopia. Edutopia
ऑफलाइन संदर्भ साहित्य:
  • पुस्तके:
    • कृती संशोधन: स्वरूप आणि प्रक्रिया - लेखक: डॉ. सुधीर भोंगळे
    • शैक्षणिक नवोपक्रम - लेखक: डॉ. रजनी देशमुख
    • Action Research: A Guide for Teachers - लेखक: Geoff Elliott
  • ನಿಯತಕಾಲಿಕೆಗಳು (Journals): शैक्षणिक नियತकालिकांमध्ये कृती संशोधन आणि नवोपक्रम यांवर आधारित लेख प्रकाशित होत असतात. उदा. 'The Educational Review'.
  • कार्यशाळा आणि प्रशिक्षण कार्यक्रम: कृती संशोधन आणि नवोपक्रम या विषयांवर अनेक कार्यशाळा आणि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित केले जातात. यामध्ये सहभागी होऊन तुम्ही अधिक माहिती मिळवू शकता.

हे साहित्य तुम्हाला कृती संशोधन आणि नवोपक्रम यांबद्दल अधिक माहिती मिळवण्यासाठी उपयुक्त ठरू शकेल.

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 340
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विचारों को अभिव्यक्त करने के माध्यम को भाषा कहते हैं। इनमें से आलेख कौन सा है?
उत्तर लिखा · 19/6/2022
कर्म · 0
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संविधान की सूची अथवा अनुच्छेद में परिवर्तन को संशोधन कहते हैं।
इसमें मूल अनुच्छेद में परिवर्तन कर जन सामान्य के लिए उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण नीति का समावेश किया जाता है।
उत्तर लिखा · 28/10/2021
कर्म · 7690
2
संविधान के अनुच्छेद 368 में संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है. इसमें संशोधन की तीन विधियों को अपनाया गया है: 

(a) साधारण विधि द्वारा संशोधन

(b) संसद के विशेष बहुमत द्वारा

(c) संसद के विशेष बहुमत और राज्य के विधान-मंडलों की स्वीकृति से संशोधन.

1. साधारण विधि द्वारा संशोधन : 

संसद के साधारण बहुमत द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर कानून बन जाता है. इसके अंतर्गत राष्ट्रपति की पूर्व अनुमती मारने पर निम्न संशोधन किए जा सकते है :

 (a) नए राज्यों का निर्माण,
(b) राज्य क्षेत्र, सीमा और नाम में परिवर्तन,
(c) संविधान की नागरिकता संबंधी अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियों की प्रशासन संबंधी तथा केंद्र द्वारा प्रशासित क्षेत्रों की प्रशासन संबंधी व्यवस्थाएं. 

 
2. विशेष बहुमत द्वारा संशोधन:

 यदि संसद के प्रत्येक सदन द्वारा कुल सदस्यों का बहुमत तथा उपस्थिति और मतदान में भाग लेनेवाले सदस्यों के 2/3 मतों से विधेयक पारित हो जाएं तो राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही वह संशोधन संविधान का अंग बन जाता है. न्यायपालिका तथा राज्यों के अधिकारों तथा शक्तियों जैसी कुछ विशिष्ट बातों को छोड़कर संविधान की अन्य सभी व्यवस्थाओं में इसी प्रक्रिया के द्वारा संशोधन किया जाता है. 


3. संसद के विशेष बहुमत और राज्य के विधान-मंडलों की स्वीकृति से संशोधन: 

संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन के लिए विधेयक को संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत तथा राज्यों के कुल विधान मंडलों में से आधे द्वारा स्वीकृति आवश्यक है. इसके द्वारा किए जाने वाले संशोधन के प्रमुख विषय हैं:

(a) राष्ट्रपति का निर्वाचन (अनुच्छेद 54)
(b) राष्ट्रपति निर्वाचन की कार्य-पद्धति (अनुच्छेद 55),
(c) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार,
(d) राज्यों की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार,
(e) केंद्र शासित क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय,
(f) संघीय न्यायपालिका,
(g) राज्यों के उच्च न्यायालय,
(h) संघ एवं राज्यों में विधायी संबंध,
(i) सांतवी अनुसूची का कोई विषय,
(j) संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व,
(k) संविधान संशोधन की प्रक्रिया से संबंधित उपबंध.
 



उत्तर लिखा · 19/10/2021
कर्म · 4170
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भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। यह संशोधन 1976 में हुआ था।

इसलिए, दिए गए विकल्पों में से कोई भी सही नहीं है, क्योंकि 43वां, 44वां और 45वां संशोधन मौलिक कर्तव्यों से संबंधित नहीं हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित स्रोत देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 340
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73वां संविधान संशोधन, 1992 भारत में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए पारित किया गया था। इस संशोधन के अंतर्गत किए गए मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:

  1. पंचायतों का गठन: प्रत्येक राज्य में ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जाएगा।
  2. सदस्यों का चुनाव: पंचायतों के सभी सदस्य सीधे चुनाव द्वारा चुने जाएंगे।
  3. आरक्षण: अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण होगा। महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित होंगी।
  4. कार्यकाल: पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा। यदि पंचायत को कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो 6 महीने के भीतर चुनाव कराए जाएंगे।
  5. शक्तियां और कार्य: पंचायतों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने की शक्तियां दी जाएंगी। उन्हें राज्य सरकार द्वारा सौंपे गए कार्यों को करने की भी जिम्मेदारी दी जाएगी।
  6. वित्त आयोग: प्रत्येक राज्य में एक वित्त आयोग का गठन किया जाएगा जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करेगा और राज्यपाल को सिफारिशें देगा।
  7. चुनाव आयोग: पंचायतों के चुनाव कराने के लिए एक राज्य चुनाव आयोग का गठन किया जाएगा।

यह संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को अधिक स्वायत्तता और शक्ति प्रदान करता है, जिससे वे ग्रामीण विकास में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित स्रोत देख सकते हैं:

उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 340
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भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन (Constitution of India) द्वारा जोड़ा गया था, जो 1976 में हुआ था। इस संशोधन के माध्यम से संविधान में एक नया भाग भाग IV-ए जोड़ा गया, जिसमें अनुच्छेद 51ए के तहत 10 मौलिक कर्तव्य शामिल किए गए थे। बाद में, 86वें संशोधन (Legislative Department, Ministry of Law and Justice) द्वारा 2002 में एक और कर्तव्य जोड़ा गया, जिससे मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 हो गई।

  • 42वां संशोधन: 1976 में हुआ।
  • भाग IV-ए: जोड़ा गया।
  • अनुच्छेद 51ए: मौलिक कर्तव्य शामिल।
  • 86वां संशोधन: 2002 में हुआ, 11वां कर्तव्य जोड़ा गया।
उत्तर लिखा · 13/3/2025
कर्म · 340